पत्रकारों के विरुद्ध पुलिसिया हथकण्डा भी TSR CM को रास नहीं आया, क्या ? – Polkhol

पत्रकारों के विरुद्ध पुलिसिया हथकण्डा भी TSR CM को रास नहीं आया, क्या ?

पत्रकारों के विरुद्ध FIR हाइकोर्ट ने की खारिज !

सीएम त्रिवेन्द्र पर लगे आरोपों की FIR दर्ज कर सीबीआई करें जाँच !

सुनिए, TSR के खासम खास डीआईजी अरुण मोहन जोशी के कैसे हैं बोल, और उनकी अब खुली कैसी, पोल

पत्रकारों के विरुद्ध पुलिसिया हथकण्डा भी TSR को रास नहीं आया क्या ?

पत्रकारों से चिढ़ने बाले और उनके प्रति हीन भावना से ग्रसित है ये आईपीएस

झूठ पर सच्चाई की विजय!

नहीं हटाई गई अधीनस्थों से जाँच व कार्यवाही!

देहरादून / नैनीताल। पत्रकारों पर विगत 31 जुलाई 2k20 को बाद लीपापोती कहें या बाद जाँच के पुलिस के द्वारा दर्ज उक्त FIR को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गतदिवस खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकरण में TSRCM पर जो आरोप लगे हैं उनकी सच्चाई भी सबके सामने आनी चाहिए। इसके लिए CBI देहरादून दो दिन में एक FIR दर्ज कर, इस प्रकरण में जाँच करे!

ज्ञात हो कि डिफेन्स कॉलोनी निवासी प्रोफेसर डॉ हरेन्द्र सिंह रावत, की जो वर्तमान मुख्यमंत्री TSR के कृषि मंत्री के कार्यकाल में सलाहकार भी रहे हैं, के द्वारा पत्रकार उमेश जे कुमार, क्राइम स्टोरी एवं पर्वतजन के विरुद्ध 31 जुलाई 2k20 को करीब 16 बजे FIR दर्ज कराई गई थी और उक्त उक्त FIR पर महज 6-7 घण्टे बाद ही पत्रकार राजेश शर्मा के घर रात्रि करीब 10 : 20 बजे पाँच-पाँच थानों की पुलिस द्वारा सामूहिक धावा बोलकर दुर्दान्त आतंकवादियों की तरह अमानवीय रूप से बिना उसका पक्ष जाने एकतरफा कायवाही व गिरफ्तारी कर हवालात में अनुचितरूप से पिटाई भी की गई थी।
अगले ही दिन सुबह उक्त प्रकरण पर राजधानी के पत्रकारों ने सयुंक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में पत्रकारो ने  डीजीपी (लायनऑर्डर) से मिलकर हस्तक्षेप की मांग की थी और तत्पश्चात डीआईजी व एस एसपी के पद पर सुशोभित चले आ रहे गृहजनपद में ही तैनात आईपीएस अरुण मोहन जोशी से भी मुलाकात की थी।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पत्रकारों के शिष्ट मण्डल से मुलाकात के दौरान डीआईजी महोदय ने बड़ी सफाई के साथ जोर देते हुए पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता व लीगल कारवाही ही किये जाने की बात कही थी। यही नही पुलिस कार्यवाही को एकदम आधिकारिक रूप से जोर देते हुए ठीक भी बताया था।

हम यहाँ आज अपने पाठकों और जनता के समक्ष अब उस समय की वीडियो को भी प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे देख कर स्वतः ही सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा कि डीआईजी स्तर का अधिकारी क्या बोल रहा है और हकीकत क्या है?

हालाँकि उक्त वीडियो को अगस्त के प्रथम सप्ताह में ही अनाधिकृत, अवैध एवं अनुचित रूप से तथाकथित चाटुकार और पीत पत्रकारिता करने बाले दो स्थानीय न्यूज़ पोर्टल “देवभूमि मीडिया.कॉम” एवम “भड़ास4 इण्डिया. कॉम” द्वारा पत्रकारों में फूट डालने और खुद को पाक – साफ पत्रकार बताने बाले का प्रयास करने बाले इन पत्रकारों द्वारा सेंसेशनल न्यूज़ बनाकर फैलाने के विरुद्ध अनर्गल एवम आपत्तिजनक समाचार के साथ वायरल किये जाने पर हमारे द्वारा 8 अगस्त को ही डीआईजी व डीएम (जिला प्रेस अधिकारी) को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग भी की गई थी, परन्तु शायद इन चाटुकार पोर्टलों व चहेते पत्रकारों पर या फिर सरकार के इशारों पर नाचने बाली इन कठपुतली लुटियंस मीडिया पर आज तक कोई भी कार्यवाही प्रदर्शित नही हुई। जबकि इन तथाकथित भांड रूपी पत्रकारों द्वारों उक्त वायरल की गई वीडियो के साथ जो टीका टिप्पणी भी समाचार के साथ वायरल की गयी थी वह आपत्ति जनक व निराधार व मनगढंत थी और सच्चाई से कोसों दूर थी! यही नहीं इसी तरह के कुछ पत्रकारों के समाचारपत्रों, स्मारिकाओं व भांड मीडिया पर सरकार द्वारा दोनों हाथों से लांखों लांखों का जनधन लुटाये जाने की भी विगत कुछ समय से खासी चर्चा है।

यह भी ज्ञात हो कि काफी समय पहले ही डॉ. हरेन्द्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत को TSRCM का करीबी रिश्तेदार भी बताया गया था, और उनके द्वारा अनेकों खातों के माध्यम से नोटबन्दी के समय में अमृतेश चौहान से ली गई भारी भरकम रकम का लेनदेन किया जाना भी दिखाया गया था?

उक्त प्रकरण पर थाना नेहरू कॉलोनी में अब दर्ज कराई या फिर करवाई गई FIR पर मात्र सात घण्टे में ही पत्रकार राजेश शर्मा के साथ की गयी हिटलर जैसी यातनाओं भरी कार्यवाही को आखिर कल माननीय उच्च न्यायालय में पटाक्षेप हो ही गया और डॉ. हरेन्द्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत आदि परिजनों के खातों के माध्यम से TSR के झारखंड प्रभारी के समय हुए इस 25 लाख की रकम के हेर-फेर प्रकरण को दो साल बाद तानाशाही और पुलिस तन्त्र के दुरुपयोग की भावना से दर्ज करवाया गया था और उत्पीडन के उद्देश्य से उक्त झूठी FIR कल 27 अक्टूबर को माननीय उच्चन्यायालय ने क्वेश (खारिज) करते हुए अपने 83 पेज के ऐतिहासिक आदेश में जस्टिस मैठाणी की एकल पीठ ने आरोपों की जांच अधीक्षक, सीबीआई,  देहरादून को FIR दर्ज कर, शुरू करने के आदेश किये हैं ! देखिए  आदेश के कुछ अंश…

सूत्रों की अगर यहाँ माने तो पुलिस अगर कानून का अनुपालन करती तथा झूठी वाहवाही के चक्कर में छब्बे बनने की कोशिश न करती और डीआईजी व एसएसपी के नेतृत्व बाली थाना पुलिस ओछी मानसिकता को छोड़, सही भूमिका निभाती तो न ही यह कोई आपराधिक अथवा राजद्रोह जैसा मामला बनता और न ही FIR क्वेश होने की नौबत आती!

उच्चन्यायालय की एकल पीठ के इस क्वेशिंग के आदेश से जहाँ पुलिस की कार्यप्रणाली पर काला धब्बा लगा है वहीं TSRCM के गले की भी फांस भी बन गयी है जो कि समय ही बताएगा कि सीबीआई जाँच का घेरा कहाँ कहाँ तक पहुँचता है?

मजे की बात तो यह भी है कि इससे पुलिस के रवैये में क्या कोई फर्क दिखाई पड़ेगा या फिर? वही ढाक के तीन पात ही नजर आएंगे?

यही नहीं पूर्वाग्रहों से ग्रसित डीआईजी अरुण मोहन जोशी की कथनी और करनी में अंतर को देखकर तो नहीं लग रहा है कि झूठी शानों शौकत और शेखी बघारने व निर्दोष पत्रकारों को फंसाने के दुष्कृत्यों से, ये साहब, मोह भी भंग कर पाएगे!

न हटाये डीआईजी व एसएसपी और न ही हटी जाँच व कार्यवाही

इसी कड़ी में यहां जिक्र करना भी उचित होगा कि रस्सी का साँप और तिल का ताड़ बनाने बाली दून पुलिस विगत 1अगस्त से ही कुण्ठा में है, ये वही महाशय हैं जो गत 21 सितम्बर को वर्दी की आड़ में सीनियर सिटीजन व “पोलखोल” पोर्टल के पत्रकार एवं “तीसरी आँख का तहलका” के सम्पादक सुनील गुप्ता से अभद्रतापूर्ण, अनुचित व असंवैधानिक कृत्य व व्यवहार कर चुके हैं और आज भी उनके विरुद्ध रंजिशन अकारण ही पुराने निस्तारित हो चुके मामलों को जबरदस्ती ईर्ष्यावश तूल देकर किसी न किसी षड्यंत्र मेंं फंसाने का प्रयास कर रहे हैं देखना है कि वे इन षडयंत्रो की रचना में सफल होते या नहीं वैसे तो लगे पूरे दलबल के साथ ही हैं! यही नही डी आई जी अरुण मोहन जोशी से सुरक्षा व उनके अधीनस्थों से की जा रही जाँच व कार्यवाही को निष्पक्षता के लिए हस्तान्तरित की जाने की भी मांग डीजीपी एवं आईजी गढ़वाल से की जा चुकी है, परन्तु उस पर भी अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं प्रदर्शित हुई है। इससे भी लगता है इस साजिश और षड्यंत्र के पीछे कहीं न कहीं शासन अथवा सरकार की भी गुपचुप शह है। वैसे भी शासन में बैठे कुछ आईएएस व सचिव स्तर के अधिकारी भी हमारे खिलाफ चल रही साजिश में प्ले बैक रोल अदा करने से भी नहीं चूक रहे हैं!

देखना यहां गौरतलब होगा कि पुलिस के आला अधिकारी, शासन व TSRCM सरकार का अब इस मामले में व जन प्रहरी पत्रकारों के साथ क्या रुख अपनाती है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *