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अब आई शामत!
10 दिनों में पूरी करें सभी लटकाई जा रही जाँचे और करे कार्यवाही वरना भुगते दण्ड : सचिव ऊर्जा राधिका झा IAS
But उरेडा के मामलों का क्या होगा?
———– यहाँ भी हैं सैकड़ों करोड़ के घोटाले!!
देहरादून। देर आये दुरूस्त आये इस कहावत पर अमल होगा या फिर अपने ही हाल पर रोयेगा ये आदेश भी??
यकीन तो नही होता पर मान लेते हैं कि भृष्टाचार पर zeero टॉलरेन्स वाली TSR सरकार व उसके सिपहसालारों को अब NH घोटाले से परे हटके कुछ और घोटाले व भृष्टाचार के मामले भी दिखाई पड़ने लगे हैं।
आज सचिव ऊर्जा द्वारा ऊर्जा विभाग के तीनों निगमो में सालों और महीनों से लंवित ऐसे-ऐसे मामले जिन्हें दस दिनों और एक माह में जाँच कर कार्यवाही करने के आदेश स्वयं मुख्यमंत्री और सचिव ऊर्जा द्वार खुद किये गए थे तथा बाद में उन्हीं पर बारबार समय समय सीमा बढ़ाकर उदासीन रवैया अपनाया जाता रहा, कई मामलों और करोड़ों के घोटालों व भृष्टाचार के मामलों में खुद आदेश करने और खुद ही उनको अप्रत्यक्ष रूप से पेन्डिंग करने का इशारा करके पिटकुल, यूपीसीएल व उरेडा सहित यूजेवीएनएल के अधिकारियों की आदतें खराब की जाती रहीं हैं।
देखना गौरतलब होगा कि क्या वास्तव में यह दस दिनों की जबाबदेही वाला आदेश प्रभावी होता है या फिर घोटालेबाज़ व उनके हमदर्द TSR शासन को बैकफुट पर लाने में सफल होपाते हैं या नहीं?
ज्ञात हो कि तीनो निगमों व उरेडा में लगभग तीन दर्जन से अधिक ऐसे प्रकरण हैं जिन पर अगर सही व निष्पक्ष एवं प्रभावी जांच व कार्यवाही अमल में लायी जाए तो केवल एमडी, निदेशक और चीफ इंजीनियर ही नही कई आईएएस और पीसीएस सहित पूर्व प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी लपेटे में आ सकेंगे तथा बाड़ ही खेतों को खा गई सावित हो जाएगा पर यह चुनौती स्वीकार करने का माद्दा नज़र नही आता दिखाई पड़ता!! कुछ खास प्रकरण इन निगमों व उरेडा के हैं जिनके अनुसार:-
पिटकुल में — 1)- 530 करोड़ का कोबरा प्रकरण – एक साल से अधिक समय से खटाई में?
2)- झाझरा 80 MVA -IMP पॉवर ट्रांसफार्मर प्रकरण ( थर्ड पार्टी जाँच) –
21 माह से गड्ढे में? जांच अधिकारियों/निदेशक द्वारा ही लगाए गये पलीता??
3)- 43 करोड़ का राजश्यामा कंस्ट्रक्शन – gailveynized स्ट्रक्चर प्रकरण लगभग 11 माह से धूल फांक रहा है?
4)- ईशान कम्पनी का 33 करोड़ का तीन गुनी दरों पर सप्लाई प्रकरण – गुल खिले, ढोल भी पीटा पर कार्यवाही अधर में??
5)- पदार्थ -पतंजलि ईशान पर ही दस दिनों में FIR के आदेश कहां गायब होगये??
6)- मुख्यमंत्री के विबेकाधिकार पर सेंध एवं चीफ इंजीनियर द्वारा निदेशक से अभद्रता व धमकी प्रकरण – लुप्त क्योँ?
7)- एसएस यादव सीडी प्रकरण – दो साल से भूमिगत क्योँ??
8)- करोड़ों की जहरीली गैस यूँ ही खुले में बर्वाद किये जाने का मामला??
9)- तीन सहायक अभियंताओं की भर्ती में तुक्का और उसपर छक्का मारने का अनुचित प्रयास??
10)- सेलाकुई GIS सबस्टेशन : 14 करोड़ के काम में 164 करोड़ खर्च कर धन की बर्वादी की तुगलकी योजना क्या चढ़ेगी परवान या ….??
11)- बिना अधिकार मुख्य अभियन्ता द्वारा 5करोड़ की BG रिलीज किये जाने का प्रकरण गायब क्यों?? मानव संसाधन विभाग की अनदेखी और बिना शपथ पत्र , कैसे पदारूढ़ हुआ मुख्य अभियन्ता??
12)- ABT मीटर घोटाला???
13)- ब्लैकलिस्टेडकंपनियों पर मेहरबानियां क्यों??
आदि आदि???
यूपीसीएल —
1)- फेडर्स लॉयड द्वारा दर्जनों करोड़ के VAT व सर्विस टैक्स की निगम की लापरवाही के कारण हुई चोरी प्रकरण में मुनीम बने एमडी मामले को पलीता क्यों??
2)- ट्रिपरिले प्रकरण अंतर्ध्यान या लीपापोती??
3)- 55 लाख के गवन पर FIR न कराकर मलाईदार पोस्टिंग क्यों??
4)- ABC बंचकेबिल घोटाला ??
5)- गैस बेस्ड एनर्जी खरीद में सैकड़ों करोड़ की पब्लिकमनी को लुटाये जाने का प्रकरण नदारद क्यों??
6)- सौभाग्य व दीनदयाल योजना केवल कागजों पर ही क्यों – धरातल पर शून्य ??
7)- ट्रांसफर पोस्टिंग की दुकान से बंटाधार??
8)- ढाई लाख का ट्रांसफार्मर 6.5 लाख और फिर 62-62 लाख में दो खरीदे क्यों?
9)- एपीडीआरपी व आईपीडीएस में सरकारी धन की खुले हाथों से लूट क्यों??
10)- सोलर एनर्जी खरीद में अपनों को रेवड़ियाँ और PPA साईन कर अगले 20 और 25 साल के मनचाहा टैरिफ क्यों??
11)- निगम की राजस्व चोरी के अनेकों मामलों में उदासीनता और लीपापोती क्यों??
12)- निदेशक की तथाकथित फर्जी डिग्री प्रकरण पर नाटक और नौटंकी क्यों??
आदिआदि?
उरेडा —
1)- रूफटॉप ग्रिड कनेक्टेड सोलर पॉवर प्लांट्स योजना में100 करोड़ की सब्सीडी में घोटाला ? उच्च न्यायालय के आदेश भी खटाई में??
2)- एक ही दिन में 11 सोलर पॉवर प्लांट्स का फर्जी ऊर्जीकरण एवं विभागीय अधिकारियों के व पूर्व प्रमुख सचिव के वेनामी प्लांटों पर बंदरबाँट??? मौन सरकार- बर्बाद सही पात्र और उत्तराखंड की कीमती 4600 बीघा कृषि जमीन तहस नहस क्यों??
3)- रुद्रप्रयाग केदारनाथ प्रकरण पर उच्च न्यायालय के आदेशों की उपेक्षा क्यों ?? और फिर उसमें जानबूझकर …… ताकि सर्वोच्च न्यायालय की मिल जाये आड़..? दोहरी नीति क्यों??
4)- पीओ से सीपीओ तक के सफर में सेवा नियमावली की धज्जियाँ प्रकरण??
आदि?
यूजेवीएनएल —
1)-56 परियोजनाओं मैं अबत क ढुलमुल रवैया क्यों?
2)- टर्बाइन प्रकरण??
3)- ईआरपी घोटाला ?? आदिआदि?