वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग, वाह! बडे़ न्यायलयों से भी वेपरवाह!

वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग, वाह! बडे़ न्यायलयों से भी वेपरवाह

TSR की सबसे खास सचिव राधिका झा को उच्च न्यायलय ने जारी किया आवमानना नोटिस

मनमानी करने और नियमों की धज्जियाँ उडा़ने की आदी है मैडम!

उपनल कर्मियों की पेट पर मारी थी, लात

देहरादून। TSR की सबसे खास मानी जाने वाली सचिवों में जहाँ गिनती अगले मुख्य सचिव के पद के सशक्त दावेदारों में 1987 बैच के आईएएस वर्तमान में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश का नाम प्रमुख माना जा रहा है जबकि अभी इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है उससे पहले ही कई जिन्न बोतल से निकल कर बाहर आ चुके हैं जिनसे ग्रहण भी लग सकता है! इन जिन्नों में ओनिडा अग्नि काँड भी कुछ कम नहीं रहा है, पर भैइया ये TSR सरकार है यहाँ सब वह भी सम्भव है जो असम्भव है!

यहाँ उल्लेखनीय यह भी है कि इसी खेमे की एक और सचिव भी ऐसी हैं जिनके आगे भी TSR अक्सर नतमस्तक दिखाई देते हैं।

उसका सबसे बढि़या नमूना आये दिनों आईएएस अफसरों के ट्रांसफर और दायित्वों में फेरबदल, पर क्या बजह रही है कि मैडम ने जब से ऊर्जा विभाग सम्भाला हैं, वहीं जम कर रह गयीं हैं, वहीं उनके आईएएस पति को तो एक जगह न बैठा कर, कभी इधर तो कभी उधर किया जाता रहा है वह भी महत्वपूर्ण और मलाईदार विभागों के साथ।

TSR की इस नीती से शासन में आईएएस के कई गुट बन बैठे हैं जिसके कारण काम कम और गुटबाजी के चलते मजाक ज्यादा चल रहा है तथा ये अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग ज्यादा अलापते ही नजर आते हैं।

यही नहीं जिस प्रमोटी आईएएस अपर सचिवों को जब चाहा हटवा दिया या पैदल बना दिया अथवा फिर जो इनके रंग में रंग गया उसे मलाईदार निगमों और उरेडा के कार्यों का साथ में जिम्मा भी ! बात यहाँ उसी उरेडा की भी है जिसकी सैकडों करोड़ की रूफटाप ग्रिड कनेक्टिड सोलर पाँवर प्लांट योजना में हुये भारी भरकम घोटाले की फाईल की भी है जिसमें दोषी मगरमचछों की फाईल दबाये जाने की है, भले ही उस पर अपर मुख्य सचिव रहे एक दूध का दूध और पानी को पानी करने वाले आईएएस डा.आशीष कुमार श्रीवास्तव की जी-जान से की गई जाँच रिपोर्ट का मामला हो!

ज्ञात हो कि ये वही मैडम हैं जिनकी बजह से जबतब इस भ्रष्टाचार की जीरो टालरेंस वाली TSR सरकार को ऊर्जा निगमों व उरेडा में व्याप्त करोंडों करोंडों के भ्रष्टाचार के मामलों के कारण न्यायलयों में किरकिरी झेलनी पडी़ हो या बैक फुट पर आना पडा़ हो और सबालिया निशान भी लगते रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि यहाँ जो जितना बडा़ भ्रष्ट उसे उतनी ही बडा़ ईनाम और कुर्सी से नवाजा भी जाता रहा है।

गुल तो फिर खिल गया मैडम, झाझरा-IMP 80MVA पावर ट्रांसफार्मर प्रकरण में!

जिस एमडी ने किया था बंटाधार, उसी ने खुद थपथपाई अपनी पीठ!

अब बात तो नये चमत्कारी घोटालों की करो साहब :

यूपीसील का 300 करोड़ का चल रहा कुम्भ घोटाला हो

या फिर पिटकुल और उज्वल के काले कारनामें हों! कम नहीं हैं…!

यही नहीं कुछ गम्भीर प्रकरणों में तो “ऊर्जा विभाग में न खाता, न बही! जो ये मैडम कह दे, वही सही” के आगे खुद TSR भी घुटने टेकते देखे जा चुके हैं। चाहे वे इन ऊर्जा के तीनों निगमों में एमडी और निदेशकों की नियुक्तियों की फाइलें रहीं हों या फिर एक्सटेंशन की। हुआ वही जो मैडम ने चाहा भले एक बार TSR ने अनचाही फाईलों को वापस ही क्यों न कर दिया हों, किन्तु दोबारा में TSR को विवश होकर साइन करने ही पडे़! भले ही उस स्वीकृति की बजह कुछ भी रही हो! हाँलाकि यह तथ्य भी गौर करने लायक थे कि पहले न क्यों और न तो फिर हाँ क्यों?

तथाकथित रूप से मान लो या फिर इनके अब तक के कार्यकाल के कार्यकलापों को ही देख कर तोल लिया जाये तो ऊपर से कड़क और अन्दर से उतनी ही ढुलमुल दिखने वाली मैडम के द्वारा खिलाये गये हाल ही में गुल अथवा इसी सप्ताह खिलाये जाने वाले गुल इस गुल गुलजार में कुछ कम नहीं होंगे! वैसे घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों को बडी़ चालाकी से हजम कर जाने या फिर दबा देने की महारथ भी मैडम को ही हासिल है तथा आस्तीन के साँपों को पालने का शौक या फिर उन्हें जरिया बनाने की कला भी मैडम को ही बखूवी आती है और वे इसमें पारंगत भी हैं। क्योंकि ऐसे सहायक गैटिंग सैटिंग करने में दक्ष होंते हैं!

हाल ही में हुये साक्षात्कार और उसमें खेली गयी राग लीला कुछ कम नहीं रही है जिसकी रास लीला TSR को रास न आ रही हो? हाँलाकि ये तो एक ट्रेलर था पिक्चर तो अभी बाकी है! जिससे फिर एक बार TSR सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा अलग-अलग ही नजर आयेगा, ऐसी ही पूरी सम्भावना है!

फिलहाल आज तो बात यहाँ नैनीताल उच्च न्यायलय द्वारा मैडम को जारी अवमानना नोटिस और उससे जुडे़ प्रकरण की कर लेते हैं! इस प्रकरण को हम यहाँ एक अन्य न्यूज पोर्टल “दस्तावेज” से साभार ले रहे हैं जिसने प्रमुखता के साथ तब और अब इस मामले को प्रकाशित किया था। देखते हैं क्या है मामला…!

उपनल कर्मियों की पेट पर मारी थी, लात

सचिव (ऊर्जा) राधिका झा के एक आदेश के बाद प्रदेशभर के ऊर्जा निगमों में तैनात सैकडों उपनल कर्मियों की पेट पर लात लगी थी। लेकिन गजब तो यह था कि ऊर्जा सचिव की ओर से जिस आदेश को जारी किया गया था।आदेश जारी कर वह खुद न्यायालय की अवमानना कर बैठी थी।

राधिका झा के उक्त आदेश जारी होने पर समाचारों में चेताया भी गया था कि सचिव (ऊर्जा) राधिका झा यह आदेश जारी कर न्यायालय की आवमानना कर बैठी है। दो सप्ताह के बाद उस खबर पर न्यायालय के उस आदेश ने मुहर लगा दी है जिसके तहत राधिका झा को अवमानना नोटिस जारी किया गया है।

क्या था प्रकरण!

उत्तराखण्ड शासन के आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों यथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0, यूजेविएन लि0 व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये थे। उत्तराखण्ड शासन के आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों यथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0, यूजेविएन लि0 व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये हैं। जबकि इन पदों पर पहले से ही कई वर्षो से उपनल के माध्यम से कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे है।

सचिव ऊर्जा के इस तुगलकी फरमान ने कोरोना वायरस कोविड-19 जैसे संकट में निगम को अपने सेवा दे रहे कर्मियों के सामने बडा संकट खडा़ कर दिया था।

न्यायालय की अवमानना कर बैठी राधिका झा, उपनल कर्मियों की पेट पर लात”

जबकि उक्त निर्णय के विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय (SUPREMCOURT) में स्थगन (STAY) हेतु याचिका दाखिल की गई जिस पर मा0 न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए अग्रीम आदेशों तक रोक लगा दी गयी थी। बता दें कि ऊर्जा निगमों में 764 पदों पर भर्ती को वित्त विभाग ने मंजूरी के बाद यह स्थिति बनी थी। मंजूरी मिलते ही सचिव ऊर्जा राधिका झा ने तीनों निगमों के एमडी को अपने-अपने स्तर पर कार्यवाही करने के निर्देश दे दिए हैं। जबकि उक्त पदों पर पहले से ही विभागीय उपनल के माध्यम से कर्मचारी वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे है।

यह उठाया थे न्यूज पोर्टल ने सवाल..

उक्त न्यूज पोर्टल का सवाल था कि क्या उत्तराखण्ड शासन के सम्मुख या तो उपरोक्त तथ्य नहीं रखे गये हैं या9 जानबूझकर सचिव उर्जा राधिका झा ने मा0 न्यायालय के निर्णयों की अवमानना करते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू कराई, और कोरोना वायरस कोविड-19 के समय में संविदा कर्मचारियों के मनोबल को गिराने का कार्य किया है। जिसे किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता है। वहीं इस मामले पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मयंक बडोनी का कहना था था कि जब मामला पहले से ही राज्य सरकार बनाम उपनल कर्मियों को लेकर सुनवायी करते हुए अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी गयी है तो फिर बीच में भर्ती शुरू नही की जा सकती है। बडोनी ने कहा कि इस मामले में वह स्व संज्ञान लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय में संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध वाद दायर करने की अनुमति मांगेंगे।

क्या आया फैसला

उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन की ओर से अधिवक्ता एम.सी पन्त की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में उर्जा सचिव राधिका झा के उक्त आदेश के विरूद्ध अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी। जिस पर सुनवाई करते हुये उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायमूर्ती मनोज तिवारी ने याचिका स्वीकर करते हुये सचिव उर्जा राधिका झा को अवमानना नोटिस जारी करते हुये जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *