यदि एमडीडीए के कर्मचारी न करते अवैध उघाई, तो न बिगड़ती इस शहर की सूरत!
एक दूसरे के क्षेत्र में कमाई के चक्कर में, बिना अधिकार जनता को सताते हैं, ये दोनों सुपरवाइजर
देहरादून। इस प्यारे और हरेभरे लीची के बाग और बासमती चावल की खेती बाले शहर की सूरत और सीरत बिगड़ने में यदि सबसे बड़ा हाथ रहा है तो वह है खुद एमडीडीए और उसके बाद भूमाफिया, बिल्डर्स व प्रभावशाली लोग।
ज्ञात हो कि अनुचित फायदे की फिराक में कायदों को धत्ता बताते हुए एमडीडीए के कुछ कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सभी ने दोनों हाथों से बेचारी जनता को परेशान कर अपनी पहचान विकास प्राधिकरण की बजाए विनाश प्राधिकरण कर रूप में बना ली है। यही नही एमडीडीए भूमाफियाओं और बिल्डरों व अवैध कब्जा धारकों के लिए अमृत साबित हो रहे हैं अन्यथा इस विश्वविख्यात शहर का सुकून न बिगड़ता और यहां ग्रीनरी की जगह कंकरीट के जंगल न होते।
अवैध निर्माणों को संगरक्षण करने और छुपाने बाले अधिकांश कर्मचारी और अभियन्ता इस प्राधिकरण में दशकों दशकों से एक ही जगह जमे पड़े हैं। तथा अभियन्ताओं व सुपरवाइजरों ने उपाध्यक्ष की सख्ती के चलते अब अवैध कमाई का नया फार्मूला निकाल लिया है और अब क्षेत्र के अवर अभियंताओं से अलग ये सहायक कर्मी व अधिकांश सुपरवाइजर बिना अधिकार एक दूसरे के क्षेत्र में जा-जा कर रौब गाँठते और सेटिंग गेटिंग करके अवैध कमाई करते देखे जा सकते है। ऐसा ही एक अजब मामला कल उस समय प्रकाश में आया जब शिवरात्रि पर्व के अवकाश के दिन सर्वे चौक के पास 24 ई सी रोड पर मोटरसाइकिल पर सबार एमडीडीए के दो लोग पहुँचे और एक सीनियर सिटीजन महिला के घर पर हो रहे मरम्मत, फर्श व गेट के कार्य को बिना किसी आदेश के रुकवाने लगे।
सूत्रों के अनुसार एमडीडीए के ये दोनों कर्मचारी अपने आपकोअधिकारी बता रहे थे और कह रहे थे उन्हें वीसी साहब ने भेजा है तथा उनके विरुद्ध गम्भीर शिकायत है।

बताया जा रहा जब भवन स्वामिनी ने उनसे वीसी साहब के आदेश और पहचानपत्र मांग ये दोनों और चिढ़ गए तथा मोटरसायकिल ( नम्बर UK07 DH/6744) सबार एक नए दूसरे साथी धर्मसिंह को कहा कि इनका चलन काट दे अपने आप इन्हें सब पता चल जाएगा कि हम कौन हैं।
तभी वहां उक्त महिला के बीमार पति व बेटा आ गया जिनको एक तरफ ले जाकर दूसरा अधिकारी बोला कि आप भी खर्चा पानी देदो हम चले जायेंगे नही तो आप लोग को बहुत परेशानियां झेलनी पड़ेगी।
सूत्रों की अगर माने तो ये दोनों एमडीडीए में सुपरवाइजर हैं तथा बिना अधिकार अवैध बसूली के चक्कर में जायज काम को रुकवाने की सुपाड़ी लेकर कमाई करते घूमते हैं और दजभोली भली जनता को जनता को परेशान कर एमडीडीए की छवि धूमिल करते रहते हैं। यह भी पता चला है कि ये किसी और क्षेत्र में तैनात हैं।
ज्ञात हो कि मकान की मरम्मत और फर्श सहित बाउन्ड्री बाल व गेट लगाने के लिए कोई भी किसी प्रकार की अनुमति का प्रावधान नहीं है।
क्या यह प्रश्न नहीं खड़ा होता कि यदि एमडीडीए के अधिकारी इतने ही चुस्त दुरुस्त हैं तो शहर में अवैध बड़ी बड़ी इमारतें और कॉम्प्लेक्स कैसे बन गए जो एमडीडीए के लिए मुसीबत का पहाड़ साबित हो रहे हैं। देखना यहां गौर तलब होगा कि अब नए TSR के राज्य में भी क्या ये जनता को अनावश्यक परेशान करने बाले ऐसे ही निरंकुश घूमते रहेंगे या फिर इन पर कोई कार्यवाही होगी?