नैनीताल। वर्तमान समय में आत्महत्याओं की खबरें लोगों को विचलित कर रही हैं और किसानों की आत्महत्या के बारे में लम्बे समय से सुनते आ रहे हैं, कर्ज, भूख, गरीबी, बीमारी से लोग लगातार आत्महत्या कर रहे है। किसानों का मामला भी बहुत गम्भीर है, यह चर्चा का वृहद विषय है। वही दूसरी ओर युवाओ का भी अब आत्महत्या की ओर बढ़ते कदम बेहद चिंता का विषय बन चुके हैं यह बात और आशीर्वाद देने का अंदाज सभी को पता है।
आयुष्मान भव, जुग-जुग जियो, दूधों नहाओ, पूतों फलो का आशीर्वाद भी जिन्दगी को ठोकर मार कर मौत की आगोश में सो जाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा (40 फीसदी) युवा शामिल हैं।

नैनीताल जिला अस्पताल के बीडी पांडे के मनोचिकित्सक डॉ. गिरीश पांडे के अनुसार युवाओ का नशे की तरफ बढ़ते कदम व छोटी-छोटी बातों पर आत्महत्या जैसे ख़ौफ़नाक कदमो के पीछे काफी हद तक एकल परिवार को होना है। इन परिवारों के बच्चे अकेलापन महसूस करते है ऐसे में उनके पास सोशल मीडिया एकमात्र विकल्प होता है जिसका कई युवा गलत इस्तेमाल कर बैठते है और अपना तनाव दूर करने के लिए उनके कदम नशे की और बढ़ने लगते है और अधिकतर केसों में नशा ही आत्महत्या का कारण बनता है। डॉक्टर गिरीश पांडे का कहना है कि नशा एक मानसिक बीमारी की तरह है। शौक में शुरू किया गया नशा युवाओं और व्यक्ति को धीरे-धीरे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले लेता है। उनका कहना है कि यदि नशा करने वाले में इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो काउंसलिंग के माध्यम से नशा छुड़ाया जा सकता है।