और आज लग सकती है ‘शेषनाग प्रकरण’ पर पिटकुल बोर्ड की मुहर?

वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग, वाह!

पूर्व आईएएस एवं वरिष्ठ सदस्यों की आँख में फिर धूल झोंकने की साजिश!

जो आरोप व कमियाँ पहले थीं, उन्हीं को पहना दी लाल साडी़ और कर दिया श्रंगार!

साँठगाँठ और फिक्सिंग के चलते एडवांस में आ चुकी कई करोड़ की रकम का हक भी तो अदा करना है!

जिस एक्सटेंशन के खेल को पानी पीपी कर कोसती थी विपक्ष में बैठी यही भाजपा सरकार आज उसी को अब आमृत बता कर खुद गटक रही TSR सरकार!

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता द्वारा)

देहरादून। “रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था” की कहावत आज भी इस भ्रष्टाचार के गर्त में डूबे प्रदेश में शतप्रतिशत सच दिखाई पड़ रही और इसमें चार चाँद लगा रहा है मुखिया TSR का ऊर्जा विभाग जो आये दिन तीनों निगमों और उरेडा में व्याप्त भ्रष्टाचार व घोटालों के कारण सुर्खियों में बना रहता है।

भ्रष्टाचार से परिपूर्ण एक ऐसा ही मामला और प्रकाश में आया है जिसमें 50-60 वर्षों के अनुभव प्राप्त वरिष्ठ आईएएस सहित एक्सटर्नल बोर्ड के सम्मानित सदस्यों की आँख में बडी़ चालाकी और वाकपटुता से धूल झोंकने का प्रयास आज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पिटकुल के बोर्ड की महत्व पूर्ण मीटिंग में किया जा सकता है, ऐसी पूरी सम्भावनाएँ और आसार बन गये हैं, क्योंकि उसी पुराने चर्चित देश के बहुत बडे़ आर्वीट्रेशन में विचाराधीन ‘श्रीनगर – काशीपुर लाईन’ “कोबरा” प्रकरण जिसको दो भागों में विभाजित कर एडीवी से वित्त पोषित होने वाले इस 400 के वी लाईन की परियोजना को दो भागों में वाँटकर खंदूखाल (श्रीनगर) एवं रामपुरा (काशीपुर) के नाम से चहेते कान्ट्रेक्टर कम्पनी को तथाकथित साँठगाँठ व फिक्सिंग के चलते एडवांस में गटकी जा चुकी भारी रकम का हक अदा करने के लिए, एक बार फिर शतरंज की विशात बिछा दी गयी है जिस पर बोर्ड की मुहर लगवाने की एक और साजिश को अंजाम दिया जा सकता है!


ज्ञात हो कि उक्त प्रकरण हमारे अन्य प्रकाशन “तीसरी आँख का तहलका” में 16 जनवरी 2020 के अंक में प्रमुखता से उजागर किया था किन्तु…!

ज्ञात हो कि पिछली बोर्ड की बैठक में इस प्रकरण व परियोजना पर कई महत्वपूर्ण आपत्तियाँ लगाई गयीं थी जिन्हें दूर कर नये सिरे से परियोजना बनाने और उसमें दर्शायी गयी लगभग सवा सौ करोड़ की अधिक कीमत एवं चहेते विडर के अनुकूल बनाये गये मानकों पर सवालिया निशान लगाये गये थे, किन्तु दुर्भाग्य है इस देवभूमि का कि यहाँ भ्रष्टाचार का ग्रहण लगा हुआ है तथा घोटालेवाजों का शासन में बोलबाला है और शासन भी इन्हीं के इशारों पर चाँदी का…, और चाँद नरम” की कहावत के अनुसार सुर में सुर मिलाता ही नजर आता है तथा ‘शहर बसा नहीं लुटेरे पहले ही वस गये’ की तरह अंजाम देकर अमली जामा पहनाने का प्रयास भी आज किया जा सकता है। यही नहीं TSR शासन के आधीनस्थ सचिव ऊर्जा की तथाकथित मौन स्वीकृती भी इसमें गुल खिला सकती है ऐसी पूरी सम्भावनाएँ प्रबल हो रहीं है!

जिस एक्सटेंशन के खेल को पानी पीपी कर कोसती थी विपक्ष में बैठी यही भाजपा सरकार आज उसी को अब आमृत बता कर खुद गटक रही TSR सरकार!

सूत्रों की अगर यहाँ माने तो हाल ही में पिटकुल व यूपीसीएल के विभिन्न पदों (निदेशक व एमडी) के पीछे की कहानी के तार भी कहीं न कहीं इसमें छिपे हुये बताये जा रहे हैं। कुछ लोंगो की यह बात भी यहाँ गले तो नहीं उतर रही बल्कि नकारा भी नही जा सकता कि एडवांस में लगभग चार पाँच करोड की भारी भरकम रकम और उससे उपजा हिसाब किताब भी किसी को सेवा विस्तार और किसी को ड्यूल चार्ज की रस्साकसी में  फिर गफलत पैदा कर सकता है?

उल्लेखनीय इस शेषनाग प्रकरण में फिक्सिंग की कहानी को पहले ही एक श्रीनगर के आरटीआई एक्टीविस्ट द्वारा उजागर कर बम फेंका जा चुका है जो आज भी TSR के सचिवालय में दबा हुआ है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय तथाकथित दत्तक पुत्र कहे जाने वाले एक एमडी रहे महान हस्ती को इस बारे में ईनाम से नवाजा भी जा चुका है और वर्तमान एमडी का तो कहना ही किया चन्हें जल्दी ही सोने चाँदी की सीढी भी तो चढ़ना है।

वैसे तो यहाँ अभी तक यही देखने में आया है कि जो जितना बडा़ घोटालेवाज और भ्रष्टाचारी उसे उतना ही बडा़ ईनाम मिलता हैं यहाँ!

देखना गौर तलव होगा कि आज बोर्ड की मीटिंग में गुल खिलते हैं य गुलों पर विराम लगता है या फिर…!

मजे की बात तो यह भी देखने योग्य होगी कि क्या इस माह का यह आखरी सप्ताह सचिव ऊर्जा की मेहरबानी से किसे रास आता है 0र किसकी उड़ती है खिल्ली?  वैसे एक निदेशक के ही यहाँ पर नहीं कतरे गये करीब आधा दर्जन को अयोग्य करार देकर उनकी 20-30 साल की नौकरी और अनुभव व प्रतिष्ठा को एक झटके में किनारे लगा दिया गया! वहीं दूसरी ओर खुद शासन की ही अनुकम्पा से इन्हीं में सम्मिलत एक चर्चित  मुख्य अभियंता को हाल ही में निदेशक एचआर के पद पर भी सुशोभित किया जा चुका है। वैसे उत्तराखंड में सेवाविस्तार पर सेवा विस्तार का खेल पहले भी खेला जाता रहा है, उसी HR  सरकार की परम्परा को ही TSR सरकार आगे बढा रही है जो उस समय विपक्ष में रहकर पानी पीपीकर कोसा करती थी!

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