दोपहर के बाद 7 और बढे़ कोरोना पाजिटिव : उत्तराखंड में 111
जनता के जहन में गूँजते सवाल – उत्तर दो सरकार!
उत्तराखंड शासन और प्रशासन स्थिती को सम्हालने में नाकाम!
रैन्डम सैम्पिलिंग साबित हो सकती घातक!
फिर वही रटारटाये स्लोगन, “स्थिती तनाव पूर्ण, किन्तु ….” से काम चलने वाला नहीं!
चरमराती व्यवस्थाओं ने प्रदेश की जनता को डाला पेशोपेश में!
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कोरोना को नहीं है बुलाना, मुख्यमंत्रियों ने फिर भी बुलाया और मुसीबत अब भुगते हम और निर्दोष जनता, क्यों?

आखिर ऐसी कौन सी बेचैनी या मजबूरी थी प्रवासी और प्रवासी मजदूरों के नाम पर …!
क्या राज्य सरकारें नाकाम नहीं रहीं मजदूरों को रोकने और खिलाने तथा उन्हे घर पहुँचाने में?
पहले राजनीति के चलते इन्हे घर से बाहर निकलने ही क्यों दिया और फिर अब इन पर लाठियाँ क्यों?
लाकडाउ -1 से लाकडाउन-2 व निरन्तर अभी तक धैर्य व अनुशासन से कर रही जनता की तपस्या पर पानी क्यों..!
राज्य सरकारों की करनी जनता पर भारी!
अभी तो प्रवासियों के आने जाने के परिणाम और होंगे घातक! आशंका
ऐसे और भी हैं दर्जनों सवाल।