वाह रे, वाह ! दून पुलिस वाह ! 8 जुलाई को दर्ज होने वाली गम्भीर बैंक फ्राड मामले की FIR 23 दिन बाद हुई दर्ज

वाह रे, वाह! दून पुलिस वाह!

8 जुलाई को दर्ज होने वाली गम्भीर बैंक फ्राड मामले की FIR 23 दिन बाद हुई दर्ज

ऐसी ही निष्क्रियता व लापरवाही के ही परिणाम हैं नीरव मोदी और माल्या प्रकरण!

इस मामले में बैंक मुख्यालय व ओम्बर्डसमैन, आरबीआई ने भी की टालमटोल!

एसटीएफ व धारा चौकी का दरोगा अब तक डालता रहा अवैध रूप से अनुचित समझौते का दबाव!

दरोगाओं ने न सुनी एसपी सिटी की और न ही एस टीएफ एएसपी की, टाल मटोल रखी जारी

डीजीपी व डीआईजी भी तभी जागे, जब पत्रकारों ने उठाये पुलिस की दोहरी कार्य प्रणाली पर सवाल!

काॅरपोरेशन बैंक के मैनेजर व स्टाफ ने अनेकों खातों से दर्जनों बार 30-40 लाख की रकम हड़पी

किये नाजायज ट्रांजेक्शन लगाया लाखों का चूना

ओबीसी बैंक भी इस गड़बड़ झाले में संलिप्त!

दबाव में भी रहती ही है दून पुलिस!

(पोलखोल की एक तहकीकात)

देहरादून। एक ओर दून पुलिस की कमाल की फुर्ती और चुस्ती भरा पत्रकारों के दमन और उत्पीड़न का मामला जग जाहिर ही हैं, वहीं दूसरी ओर इसी पुलिस का ढुलमुल रवैये की फिर एक और अजब गजब दास्ता गम्भीर बैंक फ्राॅड के प्रकरण में पुलिस द्वारा ही दबाने का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जो नीरव मोदी और माल्या जैसे मामलों की पृष्टभूमि से कहीं भी कम नहीं आँका जाना चाहिए।

पीढित शर्मा के अनुसार कारपोरेशन बैंक के मैनेजर व उसके सिथियों द्वारा एक बार नहीं अनेकों बार उसके व उसके परिजनों के खातों में मनमर्जी से बिना खातेदारों के हस्ताक्षर व स्वीकृति के दर्जनों अवैध ट्रांजेक्शन कर लगभग 40-42 लाख रुपये हड़प लिये और एक बिना भू स्वामिनी के हस्ताक्षर व सहमति के प्रापर्टी को बढा़ चढा़ कर खाते में बंधक दिखा देने का कुकृत्य किया गया तथा इस बैंक फ्राॅड में संलिप्त बैंक के सहकर्मियों व साथियों के साथ मिल कर गुल खिलाये। यही नहीं इस घोटालों को छिपाकर रखने व खातेदारों को खाते के स्टेटमेंट आदि न देकर गुमराह किया जाता रहा।

ज्ञात हो कि उक्त मामले का खुलासा होने पर दीपक शर्मा ने एसपी सिटी को प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही का अनुरोध बीती 8 जुलाई को किया था। एसपी सिटी ने उक्त मामले की गम्भीरता को समझते हुये सीओ कोतबाली नगर को निरदेशित कर खुद कार्यवाही करने को कहा पर टालमटोल की नीति में विश्वास रखने वाले सीओ साहब ने पीडित शर्मा को एसटीएफ भेज कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की और मयाची को एसटीएफ की ओर घुमा दिया। तभी एसपी सिटी को दिया गया प्रार्थना पत्र धारा चौकी में तैनात दरोगा महावीर सिंह को जाँच के नाम पर भेज दिया गया।

पीडित शर्मा के अनुसार उन्होंने इस मामले में बैंक मुख्यालय व ओम्बर्डसमैन, आरबीआई से भी पत्रव्यवहार किया किन्तु फ्राड करने बाले इतने शातिर हैं कि इनके द्वारा भी अभी तक ढुलमुल रवैया अपनाकर टालमटोल ही की जाती रही और संरक्षण दिया जाता रहा है।

उल्लेखनीय तो अब शुरू हुई पुलिसिया कहानी के अनुसार पीडित को इतना सताओ कि जाँच के नाम पर परेशान होकर थक कर चुप होकर बैठ जाये या फिर कैसे दोषियों से पौ बारह और क्राईम आँकडों में इजाफा भी न हो का खेल खेला गया।

वादी एफ आई आर के अनुसार इसी बीच एसटीएफ के दरोगा व धारा चौकी के दरोगा द्वारा पीडित पर समझौते का दबाव बनाया जाने लगा जिससे खिन्न व असंतुष्ट पीडित ने डीआईजी/एस एसपी एवं एसटीएफ को फिर 29 जुलाई को अनुरोध किया और बताया कि मुख्य आरोपी बैंक मैनेजर दून से बैंगलोर वापस अपनी ड्यूटी पर चला जायेगा। परंतु किसी ने नहीं सुनी और न ही कोई FIR दर्ज की।
बताया तो यह भी जा रहा है कि इस प्रकरण में पुलिस के आला अधिकारियों पर किसी ईडी और आयकर विभाग के किसी का दबाव चला आ रहा था?

पीडित शर्मा का यह भी कहना है कि गत दिवस पत्रकार के एक मामले में मिलने गये पत्रकारों के द्वारा प्रस्तुत किये गये उदाहरण में डीजीपी अशोक कुमार व डीआईजी अरुण मोहन जोशी के द्वारा जागने पर उनकी एफ आई आर आज कोतबाली में मु अ सं. 0221 अन्तर्गत धारा 120 बी, 420, 477 (ए) का कारपोरेशन बैंक के मैनेजर प्रवीण डंगवाल आदि के विरुद्ध दर्ज की गयी।
देखना यहाँ भी गौरतलब होगा कि पीडित को दून पुलिस न्याय दिलवा पाती है या फिर राजधानी दून में एक नहीं अनेकों खातेदारों के साथ घटित बैंक फ्राॅड के मामले का पटाक्षेप कर दोषियों को जेल भेजने की कार्यवाही में क्या करती है और क्या नहीं!

 

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