वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग! पिटकुल vs आईएमपी
और हो गया झाझरा में 80 MVA पावर ट्रांसफार्मर उरजीकृत, नो-लोड पर
दस करोड़ की कीमत वाले 160 MVA पावर ट्रांसफार्मर का क्या होगा? बाकियों की तो बात ही दीगर!
बहुचर्चित एवं सीएम को ठेंगा दिखा, खिल्ली उड़वा चुका अनिर्णित आईएमपी प्रकरण कहाँ दब गया? सबूत किसकी शह पर गये मिटाए?
“तीसरी आँख का तहलका” सहित मीडिया लिखता रहा और ये गुल खिलाते रहे
(पोलखोल ब्यूरो)
देहरादून। लगभग तीन बर्ष पहले दोबारा धाराशायी हो चुके आईएमपी के 80 एमवीए पावर ट्रांसफार्मर आज देर रात 17 जुलाई को लगभग 10:50 बजे झाजरा 220 केवी सबस्टेशन पर पिटकुल के कई अधिकारियों व आईएमपी की टीम की उपस्थिति में उर्जीकृत कर दिया गया। उक्त ट्रांसफार्मर अभी नो-लोड पर चलाया जा रहा है। सूत्रों की अगर यहाँ माने तो इस ट्रांसफार्मर की स्पलाई से पहले होने वाले इंसपेक्शनों से लेकर इरिक्सन और टीएनसी की रिपोर्ट सहित प्रत्येक स्तर पर अनेंकों गुल फिर खिल चुके हैं तथा इसमें भरे जाने बाले हजारों लीटर कीमती तेल की कहानी कुछ कम नहीं है। इसी लिए सचिव ऊर्जा व एमडी पिटकुल के द्वारा हमारे ब्यूरो चीफ के द्वारा झाझरा सब स्टेशन के अन्दर जाने की बार बार लिखने व कहने के उपरांत अनुमति भी नहीं दी गयी।
यही नहीं उक्त ट्रांसफार्मर को लगभग 4 जुलाई से अब तक एमडी द्वारा इंटरब्यू के परिणाम तथा वेट एण्ड वाॅच के चलते आफत कौन ले…!, क्यों रोका गया और ऊर्जीकृत न कराये जाने के कारणों का भी खुलासा होगा? रहा प्रश्न इस ट्रांसफार्मर की परफार्मेंस का, तो वह तो समय ही बतायेगा!
यह नो-लोड की कहानी इसी कम्पनी के एक अन्य 160 MVA ऋषिकेश के पावर ट्राफार्मर की कुछ कम नहीं है जिससे भी बेचारे पिटकुल को करोंडों की चपत लग रही है और माले मुफ्त दिले वेरहम पिटकुल के अधिकारी बहती गंगा में हाथ धोने से नहीं चूक रहे हैं।
ज्ञात हो कि इसी कम्पनी से हुई अनेंको पावर ट्राफार्मारों की खरीद घोटाले के साथ साथ इस 80MVAप्रकरण जो थर्ड पार्टी जाँच के नाम से प्रख्यात हुआ था और उक्त प्रकरण में पिटकुल के लगभग एक दर्जन से अधिक छोटे-बडे़ अधिकारियों को ‘पिक एण्ड चूज’ के आधार पर जिसे जब चाहा छोड़ दिया और जिसे चाहा छोड़ दिया गया था। यही नहीं कुछ को बार बार सचिव ऊर्जा व एक आईएएस रहे एमडी के समय में करीब एक दर्जन अधिकारियों को जारी की गयी चार्जशीट व फिर निलम्बन तक की कार्यवाही उक्त पूरी फाईल के साथ कहाँ लुप्त कर दी गयी है, भी गम्भीर कार्यवाही का बिषय बन गया है।
मजे की बात यहाँ यह भी है लाकडाऊन के चलते मई माह के तीसरे सप्ताह में वमुश्किल तमाम मान-मनऊवल और नखरों के उपरांत अनेंकों गुलों को दोबारा समेटे हुये नया यह ट्रांसफार्मर ट्रौला से पहुँचा और बिना सचिव ऊर्जा की इजाजत तथा तकनीकी जाँच पूर्ण हुये बिना ही चुपचाप से फिर एक और साजिश के चलते जून के प्रथम सप्ताह में उसी ट्रौला से “न रहे बाँस, न बजे बाँसुरी” के इरादे से एमडी पिटकुल व अन्य सहभागी रहे निदेशक, मुख्य अभियंताओं एवं अन्य एसई से लेकर झाझरा के एई सहित लाकडाऊन की आड़ का लाभ लेकर नियम विरूद्ध लदवाकर वापस आईएमपी को सौंप दिया गया। तू भी खुश और हम भी खुश का पहाडा़ भी खूव गलवहियाँ डाल कर पढा़ गया। जाँच पर जाँच और फिर फिर कराई गयी सभी जाँचों व पीजीसीआईएल, सीपीआरआई से होने वाली कार्यवाही को भी यहाँ गड़बड़झाले में समा दिया गया।
जनधन की बरवादी व ब्लाकेज आफ फण्ड्स और डम्पिंग ऐसेट्स के नियम और नुकसान की भरपाई के साथ साथ गारंटी का क्या होगा? क्या होगा दोषी उन भेडिये रूपी अधिकारियों का जो आज चौडे़ होकर TSR शासन की हवा से सीना फुलाये बैठे हैं!
ज्ञात हो कि हमारे एक अन्य प्रकाशन “तीसरी आँख का तहलका” व मीडिया लिखता रहा और ये गुल खिलाते रहे यही नहीं सचिव मैडम भी बारबार कहती रही, ये ठेंगा दिखाते रहे!
देखना यहाँ भी अब और गोरतलब होगा कि क्या अब एक और जाँच का खेल फिर खेला जायेगा और भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति का ढिंढोरा पीटा जायेगा या फिर ऊर्जा सचिव के दरबार में सजा का भी कोई प्रावधान है?