प्रदेश में बेरोजगारों की भरमार,आंकड़ा पहुंचा सैकड़ों हज़ार के पार : आम आदमी पार्टी
शिमला। हिमाचल प्रदेश में यदि आज के संदर्भ में देखा जाए तो बेरोजगारी दिन प्रति दिन एक विकराल रूप धारण कर चुकी है। समय रहते यदि सरकार इस ओर कुछ हट के कदम उठाए तो स्थिति काबू में हो सकती है। सरकार/सरकारों को प्रदेश की जनता ने बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए नहीं चुना था। बल्कि लोगों ने बड़ी उम्मीद से सरकार की सतासीन करवाया था।लेकिन बेरोजगारी को सुलझाना तो एक तरफ सरकार हर मोर्चों पर विफल साबित हुई। आलम स्वयंसिद्ध हो रहा है कि पूर्व सरकार ओर वर्तमान पार्टी की सरकार की कार्यप्रणाली में रती भर भी फर्क नहीं है।इन पार्टियों को अब आने वाले दिनों के लिए जनता को जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा।पार्टियां एवं सरकार क्या जाने कि प्रदेश में बेरोजगारों की लगभग 12-14 लाख युवाओं की फोज खड़ी है। जिनके लालन पालन ओर उन्हें अच्छी शक्षा ग्रहण करवाने के लिए उनके माता पिता को लाखो लाखों खर्च करके,यहां तक कि Educational Loan लेकर अपने बच्चों को अपना ही पेट काट करके अच्छी तालीम दिलवाई।बावजूद इसके वो बच्चे रोजगार के इंतजार में आज सड़कों पर खड़ा होने के लिए मजबुर है।इस ज्वलंत मुद्दें को राजनीतिक दृष्टि से उप्पर उठकर इसका निराकरण ही आज तक का सबसे बड़ा यज्ञ माना जाता यदि वर्तमान ओर पूर्व सरकारों ने इस ओर कुछ विशेष नीति के तहत ठोस कदम उठाए होते।बेरोजगारी एक ऐसी सामाजिक विडम्बना एवं कुरीति बन चुकी है। जिसको निपटा कर ही सांस लेने की आवश्यकता है।जिसके लिए एक ऐसी राजनीतिक परिपक्वता ओर इच्छाशक्ति की आवश्यकता है जिसके चलते प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करवाने वाली संभावनाओं को तलाशने से बढ़कर ओर कोई हित हो ही नहीं सकता। इसी लिए शासन को इस ओर द्रीड़ता दिखानी चाहिए थी। ताकि बेरोजगार युवाओं का उचित मार्ग दर्शन हुआ होता ओर एक मजबूत नीति के तहत एक ऐसा ढांचा त्यार किया होता जिसके तहत बेरोजगारों को ये सुनिश्चित होता कि उन्हें इस बाबत फलाने समय अवधि तक नोकरी हासिल हो सकती है।ताकि वो उस हिसाब से अपने दिमागी संतुलन को थाम सकने में सक्षम होते।आज बेरोजगारी की इस विकराल स्थिति से जहां युवा पीढ़ी परेशान है वहीं उनके मां बाप अपने बच्चों के अंधकारमय भविष्य को लेकर उनसे भी ज्यादा चिंतित है।क्योंकि उन्होंने पहले ही शिक्षा ग्रहण करवाने के लिए ऊंची ब्याज दर पर बैंकों से एजुकेशन लोन लेकर ओर अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई अपने बच्चों पर उड़ेल कर उनको इस मुकाम तक पहुंचाया कि नोकरी मिलने के साथ साथ वो बच्चे उनके बुढापे का सही सहारा बन सकें। लेकिन अभी तक आलम तो ये है कि बेरोजगार पड़े लिखे बचे 35- 40-सालों के होने को हैं।जब तक उनको नोकरी यदि मिलती भी है तब तक वो overage हो सकते है।अर्थात कब उनको अपनी कमाई की रोटी हासिल होगी,ओर केसे वो अपने बूढ़े मां बाप का सहारा बनेगे? उनकी इस मजबूरी को कहां कहां जोड़ करके देखें। उनके लिए सारी दिशाएं अंधकारमय साबित हो रही है।इसका प्रमुख कारण है कमरतोड़ मेहंगाई,भ्रष्टाचार। भाई भतीजावाद।पैसों का खेल इत्यादि कारणों से वो मजबुर बेरोजगार इस दौड़ से भी पिछड़ रहे है। इन सब बातों का निष्कर्ष यही निकलता है कि आज तक जिस भी पार्टी की सरकार सता में रही है तथा उनसे इस बहुचर्चित ओर अत्यंत महतवपूर्ण विषय को लेकर कुछ नहीं हो पाया। उन पार्टी की सरकारों ने क्या किया ओर क्या नहीं किया इन तमाम पहलुओं को प्रदेश की जनता खूब जानती है।ऐसी पार्टियों ने लोगों को लारे लप्पे ओर झूट सच बोल कर वोट हासिल करने की अपनी झुटी महारत का इस्तेमाल किया।
जहां आम जनता के बच्चों का सवाल है उनकी जिंदगी के वो पल उस समय क्या एहमियत रखते होंगे जब उन्हें कुछ विशेष करने कि इच्छा होती होगी।लेकिन उनके वो भाव वहीं क्षीण हो जाते होंगे जब उनके सामने रोटी तक खाने जेसे सवाल का सामना करना पडता होगा।इस हालत में वो अपने मां बाप के बुढ़ापे का केसे सहारा बन सकते है।उप्पर से सरकारों की भी इस ओर बेरुक्खी बदस्तूर कायम है। इतना ही नहीं इसके चलते हिमाचल प्रदेश में ही सैकड़ों बेरोजगारों ने आत्महत्या तक कर डाली? वो भी तो किसी के लाल थे। इसके लिए सरकार जनता के कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही है।जिसका लोग जवाब मांग रहे है। लेकिन ठाकुर जए राम की डबल इंजन वाली सरकार ओर हिमाचल से ही केंद्रीय मंत्री मंडल में विराजमान वित राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ओर तमाम बीजेपी के सांसदों ने इस बाबत किसी तरह का योगदान नहीं किया।बल्कि इसके विपरित वो आपस की कलह से जूझ कर खुद ही खत्म होतो दिखाई दे रहे है।उनकी तरफ से किसी भी तरह का प्रयास नही रहा।जनता आज पूछना चाहती है।जब की आलम ये रहा की जिस सेंट्रल यूनिवर्सिटी का 4-5 सालों से निर्माण ही नहीं हो सका जिस वास्ते केंद्र सरकार ने पहले ही प्रदेश को 500 करोड़ रुपयों का प्रावधान कर दिया था।बावजूद इसके भी निर्माण शुरू ही नहीं हुआ। जब की उक्त केंद्रीय विश्वविद्यालय खुलने से हर तरह के हजारों खाली पदों को भर जाना था।तथा इतनी देर में यहां से सैकड़ों बच्चे पड़ कर रोजगार पाने के लिए भी आज तक पात्र बन जाते।लेकिन सरकार का रवैया इस ओर बिल्कुल नकारात्मक रहा। वो डबल इंजन किस कम का जिसमें कुछ कर गुजरने की मंशा न हो।काफी देर बाद जब केंद्रीय वित राज्य मंत्री अनुराज ठाकुर को जाग आई तो सारे कायदे एक तरफ रख करके खुद केंद्रीय मंत्री होकर प्रदेश के मुख्य मंत्री ओर उनका पूरा तंत्र आपस में भिड़ते दिखे। इससे कहीं लगता है कि वो उपरोक्त ज्वलंत मुद्दों पर अपनी सोच रखते होंगे? अब मालूम हो ही गया है की सरकार के जेहन में कहीं भी जनता ओर बेरोजगारों के लिए कोही स्थान नहीं है।
अत: इन तमाम स्थितियों को मध्य नजर रखते हुए,आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एस०एस०जोगटऻ,का मानना है कि पूर्व ओर वर्तमान सरकारों से लोगों का विश्वास कभी का उठ चुका है।जोगटऻ ने आगे ये भी साफ तौर पर कहा है कि 2022,के चुनावों में आम आदमी पार्टी के सता में आते ही इस ओर एक ठोस नीति के तहत लाखों लाखों बेरोजगारों को रोजगार मुहया करने का दावा भी किया है।
शिमला से जारी एक प्रेस बयान में पार्टी प्रवक्ता एस०एस० जोगटऻ ने सरकार को आगाह करते हुए पुन: कहा है कि आम आदमी पार्टी अब जनता की आवाज बन चुकी है और जनता के आव्हान पर आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मान्यता प्राप्त हो चुकी है।अब सरकार सता में रहने का अपना अधिकार खो चुकी है।इससे पहले कि जनता सरकार को अपनी अदालत में घसीटे, उससे पहले ही मुख्य मंत्री गद्दी छोड़ दे ताकि अब सही मायनों में अच्छे दिन देखने को मिलने वाले है।