क्या इस मँहगे इंजेक्शन की कालाबाजारी तत्काल रोकेगा प्रशासन या फिर परेशान परिजनों को ऐसे ही लुटने देगा त्राहिमाम त्राहिमाम तक!
क्या सरकार इस ब्लैक फँगस जैसी भयावह और मँहगी बीमारी को आयुष्मान कार्ड में सम्मिलित करेगी अथवा प्रदेश सरकार इस दिशा में कोई सार्थक प्रभावशाली कदम उठयेगी!
(पोलखोल ब्यूरो चीफ – सुनील गुप्ता)
देहरादून। ये हकीकत कहीं और की नहीं बल्कि उत्तराखंड के सबसे बडे़ अस्पताल एम्स रिषीकेश की है जहाँ ब्लैक फंगस जैसी भयावह नई उपजी बीमारी से त्रस्त हैं तथा उनके परिजन और तीमारदा कोविड कर्फ्यू में इधर उधर भटक रहे हैं।
सूत्रों की अगर माने तो मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय जब परेशान और दुखी तीमारदार अपने मरीज के लिए यह दुर्लभ इंजेक्शन के लिए दर-दर भटक रहे हैं और सीएमओ साहब तो सा ब हैं ही उनके गार्ड और चफरासी उन परेशान लोंगो को लताड़ कर भगा रहे हैं और मिलने नहीं दे रहे हैं।
ज्ञात हो कि इस बीमारी के 115-120 इंजेक्शन एक एक मरीज को लगने हैं। इस अनुउपलब्ध व दुर्लभ एक इजेंकशन की कीमत एमआरपी 75 सौ और 78 सौ है। ऐसी स्थिति में पाँच से छः लाख जैसी भारी रकम की व्यवस्था कर पाना गरीब और मध्यम बर्ग के लोंगो का सम्भव है क्या?
डीएम देहरादून से जब इस सम्बंध में जानकारी चाही गयी तो उनका कहना है कि जैसे जैसे उन्हें सरकार द्वारा इंजेक्शन प्राप्त हो रहे हैं वे मरीजों को सीएमओ के माध्यम से दिलवा रहे है। फिलहाल जो भी एक तो कोरोना की मार ऊपर से अब ब्लैक फँगस!