चमन विहार कन्टेनमेंट जोन के वेगुनाहों को सजा क्यों?
कही भूल या उदासीनता के शिकार तो नहीं हो रहे?
न आदेश बढा़ और न ही मुक्त हुई गली -11
तो फिर ये सील अभी भी क्यों
आदेश 17 मई तक का, तो 20 तक प्रभावी कैसे?
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देहरदून। कोविड19 की गाईड लाईन के अनुसार विगत 2 मई को जिला मजिस्ट्रेट के द्वरा जारी एक आदेश पत्रांक संख्या 2277 के अनुपालन में दून नगर निगम क्षेत्र के चमन विहार की गली नम्बर -11 को दि. 3-5-2020 से 17-5-2020 तक सील करके कन्टेमेंट जोन घोषित किया गया था।
किन्तु आज दो दिन से अधिक समय ब्यतीत हो जाने के बाद भी 20-5-2020 तक न ही उक्त गली को मुक्त किया गया और न ही उक्त आदेश को 17 मई के पश्चात आगे ही बढाया गया। फिर उक्त गली किसके आदेश पर तीन दिनों से सील्ड चल रही है और यहाँ के निवासियों को मुक्त नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय तो यह भी है कि जिसके कारण उक्त गली को आनन फानन में सील कर कन्टेमेंट जोन बनाया गया था उस पूरे परिवार के सदस्यों की रिपोर्ट तीन चार दिन बाद ही दो-दो बार कोरोना निगेटिव निकली परिणाम स्वरूप वे सभी लोग घर भेज कर होम क्वारंटीन कर दिए गये थे। परन्तु गली आज भी पूर्णतया प्रतिबन्धित है?
दिल्ली अपोलो अस्पताल से कोरोना पाजिटिव की रिपोर्ट लेकर आए कैंसर पीढित बुजुर्ग व उनके परिजनों सहित इस गली के लगभग 25-30 परिवारों को आखिर अब अवधि बीत जाने के उपरान्त किस बात की सजा भुगतनी पड़ रही है?
यह बात भी समझ से परे है कि 17 मई तक प्रभावी आदेश 18, 19 व 20 को कैसे और किस आधार पर लागू है?
ऐसा भी नहीं है कि डीएम साहब भूल गये हों। क्या इस तरह से किसी भी क्षेत्र को अकारण सील रखा जाना उचित है? क्या यह उन गली वासियों के मानवीय अधिकारों का हनन व उत्पीड़न नहीं है? समाचार लिखे जाने तक कोई भी आदेश जिलाधिकारी द्वारी जारी किया जाना प्रदर्शित नहीं हुआ।
हाँलाकि दिल्ली अपोलो अस्पताल पर इस प्रकरण में वरती गयी लापरवाही की कार्यवाही भी कुछ परवान चढ़ती दिखाई नहीं पड़ रही है!