गैरसैंण उत्तराखण्ड की ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित
बीस साल बाद उत्तराखंडियों को फिर लाॅलीपाॅप, अधिसूचना जारी!
देहरादून। आज उत्तराखंड शासन द्वारा एक शासनादेश, जिसमें अधिसूचना जारी कर मौसमी गरमी के स्थान पर लाक और अनलाकडाउन में भी गर्माहट खुद TSR सरकार द्वारा ज्वालामुखी विस्फोट अवश्य कर दिया गया है।
उत्तराखंड राज्य बने हुये बीस वर्ष व्यतीत हो रहें है और तभी से यहाँ के जनमानस की राजधानी को लेकर चमोली के गैरसैंड़ में स्थायी राजधानी की माँग चली आ रही थी और इसके लिए अनेको राजनैतिक, सामाजिक व क्षेत्रीय संगठनों द्वारा पुरजोर माँग उठाई जाती रही और निरन्तर संघर्ष किया जाता रहा है। यहाँ तक की सत्ता में भी जबजब जो जो पार्टी रही या न रही अथवा चुनाव में इसे अपना मुख्य एजेन्डा बनाकर चुनाव जीतने वाली सरकारों ने सत्ता की कुर्सी पर बैठते ही गिरगिट की भाँति रँग बदला और ये यजबूरी वह मजबूरी, ये आयोग और वह कमेटी गठित कर वहलाने का ही प्रयास किया।
जब ज्यादा दवाव पडा़ तो झुनझुना थमा सत्र गैरसैंड़ में बुलाकर ही टाल मटोल के शस्त्र का प्रयोग कर लिया।
दरअसल इसके पीछे और अटकलों के पीछे की असल कहानी ये है कि न तो वहाँ कोई आला अफसर जाना चाहते हैं और न ही सत्ता और विपक्ष दोनों ही दलों के विधायक और नेता। फिर ऐसे में राजधानी गैरसैंड़ का सपना, सपना ही बन कर रह गया है।
ज्ञात हो कि अब 2022 में उत्तराखंड के चुनाव होने हैं। इन चुनाव में एक नया पैंतरा फेंकने के लिए आज यह शासनादेश जारी कर ग्रीष्म कालीन राजधानी का घोषित कर फिर भाजपा सरकार द्वारा पाशा फेंक दिया गया है तथा फिर वही सोची समझी पुरानी सियासत खेलने की जो विशात बिछाई जा रही है, उस पर तो वक्त ही बतायेगा कि ये पाशा कितना कारगर हुआ या नहीं। फिलहाल अब इस ग्रीष्म कालीन राजधानी के नाम पर डबल डबल खर्चे और करोंडों का जनधन अवश्य ठिकाने लगा दिया जायेगा।