प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ “पत्रकार और पत्रकारिता” की प्रथम विजयश्री! हाईकोर्ट का भी लगा ठप्पा! – Polkhol

प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ “पत्रकार और पत्रकारिता” की प्रथम विजयश्री! हाईकोर्ट का भी लगा ठप्पा!

प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ “पत्रकार और पत्रकारिता” की प्रथम विजयश्री! हाईकोर्ट का भी लगा ठप्पा!


देहरादून / नैनीताल। नेहरू कालोनी, देहरादून पुलिस द्वारा पत्रकार राजेश शर्मा (सम्पादक, क्राईम स्टोरी) की बीती 31 जुलाई की रात्रि गिरफ्तारी किये जाने के बाद से सुद्दोवाला जेल में विचाराधीन है।

विश्वसनीय सूत्र : उत्तराखंड उच्च न्यायलय, नैनीताल में आज बेल याचिका BA1 -1608 / 2020 पर सुनवाई करते हुये जस्टिस रविन्द्र मैठाणी ने आदेश किया कि राजेश शर्मा को आज ही रिहा किया जाये! राजेश शर्मा से पर्सनल बाण्ड ही लिया जायेगा। हालाँकि अभी माननीय न्यायलय के विस्तृत आदेश की प्रति हमें ऊपलब्ध नहीं हो पायी है।

बताया तो यह भी जा रहा है कि सरकार की ओर से पत्रकार राजेश शर्मा की गिरफ्तारी और अभद्रता पर कोई संतोष जनक उत्तर नहीं दिया जा सका!

ज्ञात हो कि पत्रकार राजेश शर्मा की 31 जुलाई 2020 को आनन-फानन में आकाओं को खुश करने के लिए मात्र 7 घंटे के भीतर अमानवीय, अव्यवहारिक तरीके से एक कई वर्ष पुराने प्रकरण पर दमनात्मक रवैया अपनाते हुये तानाशाह जैसी कार्यवाही की गयी थी और राजद्रोह जैसे आरोप मढे़ दिये गये थे।
इसी प्रकरण में पर्वतजन के पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल और उमेश जे कुमार के विरुद्ध एक बार फिर शिकंजा कसने का षडयंत्र रचा गया था, जिन्हें पहले ही रिलीफ मिल चुका था। यह एफआईआर TSR के सलाहकार रहे डा. हरेन्द्र रावत द्वारा झारखंड के अमृतेश चौहान के साथ किसी भारी लेन-देन को लेकर दर्ज कराई गयी थी। जिसका समाचार राजेश शर्मा द्वारा भी प्रकाशित किया गया था।

पत्रकारों पर राजद्रोह जैसे आरोपों को माननीय न्यायलय पहले ही नकार चुकी है और नाराजगी जता चुकी है।

उल्लेखनीय यहाँ यह भी है कि पेट में दर्द झेल रहे प्रदेश में तथाकथित चाटुकार और पीत पत्रकारिता करने वाले एक गुट विशेष के तथाकथित पत्रकारों और प्रिंट व इलैक्ट्रानिक कारपोरेट मीडिया जगत से जुडे़ मीडिया कर्मियों जो अपने आप को पत्रकार कहलाते हैं, में उदासी सी छा गयी है!

वर्किंग जर्नलिस्ट्स आफ इण्डिया के प्रदेश महामंत्री सुनील गुप्ता, रजनेश ध्यानी सहित उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति के तमाम पत्रकारों ने जम कर विरोध जताया था और डीजीपी कानून व्यवस्था व डीआईजी (गढ़वाल) / वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से उसी समय सम्पर्क अर अपना विरोध भी दर्ज कराया था किन्तु पुलिस है कि मानती कहाँ! उसे तो आकाओं के इशारों पर काम करना है और उन्हें खुश रखना है!

आज पत्रकार साथी राजेश शर्मा की इस प्रथम विजयश्री पर WJI की ओर से सभी लोकतंत्र के प्रहरी और निर्भीक एवं निष्पक्ष पत्रकारों सहित सभी को वधाई!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *