एसएसपी / डीआईजी गाडी़ चोर गैंग पकड़वाने के लिए परेशान!
और चौकी पुलिस चोरों के साथ मिल, कर रही गाडी़ का धंधा?
oLX के द्वारा ठगी, एफ आई आर भी नहीं की दर्ज
वैसे अब पुलिस में रिवाज FIR दर्ज करने का नहीं, बिना कानून जाँच कराने का है
देहरादून। एक ओर पुलिस उपमहा निरीक्षक, गढ़वाल एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण मोहन जोशी अपराध और अपराधियों के खात्मा करने के लिए कृत संकल्प दिखाई पड़ते हैं वहीं दूसरी ओर इन्हीं साहब के चहेते कुछ दरोगा व पुलिसकर्मी कानपुर कांड की तरह अपराधियों को संरक्षण देकर चोरी की गाडि़यों का धंधा करके कमाई करने व पुलिस कप्तान को ब्यस्त रखने में मशगूल नजर आ रहें है। ऐसा ही एक मामला राजधानी दून के थाना पटेल नगर की आईएसबीटी चौकी का प्रकाश में आया जिसे देख कर आपको पुलिस की चाल, चरित्र और चेहरा स्वतः ही साफ तौर पर नजर आ जायेगा और यह भी पता चल जायेगा कि इस महकमें में दरोगा बडा़ या कप्तान! यही नहीं। oLX के जरिये निर्दोष व भोले-भाले लोंगो को उल्टा फँसा धड्ल्ले से ठगा जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बंजारावाला निवासी एक ब्यक्ति ने सीखने के लिए पुरानी कार खरीदने हेतु सेल-परचेज की मशहूर बेव साईट oLX के माध्यम से मारुति 800 कार खरीदने के लिए बिज्ञापन में दिए गये नम्बर पर बीती 29 फरवरी को सम्पर्क किया तो पटेल नगर माजरा निवासी आसिफ ने उसे किसी से किराये पर ले रखी पंजाब नम्बर PB-082 / 9524 की कार ही साढे़ सत्रह हजार रुपये में बेच दी और सेल लेटर व कार के कागज दे दिए।
पीडि़त अदनान के अनुसार उक्त कार को सीखने के पश्चात पुरानी बेच कर नई कार खरीदने से पहले इस कार को बेचने का जब उसने एड oLX पर डाला तो उसे क्या पता था कि वह पुलिस व चोरों के गैंग की गिरफ्त में आ चुका है और पूर्व रचित नाटक का शिकार हो चुका है।

होली के बाद अपना नाम इकबाल मलिक बताने वाले पुलिसकर्मी ने चौकी में यह कह कर उसे बुला लिया कि ये कार किसी और की है, लेकर चौकी आ जाओ। पुलिस ने सभी कागजात और उक्त कार चौकी में खडी़ करवा ली तथा कहा कि उसे भी लेकर आओ जिससे ये कार खरीदी है, तेरी रकम वापस दिलवाता हूँ।
पुलिस से खासी दोस्ती रखने वाले तथाकथित गाडी़ मालिक आसिफ ने कहा था कि अगर कुछ और पेपर भी चाहिए होंगे तो वह असल मालिक से लाकर बाद में दे देगा, का वादा भी किया था और अपना घर दिखा पूरे विश्वास में ले लिया था।
उल्लेखनीय तो यह है कि पीडि़त अदनान की लाकडाउन से पहले से लेकर आईएसबीटी चौकी पुलिस ने आज तक न ही FIR लिखी और न ही उसकी रकम वापस दिलाई और न ही चोरी व ठगी का धंधा कर गाडी़ बेचने वालों के विरुद्ध कोई कार्यवाही ही की। यही नहीं चौकी इंचार्ज ने आजाद कालोनी निवासी मेहरबान अली को उक्त गाडी़ भी सौंप दी और कोई भी कार्यवाही चार माह बीतने के उपरांत आज तक नहीं की। दो दो बार लिखित शिकायत लेने के बावजूद उसकी FIR दर्ज नहीं की। कभी लाकडाऊन तो कभी किसी और बजह से ब्यस्त होने का वहाना करती आई चौकी पुलिस व इंचार्ज पीडि़त को चक्कर लगवा कर परेशान पर परेशान भी कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर तथाकथित आरोपी आसिफ व उसका दोस्त मेहरबान अली खुले आम घूम रहें हैं और बताया तो यह भी जा रहा है कि मुख्य आरोपी की माँ का देह व्यापार के धंधे के कारण पुलिस में खासी पैठ रखती है और पूलिस का रवैया भी उसके साथ दोस्ताना है, तभी तो शहर से अपराध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। पुलिस के द्वारा FIR दर्ज न करने का यह कोई मामला नया नहीं है। बिना कानून जाँच कराने के नाम पर अपराध छिपाना और आँकडे़ न बढ़ने पाये इसलिए है पुलिस का ये खेल! तभी तो नहीं थमता अपराध!
वाह रे वाह, दून पुलिस या होनहार पुलिस जिसने लाकडाऊन में तो सराहनीय भूमिका निभाकर कोरोना यौद्धा के रूप में कार्य किया था जनता से वाहवाही लूटी थी, क्या उसी में कुछ ऐसे भी पुलिस वाले छिपे हुये चोरी की गाडि़यों के धंधे को पनाह दे रहे हैं?