कोरोना उत्तराखण्ड : डीएम स्मार्ट सिटी में व्यस्त, कोविड मस्त – जनता त्रस्त। …जब राजधानी की ही व्यवस्था चरमरा रही तो….।

क्यूँकि ना वरिष्ठ अधिकारी धरातल पर और न ही सरकार के मंत्री और सिपहसालार दिखते जायजा लेते !

ना उठने बाले फोन नम्बरों की केवल लिस्ट होती है जारी यहाँ !

देहरादून। प्रदेश के मुखिया व मंत्री एवं जिम्मेदार अधिकारी ही कोरोना के खौफ से खौफजदा होकर अपने को बंद कमरे में समेट कर भाषणों और निर्देशों से व्यवस्थाएं संभालेंगे और यथार्थ के विपरीत कागजी आंकड़ो पर ब्लाइंड फेथ कर कार्य करेंगे तो इस अवसरवादी और स्वार्थी युग में लोग मौके का नाजायज लाभ उठाने में स्वतः ही सक्रिय हो जाएंगे और जनता व पीड़ित और रेशन नजर आएंगे क्योंकि वह कहावत भी सही ही है कि संदेशों से खेती नहीं होती।

कोविड टेस्ट, आरटीपीसीआर, ऑक्सीजन और रेमिडिसिवाईजोर इंजेक्शन की हो रही कालाबाजारी और मची है लूट

ठीक यही हाल राजधानी देहरादून का वर्तमान में साक्षात देखने को मिल रहा है और कमोवेश अधिकांश जगह व्यवस्थाएं चरमराती नजर आ रही हैं। कहीँ आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए लोग भटक रहे हैं तो कहीं अस्पतालों में बीएड के लिए तो फिर कहीं रैमडीवाईसोर इंजेक्शन व ऑक्सीजन की कालाबाजारी जम के हो रही है। सूत्रों की और पीड़ितों तथा भुक्तभोगी कोविड मरीज के परेशान परिजनों की  यदि माने तो उक्त इंजेक्शन के लिए लोंगों को बीस-बीस हजार रुपये की नाजायज कीमत अदा कर  नखरों व एहसान के साथ इंजेक्शन मिल पा रहे हैं और जिले के जिलाधिकारी हैं कि प्राथमिकता में आने बाली कोविड व्यवस्था को भाषणों और संदेशों में पर्याप्त मानकर अपना व अपने अधीनस्थों के पूरा ध्यान  स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की और लगाने में व्यस्त ऐसे  नजर आ रहे हैं कि मानो स्मार्ट सिटी ज्यादा उपयोगी है जन जीवन नहीं! जबकि एक जिम्मेदार अफसर को चाहिए कि वह स्वयं कोविड व्यवस्थाओं का धरातल पर सुरक्षात्मक तौर तरीकों से अकस्मात परीक्षण कर और कड़ाई से कालाबाजारियों और घिनौनी भूमिका निभाने बालों के विरुद्ध कार्यवाही करें!

दरअसल स्मार्टसिटी भी जरूरी है क्योंकि प्रदेश के मुखिया टीएसआर-2 ने 30 अप्रैल की चेतावनी जो दे रखी है।  सीएम तीर्थ सिंह रावत को चाहिए कि वे जिलाधिकारी दून से दो- दो महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्त कर या तो जिले की जिम्मेदारी सौंपें या फिर जिलाधिकारी का दायित्व किसी और को सौंपे ताकि दोनों व्यवस्थाएं एक दूसरे को प्रभावित न करें।

उल्लेखनीय तो यह भी कल ही सीएम ने कहा था कि शराब की दुकानों पर भी बन्दी लागू होगी।किन्तु शहर के अधिकांश ठेके व अंग्रेजी शराब की दुकानें कुछ धड़ल्ले से तो कुछ बैकडोर से शराब बेचते नजर आयीं। विशेषकर कोतवाली और डालनवाला क्षेत्र की दुकानें व ठेके सक्रिय दीखे और पुलिस नजर घुमाते हुए जनता को नियमों का पालन बोल बोल कर सुनाती नजर आयी जबकि आज कोविड कर्फ्यू तथा पूर्ण लॉकडाउन घोषित है।

सैनिटाइजेसन के नाम पर भी खाना पूर्ति!

नगर निगम ने वार्डों की गलियों व पूरे क्षेत्र में न कराकर वीआईपी कल्चर का फार्मूला यहाँ भी अपनाया और जनता को राम भरोसे छोड़ा! जबकि डीएम ने सम्पूर्ण नगसर निगम एरिया में सेनेटाइजेसन किये जाने के डेस्क किये थे तथा शासन ने इसके लिए सचिव विनोद कुमार सुमन को जिम्मा सौंपा था। परंतु अतरिक्त जिम्मेदारियां कहीं भी इन तीनों आईएएस प्रभारी सचिवों की अभी तक कारगर नजर नही आयी। लोंगो को आशा थी कि शायद आज दूसरे दिन यानि रविवार को उनके क्षेत्र का नम्बर आ जायेगा परन्तु निराशा ही हाथ लगी।

पुलिस नजर तो आई कुछ खास चौराहों पर,

आयी और जमकर चलान काटे,  कोटा पूरा किया और फिर नदारद।

दोपहर के बाद से शहर राम भरोसे और कोविड कर्फ्यू तारतार।

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