वाह रे, वाह! फ्राडिया बैंक मैनेजर वाह!
बैंक मैनेजर के करोड़ो के बैंक घोटाले का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार पर हुआ मुकदमा दर्ज
खुद के गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए पत्रकार पर कीचड़ उछालने वाले फ्राड बैंक मैनेजर की करतूतें हुई और उजागर
छोटा भाई तो छोटे मियाँ! बडा़ निकला शुभान अल्लाह!
नकल मोदी की और काम उठाईगीरों के : ‘जन बंधन निधी’ योजना के नाम पर सैंकडों से ठगे लाखों?
खुद ठगे बैंक के खातेदारों के और भाई-भाभी ने हड़पे गरीबों के!
क्या दून पुलिस करेगी इन गुनहगारों का पर्दाफाश और भेजेगी जेल या फिर खेलेगी कोई खेल?
कहीं ये फिर पुलिस की एक और पत्रकार के खिलाफ कोई साजिश तो नही?
देहरादून। अभी तक तो सुनने को मिलता था कि साईवर ठगों द्वारा हेराफेरी करके बैंक खातों से रकम उडा ली गयी परंतु अब तो देहरादून में एक ऐसा शातिर बैंक मैनेजर का पर्दाफाश हुआ है जिसके द्वारा अनेकों खातेदारों को उनके खातों से लाखों की रकम खुद वखुद बडे़ ही शातिराना ढंग से खुद के परिजनों और रिश्तेदारों के खातों में फर्जी तरीके से NEFT / RTGS तथा ट्रांसफर कर हड़प ली गयी साथ ही करोडों का चूना बैंक को भी एक नहीं अनेकों फर्जी लोन के माध्यमों से लगा, अपनी सम्पत्तियाँ बना डालीं। लेकिन क्या कभी खुद के गुनाहों पर कोई दूसरों पर कीचड़ उछालकर पर्दा डाल पाया है।
उक्त रकम उडा़ने वाला और बैंक को चूना लगाने वाला कोई और बाहरी ठग नहीं बल्कि कारपोरेशन बैंक का ही स्थानीय सालावाला निवासी ब्रांच मैनेजर निकला जो वर्तमान में बैंगलौर में तैनात है! परंतु दून पुलिस है कि बैंक से मिले ठोस साक्ष्यों व सबूतों के उपरांत भी उसकी व उसके साथियों की गिरफ्तारी न करके, मानने को ही तैयार नहीं है? खैर पुलिस के बारे में ये कोई खास बात नहीं है वह प्रचलित कहावत की तरह रस्सी का साँप और साँप का रस्सी बखूवी बनाना जानती है! ठीक वही खेल इस बैंक फ्राड के मामले में देखने को मिल रहा है।
इस फ्राडिया बैंक मैनेजर के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि इसने अपने परिजनों के नाम पर अनेंकों कीमती समपत्तियाँ व जमीनें खरीद रखीं हैं तथा शराब के कारोवार से भी जुडा़ हुआ है जिसकी जाँच भी जनहित में होनी आवश्यक है।
यह भी ज्ञात हो कि विगत करीब ढाई माह से उक्त शातिर बैंक के पूर्व ब्रांच मैनेजर डंगवाल के साथ कोतबाली पुलिस का दोस्ताना रवैया और एक तीर से दो-दो शिकार करने का खेल खेलने वाली पुलिस की जानबूझ कर दी गई ढील का फायदा अब अपराधी भी उठाने लगे हैं तथा पीडि़त और जनता परेशान भटक रही है।
मजेदार बात तो यहाँ यह है कि उक्त शातिर बैंक मैनेजर ने एक नियोजित षडयंत्र के तहत साँठगाँठ करके हासिल पुलिस की ढील और अनुकम्पा से विगत दो दिन पूर्व सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत पारित कोर्ट के आदेश 154 के अन्तर्गत कोतबाली में ही एक मनगढ़न्त, फर्जी व झूठी एफआईआर मु.अ.संख्या 0279 / 2020 प्रतिशोध में उसके ही काले कारनामों का भण्डाफोड़ करने वाले “तीसरी आँख का तहलका” व न्यूज पोर्टल polkhol.in के पत्रकार व पीडि़त खातेदार दीपक शर्मा आदि के विरुद्ध ही दर्ज करा दी ताकि तब न सही, अब तो दबाव में आ सकेंगें!
विदित हो कि उक्त फ्राडिया बैंक मैनेजर व अन्य लोंगों के विरुद्ध पहले ही गत एक अगस्त को इसी कोतबाली में FIR मु.अ.स. 0221 / 2020 अन्तर्गत धारा 420, 477-A की दर्ज कराई जा चुकी है जिस पर जाँच लम्वित है या लटकाई हुई है?
ज्ञात हो कि पीडि़त पर पहले एसटीएफ पुलिस भी दबाव बना चुकी है और अब वर्तमान में कोतबाली पुलिस का भी वैसा ही रवैया दिखाई पड़ रहा है।
सूत्रों की अगर यहाँ माने तो इसी फ्राडिया बैंक मैनेजर की कोई परिजन आयकर विभाग में किसी प्रभावशाली पद पर तैनात है जो कभी ईडी आफिस में भी रही बताई जा रही है, उसी के दबाव व प्रभाव के चलते पुलिस खासे दबाव से ग्रस्त है। परंतु देर है, अंधेर नहीं, की कहावत के अनुसार नित नये-नये खुलासे इस फ्राडिया बैंक मैनेजर व उसके परिवार के अब स्वतः ही सामने आने लगे हैं जिन पर शायद ही ये दून पुलिस गौर फरमाये और जनहित में कार्यवाही करे?
जानकार सूत्रों के अनुसार इस ब्रांच मैनेजर का बडा भाई वास्तव में बडा़ ही निकला अर्थात उसने भी बडे़ ही शातिराना ढंग से भोली भाली जनता को ठगने के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी की जन-धन योजना की आड़ लेकर “जनबंधन निधी” के नाम की एक गैर कानूनी योजना चला सालावाला, हाथीबड़कला, नयागाँव, अनारवाला आदि क्षेत्रों के सैंकडों लोंगो से सौ रुपये से लेकर पाँच-पाँच सौ रुपये प्रतिदिन तक जमा कराने वाली योजनायें चलाकर, भारी भरकम प्रलोभन देकर 2017-18 में हड़प लिए थे और पेशबंदी करके गरीब खातेदारों को गुमराह कर रखा है। ज्ञात हो कि इस तरह कि फर्जी और गैरकानूनी अनेंकों धन संग्रह करने वाली कम्पनियाँ दून वैली में विद्यमान हैं जिन्हें सरकार पहले ही अवैध करार दे चुकी हैं और सैकडों इसी तरह की धोखेबाज कम्पनियाँ जनता की गाढी़ कमाई पर हाथ साफ कर चुकी हैं।
ठीक वैसी ही पेशबंदी फ्राडिया बैंक मैनेजर द्वारा की जा रही है। जबकि उक्त “जनबंधन निधी” में इसी की भाभी भी सक्रिय रूप से सम्मिलित बताई जा रही है। इस फ्राडिया तथाकथित गैंग में इसी का ऋषिकेश का एक रिश्तेदार और एक स्थानीय शराब माफिया भी संलिंप्त है।
उल्लेखनीय तो यह भी है कि जब वर्तमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दून के एसएसपी के रूप में पदभार ग्रहण किया था तो पहली प्रेस कान्फ्रेंस में बडे़ दमखम के साथ घोषणा की थी कि कोई भी अपराधी वख्शा नहीं जायेगा चाहे वह कितना भी प्रभावशाली ही क्यों न हो! उसकी भी उतनी ही वैल्यू होगी जितनी एक रिक्शे वाले की…! लगता है समय के साथ साथ बडे़ कप्तान साहब चूँकि अब डीआईजी भी हो गयें हैं इसी लिए बदल से गये और शायद तभी उनकी कथनी और करनी में अन्तर आ गया है! फिर भी डीआईजी अरुण मोहन जोशी से सदभावी, सहयोगी व निष्पक्ष भूमिका की अपेक्षा करते हुये ब्यूरोचीफ सुनील गुप्ता का कहना कि कोई भी एफआईआर दर्ज होना दीगर बात है और उस पर निष्पक्ष जाँच कर कार्यवाही करना या न करना ये विवेचना व पुलिस प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
फिलहाल देखना यहाँ गौर तलब होगा कि साफ दामन का दावा करने वाली दून पुलिस इस पूरे प्रकरण में दर्ज एक अगस्त की FIR पर संज्ञान लेती है या अब पेशबंदी के तहत दर्ज कराई गई सफेद झूठ वाली FIR पर?
क्या पुलिस करेगी झूठी ब्लैकमेलिंग की FIR दर्ज कराने वाले फ्राडिया बैंक मैनेजर के विरुद्ध पुलिस का दुरुपयोग करने जैसी कोई कार्यवाही या फिर भण्डाफोड़ करने वाले पत्रकार व पीडि़तों को ही लेगी अपने आगोश और प्रतिशोध में तथा बनायेगी दमन व उत्पीड़न की शिकार? वैसे यहाँ वर्तमान पुलिस पिछले कुछ समय से पत्रकारों के साथ अपनाई जा रही संदिग्ध और एकपक्षीय कार्यप्रणाली भी सबालों के घेरे में रही है। उन्हीं सब पूर्वाग्रहों से कहीं न कहीं काम रही पुलिस पर संदेह उठना भी लाजमी है, कहीं ये भी पुलिस की फिर एक और पत्रकार के खिलाफ कोई साजिश तो नही?
ज्ञात हो कि हमारी खोजी टीम का दावा है कि यदि इस बैंक फ्राड के गम्भीर व संवेदनशील मामले की परत दर परत जाँच की जाये तो बडे़ खुलासों की खासी सम्भावना है!
महत्वपूर्ण है कि हमारा दायित्व व फर्ज है कि हम अपने प्रिय पाठकों के समक्ष वेवाकी से निडरता के साथ समाचारों को परोंसे और सत्यता जनहित में उजागर करें!