नैनीताल। वैश्विक सर्वव्यापी महामारी कोविड-19 की दूसरी गंभीर लहर को दृष्टिगत रखते हुए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित करते हुए, प्रत्येक राज्य में गठित High Powered Committee को यह निर्देश निर्गत किये गये है कि, वह अपने राज्य की कारागार में निरूद्ध कैदियों को, विशेषतः जिन्हें पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के दौरान पैरोल पर रिहा किया गया था, को पुनः 90 दिन के पैरोल पर रिहा किया जाय, ताकि कारागारों में निरूद्ध कैदियों में उपरोक्त महामारी के संक्रमण का खतरा न हो सकें।
उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य-सचिव/जिला जज आर.के.खुल्बे द्वारा बताया गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेशानुपालन में उत्तराखण्ड राज्य में पूर्व में गठित High Powered Committee वर्तमान में संचालित है, जिसके पदेन अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माननीय कार्यपालक अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी जी है तथा इसके अतिरिक्त उत्तराखण्ड राज्य के प्रमुख सचिव,कारागार एवं उत्तराखण्ड राज्य के महानिदेशक कारागार उपरोक्त कमेटी के पदेन सदस्य हैं।
यह कि उपरोक्त प्रकरण के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड राज्य में गठित उपरोक्त High Powered Committee के द्वारा सोमवार को यह आदेश निर्गत किया गया है। उत्तराखण्ड राज्य की कारागार में निरूद्ध कैदियों को, विशेषतः जिन्हें पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के दौरान पैरोल पर रिहा किया गया था, को पुनः 90 दिन के पैरोल पर रिहा किया जाय तथा इस के सम्बन्ध में वहीं दिशा-निर्देशों का अनुपालन पुनः किया जाय, जिनका अनुपालन पिछले वर्ष किया गया था। उपरोक्त के सम्बन्ध में सचिव गृह/महानिरीक्षक (कारागार)/समस्त जिला जज/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अग्रेत्तर कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।
इसके अतिरिक्त उपरोक्त High Powered Committee के द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के जिलाधिकारी महोदय एवं वरिष्ठपुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को भी यह निर्देश दिए गये है कि वह उपरोक्त आदेश के अनुक्रम मे पैरोल पर रिहा होने वाले कैदियों को कारागार से उनके सम्बन्धित स्थानों तक पहुंचाने के सम्बन्ध में कोविड-19 नियमों एवं दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए, उचित कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।
इसके अतिरिक्त उपरोक्त High Powered Committee के द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के महानिदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखण्ड सहित उत्तराखण्ड राज्य के मुख्य चिकित्साधिकारी को भी यह निर्देश दिए गये है कि वह उपरोक्त आदेश के अनुक्रम में पैरोल पर रिहा होने वाले कैदियों की रिहाई से पूर्व कोविड-19 नियमों के अनुरूप आवश्यक चिकित्सीय जांच (विशेषकर कोरोना जांच) करना सुनिश्चित करें।
उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य-सचिव/जिला जज आर.के. खुल्बे द्वारा यह भी बताया गया कि उपरोक्त आदेश को तत्काल प्रभाव से उत्तराखण्ड राज्य में लागू कर दिया गया है एवं सर्व सम्बन्धितों को आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये जा चुके हैं।