वाह रे वाह, ऊर्जा विभाग वाह!
हमारी खबर पर फिर मुहर!
पिटकुल : निदेशक वित्त के पद पर सुरेन्द्र बब्बर ने किया ज्वाईन, मैत्रा की हुई विदाई!
बडे़ वे आवरु होकर निकले, कूँचे से …! अब यूजेवीएनएल में नया विवाद?
यूपीसीएल : लाला जी पर अभी भी मेहरबानी को लेकर कयासबाजियाँ!
क्या ये TSR का दोहरा रवैया नहीं ?
क्या ओपीजीडब्लू नेटवर्क और 400 केवी श्रीनगर सब सटेशन प्रकरण की भी खुलेंगी परतें?
देहरादून। TSR के शासन में ऊर्जा विभाग द्वारा दोहरी कार्यप्रणाली अपनाये जाने और उसके ढीठ रवैये को लेकर जहाँ सवाल पर सवाल लगते जा रहे हैं वहीं ऐसा भी अंदेशा लगने लगा है कि इस लाला जी मोह के पीछे कोई खास बडी़ बजह और कुछ नहीं बस कमजोर कडी़ ही है! अब यहाँ देखना गौर तलब होगा कि वह कमजोर कडी कौन है? क्या भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस या फिर जय-जयकार भ्रष्टाचार की!
सूत्रों की बात पर अगर यहाँ गौर फरमाया जाये तो शासन में नये निजाम के आने से और यूपीसीएल व पिटकुल में एमडी के पद पर आईएएस की नियुक्ति से लाला जी के माथे पर बल पड़ जाना तो स्वाभाविक है क्योंकि आखिर कमेटमेंट भी तो कोई चीज होती है! पर अब कैसे एक ओर सुबह सुबह मीटिंग ले रहे और नये ऐजेन्डे यानि कि लहरों की गिनती पर नोट कमाने के तरीकों पर मानो जैसे पहाड़ सा टूट पडा़ हो और दिल के अरमाँ, आसुओं में बक्ह गये हो! बस अगर रह गये तो वादे, वादों का क्या…! इन वादों और प्यार वफा को हल्का मत समझो, इनका अगर TSR शासन गम्भीरता से परीक्षण कराये और जाँच कराये तो लगभग साढे़ तीन करोड़ के OPGW net work घोटाले की नई इबादत खुद व खुद सामने आ जायेगी जिसको लेकर ही शायद मंथन अभी जारी है और लाला जी का मोह बरकरार है वरना एक ही साथ हुई निदेशकों के रूप में में पोस्टिंग पर अपनाया जा रहा रवैया अलग अलग क्यों? और फिर बंगाली बाबू से वैर क्यों तथा लाला जी पर नजरे इनायत क्यों?
ज्ञात हो कि इस 400 केवी श्रीनगर सब स्टेशन की कहानियों सहित अनेंकों ऐसी अनछुई कहाँनियाँ भी कुछ कम नहीं हैं, हाँलाकि इस पर लाला जी विगत कुछ दिनों पहले ही अपनी पीठ थपथपवा चुके हैं। यही नहीं दो दो प्रयासों से बने चर्चित निदेशक परियोजना भी यहाँ मत चूको चौहान की कहावत को चरितार्थ करते हुये 2015 की अपने सीएनपी चीफ के कार्यकाल में कराई गयी एफडी रूपी फसल को अब काटने की तैयारी में खासे परेशान से दिखाई पड़ रहे हैं। क्या तेज तर्रार वर्तमान एमडी इसकी परतों का भी करेंगे खुलासा?

ज्ञात हो कि लाला जी का कार्यकाल भी 25 जुलाई को निदेशक परिचालन की कुर्सी का पूरा हो चुका है, पर विराजमान अभी भी, बजह मैडम जाने! बेचारे बंगाली बाबू का क्या उन्होंने तो जितनी लिखा पढी़ अपनी पूरे निदेशक के कार्यकाल में नहीं की होगी उससे अधिक इन आखरी चंद दिनों में कुछ स्वार्थ सिद्धी न होने और कुछ नियमों का वास्ता देने के कारण भी तो रंग दिखायेगा ही जिसमें दही की लस्सी जमकर फेंटी गयी! वरना आदमी तो ये भी काम के ही थे, और गुल खिलाने के सरताज भी!
मैडम की न फरमानी का ही नतीजा बताया जा रहा है कि निगमों के अनेकों रिक्त पदों पर हुये बहुप्रतीक्षित साक्षात्कारों में केवल एक इसी पद पर चयन और नियुक्ति तथा फिर दो की विदाई और तीसरे को मक्खन!
मजे की बात तो यह भी है कि पिटकुल से विदाई और यूजेवीएनएल में 4 अगस्त को ली-एन समाप्ति पर सर्विस ब्रेक जैसी गम्भीरता को बलाए ताक रखे जाने से अब बात केवल नियमों की धज्जियों की ही नहीं होगी, वह तो उड़ती हैं रहती हैं। बात तो असल यह है कि पिटकुल से विदाई पर महाशय जी को यूजेवीएनएल में जीएम फाईनेंस पर वापसी कराई जायेगी जो अपने आपमें ही चुनौती भरी होगी क्योंकि उक्त पद पर दावेदार बडोनी पहले से ही निदेशक वित्त के पद पर नियुक्ति के कारण से ली-एन पर हैं और इस कारण पूरी की पूरी चेन जिसमें दिनकर और बिष्ट भी प्रभावि हो रहे हैं एक नये विवाद की बजह बन सकते हैं? हाँलाकि महाशय जी मार्च 2021 तक तो यानि कि आयु अधिवर्षता अवधि तो पूरी करेंगे ही, तब तक क्या एक-एक पद पर दो-दो लीएन जायज होंगे!
ज्ञात हो कि दिल्ली ट्रांसको लि. से ली-एन पर आये निदेशक वित्त सुरेन्द्र बब्बर के लिए ये कुर्सी कांटो भरी होगी क्योंकि काॅकस की निगाहें और फैलाया गया रायता कुछ कम नहीं होगा! फिर भी एक मँजे हुये अनुभवी खिलाडी़ की तरह भूमिका और बदलाव की आश तो फिलहाल दिखाई पड़ रही है। श्री बब्बर की ज्वाईनिंग और बंगाली बाबू की विदाई तय कि हमारी खबर पर एक बार फिर मुहर लगी है।
उल्लेखनीय होगा कि TSR शासन अपने ऊपर लग रहे भेदभाव और दोहरी नीति के दाग को लगने देगा या फिर लाला जी की निदेशक परिचालन की कुर्सी से विदाई करके यह साबित करेगा कि अब अच्छे दिन आ गये!