ऑक्सीजन प्लांटों को निरन्तर बिजली आपूर्ति के लिये ऊर्जा विभाग ने कमर कसी

देहरादून। प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते एहतियात के तौर पर मरीजों को ऑक्सीजन की कमी न हो इसलिये केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के आदेशों पर ऊर्जा विभाग केे यूूपीसीएल के अधिकारियों के साथ की बैठक  में ऑक्सीजन प्लांटों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए सख्त आदेश दिए गए  हैंं।

निर्देशों में स्पष्ट कहा गया कि ऑक्सीजन की विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए बेहद आवश्यक है प्रत्येक फीडर कि आज भी पेट्रोलिंग कर ली जाए इसलिए सुनिश्चित कर लें कि लाइन की 2-2 मीटर पर कोई भी पेड़ टहनियां आदि व्यवधान पैदा करने बाली चीजें ना हो इस कार्य के लिए डीएफओ, बीएलओ से संपर्क करके कार्रवाई तत्काल सुनिश्चित कर ली जाए।

प्रत्येक ऑक्सीजन प्लांट पर 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के लिए कर्मचरियो की तैनाती चुस्त रहे ताकि आपूर्ति में व्यवधान होते ही संबंधित टीम की सूचना दी जा सके।

ऑक्सीजन उद्योग के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक फीडर में हर 1 किलोमीटर में एक आदमी की तैनाती सुनिश्चित कर ली जाए जो क्षेत्र के अंतर्गत लाइनों के पेट्रोलिंग करना सुनिश्चित करेगा जिससे ब्रेकडाउन की स्थिति में 15 मिनट के अंतराल में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके वहीं लाइन मेंटेनेंस के लिए सामग्री t&p आदि की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली जाए प्रत्येक जनपद में अधीक्षण अभियंता वितरण सुनिश्चित करेंगे कि वह आपदा प्रबंधन अधिकारी के संपर्क में रहेंगे जिससे कि आकस्मिक परिस्थिति में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए तत्काल कार्यवाही की जा सके।

निर्देशो में स्पष्ट किया गया है कि इसमें किसी भी तरह की लापरवाही व कोताही बर्दास्त नहीं कि जाएगी। इस सम्बंध में यूपीसीएल के निदेशक परिचालन अतुल अग्रवाल ने ऑनलाइन बैठक में अधिकारियों को कार्यवृत्त/  निर्देश जारी किए हैं ….

ज्ञात हो कि गत दिवस ही उत्तराखण्ड शासन द्वारा यूपीसीएल के प्रभारी एम दी एवं आईएएस नीरज खैरवाल को उक्त व्यवस्था के लिए प्रभारी अपर सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

देखना यहाँ गौरतलब होगा कि क्या एमडी यूपीसीएल व निदेशक परिचालन उक्त अनिवार्य ऑक्सीजन प्लांटों को व्यवधानरहित

बिजली आपूर्ति करा पाने में सफल हो सकेंगे या फिर घोटालों और भृष्टाचारयुक्त खरीद के उपकरण कुछ गुल खिला इन्हें ठेंगा दिखाने में हमेशा की तरह आयाम स्थापित करेगा?

 

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