मनगर के मोहनपुर बिजलीघर परिसर में 33 केवी की हाईटेंशन लाइन के नीचे ही बिजली दफ्तर बना दिया गया। इस दफ्तर में बिजलीघर के एसडीओ का कार्यालय व बिल जमा करने का काउंटर बनेगा। बिल्डिंग का काम लगभग पूरा होने को है। अमूमन बिजली लाइन के नीचे कोई भवन बनाता है तो ऊर्जा निगम उसे नोटिस भेजता है।
हाईटेंशन लाइन के नीचे भवन के नक्शे भी एमडीडीए पास नहीं करता, लेकिन प्रेमनगर परिसर में नए बने एसडीओ कार्यालय भवन को देखकर ये नहीं लगता कि यहां पर नियमों का ध्यान रखा गया है। नियमों से परे जाकर ये भवन बनाया गया है। भवन के ऊपर से जो लाइन गुजर रही है वह 33 केवी कौलागढ़ का फीडर है। जो परिसर के यार्ड से ही होकर जा रहा है। खुद यूपीसीएल कर्मचारी ही इस भवन पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि दूसरों को नियमों का पालन करने की नसीहत देने वाला यूपीसीएल अपनी बारी आने पर नियम क्यों तोड़ रहा है। क्या कर्मचारी खतरनाक परिस्थितियों में काम करेंगे। लाइन परिसर से ही निकल रही है इसलिए इसकी भवन की बीच दूरी भी काफी कम है।
स्विच यार्ड में टपकता है पानी
बिजलीघर का स्विच यार्ड जहां से विभिन्न फीडरों के जरिए शंतुला मंदिर से लेकर सिंहनीवाला, अम्बीवाला, झाझरा, पौंधा, बिधौली, कंडोली, खाराखेत, धौलांस, प्रेमनगर, श्यामपुर, लक्ष्मीपुल, मोतीपुर, बड़ोवाला, बनियावाला, नंदा की चौकी आदि इलाकों के चालीस हजार उपभोक्ताओं को बिजली सप्लाई की जाती है। वहां की हालत बेहद खस्ता है। भवन में पानी टपकता है। एमडी बीसीके मिश्रा ने भी स्विच यार्ड की समस्या को देखते हुए परिसर का निरीक्षण किया था, लेकिन स्विच यार्ड को दुरुस्त करने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ।
यूपीसीएल प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि मेरी जानकारी में हाईटेंशन लाइन यदि परिसर से ही निकलकर जा रही है तो वह गलत नहीं है। चाहे उसके नीचे भवन बना हो। रही बिजलीघर के अन्य भवनों की बात तो उनके सुधार के लिए एमडी पहले ही नर्दिेशित कर चुके हैं।
बिजलीघर के बाहर दस महीने से पड़ा ट्रांसफार्मर
मोहनपुर बिजलीघर की क्षमता बढ़ाने के लिए लाया गया साढ़े 12 एमवीए का ट्रांसफार्मर पिछले दस महीनों सें बिजलीघर परिसर के बाहर ही खुले में पड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत सीएम के समाधान पोर्टल में भी की है। समाधान पोर्टल हुई शिकायत का जो जवाब यूपीसीएल ने दिया है वह हैरत भरा है। ईई मोहन मित्तल के अनुसार, अत्याधिक बारिश व नमी के कारण ट्रांसफार्मर स्थापित नहीं किया जा सकता। काम बारिश के बाद ही संभव हो पाएगा।