हिमाचल की कुछ खास खबरें

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शिमला (वीना पाठक)। :नव निर्वाचित प्रतिनिधि अपने अधिकारों और कर्तव्यों में समन्वय स्थापित कर विकास की दृष्टि से अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन तालमेल स्थापित कर करें। शहरी विकास, आवास, नगर नियोजन, विधि, संसदीय कार्य एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज हिमाचल प्रदेश राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (हिप्पा) फेयरलाॅन शिमला में प्रदेश के विभिन्न जिला परिषदों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम विकेन्द्रिकृत शासन हेतु नेतृत्व का उद्घाटन कर अपने संबोधन में यह विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि चुने हुए प्रतिनिधि लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरे इसके लिए उन्हें तत्परता के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने आर्थिक दृष्टि से जिला परिषद की शक्तियां बहाल की है। उन्होंने कहा कि सदस्य विवेकानुरूप क्षेत्र के विकास के लिए निधि खर्च करें।
उन्होंने कहा कि पंचायती राज नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाना तथा सशक्तिकरण करना था, जिसके परिणामस्वरूप आज अधिक से अधिक महिलाएं इस क्षेत्र में चुन कर आई है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान का 73वां संशोधन कानून देश में लोकतंत्र की जड़ों का मजबूत करने की दृष्टि से मील पत्थर साबित हुआ है, जिसके तहत पंचायती राज संस्थाओं को स्थानीय स्वशासन इकाई के रूप में सशक्त भूमिका प्रदान करता है, जिसमें वे समाज में आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अभिनव प्रयास है। जिला स्तर पर जिला परिषद के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों का नेतृत्व कौशल न केवल उनकी स्वयं की क्षमता में निवेश का कार्य करता है बल्कि अपने सभी सहयोगियों और नीचले स्तरीय पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के लिए अनुसरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस प्रशिक्षण से प्रतिनिधियों के नेतृत्व क्षमता का समुचित विकास होगा व पंचायती राज संस्थाएं पंचायतों में विकास के नए आयाम स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा उनका हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।
बैठक में निदेशक हिप्पा राखी कालहो ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य एक ऐसी सुनियोजित प्रक्रिया को अमल में लाना है, जिसमें प्रतिभागी ज्ञान, कौशल तथा मनोवृत्ति में समुचित वृद्धि करके अपने दायित्व का समग्र निर्वहन कर सके ताकि सामाजिक व आर्थिक विकास की विभिन्न योजनाएं और अधिक बेहतर रूप से आमजन तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि जिला परिषद पंचायती राज संस्थाओं का सर्वोच्च स्तर है, उनके लिए बुनियादी और रिफ्रेशर कोर्स करवाना राज्य ग्रामीण विकास संस्थान का नियमित कार्य है। विकेन्द्रिकृत शासन के लिए नेतृत्व विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम विभाग के शीर्ष स्तर पर परिकल्पना कर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश के बेहत्तरीन चुनिदा अधिकारियों को कार्यक्रम में वक्ता के रूप आमंत्रित किया गया है ताकि उनके अनुभव व ज्ञान का समुचित लाभ हो सके।

इस अवसर पर संयुक्त निदेशक पंचायती राज डाॅ. राजीव बंसल ने आभार व्यक्त किया और मुख्यातिथि द्वारा दिए गए सुझावों के प्रति गंभीरता से प्रयास करते हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्रियान्वित करने को कहा।

प्रशिक्षण कार्यशाला में जिला शिमला की अध्यक्ष चन्द्रप्रभा नेगी व उपाध्यक्ष सुरेन्द्र रेटका, सोलन से रमेश कुमार ठाकुर व कमलेश पवंर, बिलासपुर से मुस्कान व प्रेम सिंह, मण्डी से पाल वर्मा व मुकेश चंदेल, ऊना से नीलम कुमारी व कृष्ण पाल शर्मा, हमीरपुर से बबली व नरेश कुमार, कांगड़ा से रमेश सिंह बराड़ व स्नेह लता, चम्बा से नीलम व हाकम सिंह, कुल्लू से पंकज परमार व वीर सिंह ठाकुर, किन्नौर से नेहाल सिंह व प्रिया नेगी, सिरमौर-नाहन से सीमा कन्याल व अजय शर्मा ने भाग लिया।
इस दौरान अतिरिक्त निदेशक हिप्पा ज्योति राणा, संयुक्त निदेशक पंचायती राज सतीश शर्मा

अपनी इकाइयों को लाभप्रद बनाने की दिशा में प्रयास करे पर्यटन विकास निगमः मुख्यमंत्री

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) को अपनी सभी इकाइयों को लाभप्रद बनाने के लिए अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के अलावा लीक से हट कर सोचना चाहिए। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां एचपीटीडीसी के निदेशकमण्डल की 156वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निगम के होटलों के शुल्कों की समीक्षा की जानी चाहिए और आस-पास में स्थापित होटलों के शुल्कों की तुलना के बाद अपने शुल्क पुनर्निर्धारित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि निगम को अपने मैन्यू से अनावश्यक व्यंजन निकालकर नए व्यंजन शामिल करने चाहिए। इससे ईर्द-गिर्द के रेस्तरां के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलेगी।

जय राम ठाकुर ने कहा कि निगम के अधिकारियों को अन्य राज्यों की पर्यटन इकाइयों का भी अध्ययन करना चाहिए ताकि वांछित परिणाम हासिल किए जा सकें। उन्होंने कहा कि होटलों की आॅक्यूपेंसी 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। कोविड महामारी के कारण निगम की सभी पर्यटन इकाइयों को काफी घाटा उड़ाना और इसके परिणामस्वरूप निगम ने पहली अपै्रल, 2020 से 28 फरवरी, 2021 तक 35.56 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्रित किया है जबकि खर्च 73.76 करोड़ रुपये का है।

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