लखनऊ उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में अब कार में बैठकर कोरोना वैक्सीन लगवाने की सुविधा दी जाएगी। नोएडा के डीएलएफ मॉल में कार में बैठकर टीकाकरण किए जाने का मॉडल अब दूसरे बड़े शहरों में भी लागू होगा। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। परिवार कल्याण विभाग की ओर से मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) से इसका प्रस्ताव मांगा गया है। टीका लगवाने वाले व्यक्ति की कार को आधा घंटा रोकने के लिए पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था होने पर ही यह छूट दी जाएगी, ताकि टीका लगवाने के बाद यदि किसी में कोई दुष्प्रभाव आता है तो मेडिकल टीम वहीं पर तत्काल उपचार कर सके।
महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. राकेश दुबे का कहना है कि बड़े शहरों में जहां पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था हो, वहां के सीएमओ को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली, मेरठ, झांसी, आगरा, मथुरा, सहारनपुर, अयोध्या व गाजियाबाद आदि में यह सुविधा शुरू करने की तैयारी की जा रही है। सब कुछ ठीक रहा तो जून के पहले हफ्ते से कार में बैठकर टीका लगवाने की सुविधा इन शहरों में भी शुरू की जा सकती है।
नोएडा में मई के तीसरे सप्ताह में गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने नोएडा के सेक्टर-18 स्थित डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया में 45 साल और उससे ऊपर के लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज कार में बैठकर लगवाने की सुविधा शुरू की थी, जिसके बेहतर परिणाम मिले। इससे उत्साहित स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के कुछ अन्य बड़े शहरों में भी यह सुविधा शुरू करने की रणनीति तैयार की है।
कार में बैठे वैक्सीन लगवाने के लिए आने वाले लोगों को पहले से को-विन पोर्टल पर स्लॉट बुक कराना होगा। जिनका पहले से स्लॉट बुक नहीं होगा, उन्हें यह सुविधा नहीं मिल सकेगी। वैक्सीन लगवाने के बाद 30 मिनट तक सभी कार सवार टीका लगवाने वालों का मॉनिटर किया जाएगा। इस दौरान अगर किसी को भी बेचैनी या अन्य किसी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं महसूस होगी तो वह अपनी कार का होर्न बजा कर तुरंत मेडिकल स्टॉफ को बुला सकते हैं। वैक्सीनेशन का समय सुबह 10 बजे से शाम के पांच बजे तक रखे जाने का प्रस्ताव है।
सिद्धार्थनगर घटना की होगी जांच : सिद्धार्थनगर में 20 ग्रामीणों को कोरोना से बचाव के लिए टीका लगाने में लापरवाही उजागर हुई है। इन लोगों को पहली व दूसरी डोज में एक ही कंपनी की वैक्सीन की न देकर अलग-अलग कंपनी की दे दी गई। एक डोज कोवैक्सीन और दूसरी कोविशील्ड की दे दी गई। फिलहाल अब परिवार कल्याण महानिदेशालय की ओर से मामले की रिपोर्ट मांगी गई है और जांच के बाद कार्रवाई होगी।