…अब तो सम्हालो डूबती नैय्या, सीएम तीरथ रावत!
…तभी तो जानते हुये कि पाजिटिव है, सभी को मौत के मुँह में ढकेलता रहा!
…और सचिव व एमडी भी कोविड-19 के नियम तोडे़ जाने में क्यों रह जायें पीछे?
निजी प्रेम में खो गये, निदेशक एचआर – एक सप्ताह बाद सैनेटाईजेशन से क्या लाभ?
महिमा : दोनों निदेशकों को छोड़, नियम तोड़ने वाले डाईरेक्टर को दिया वेतन!
क्या इनके विरुद्ध भी होगी एफआईआर और दण्डात्मक कार्यवाही?
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। पूरा देश माननीय प्रधानमंत्री के साथ कोरोना को हराने में जुटा हुआ है वहीं देवभूमि उत्तराखण्ड में कुछ जिम्मेदार पदों पर आसीन प्रदेश के मुखिया टीएसआर-2 के शासनादेशों और आपदाअधिनियमों की अवहेलना करने में किंचित मात्र भी नहीं चूक रहे हैं क्योंकि वे अपने में मदमस्त हैं, जो कर दें वही लीला…! यही नहीं ऐसा ही एक मामला फिर आपदा अधिनियम के उल्लघंन और गैर जिम्मेदाराना हरकतों का इस वर्ष भी सीएम टीएसआर-2 के अपने मंत्रालय ऊर्जा का सामने आया है। उल्लघंन और लापरवाही तो पिछले वर्ष भी हुई थी परन्तु तब तो टीएसआर-1 की सरकार थी, जहाँ सब ठीक ही था क्योंकि जैसा मस्त व वेसुध राजा वैसा ही उसका शासन था। किन्तु अब भी क्या टीएसआर-2 के राज्य में वहीं भंग की तरंग कहावत की तरह सब वैसा ही चलेगा जैसा चलता आया है।
देंखे 8-10 दिन बाद का सैनेटाईजेशनऔर उससे सम्बंधित विभागों और नोडल अधिकारियों को सूचनार्थ गया पत्र। ये देखिए कब जागा एचआर सैनेटाईजेशन व रिपोर्टिंग के लिए …..
प्रकाश में आयी जानकारी के अनुसार पिटकुल का तथाकथित एक गब्बर रूपी निदेशक (परियोजना) लगभग दस दिनों से कोरोना संक्रमित होते हुये कमाई और शेखी व “जो कर दे लीला…!” सबको जानबूझ कर संक्रमित करता रहा यही नहीं जहाँ आला अफसरों (सचिव ऊर्जा और एमडी) को भी स्थलीय निरीक्षण पर आना था वहाँ भी दंबगई से पहुँच दर्जनों लोंगो अधिकारियों, आधीनस्थों, ठेकेदारों व मजदूरों एवं संजीवनी की भूमिका निभा रहे लिण्डे आक्सीजन प्लांट के लोंगो को संक्रमित करने में विभागीय खैरख्वाह बनने की होड़ में लगा रहा। और चापलूसी करे भी क्यों न…!
देंखे पाजिटिव टेस्ट रिपोर्ट जो कई दिनों बाद विवशता में कराई गयी नीचे…!

उल्लेखनीय तो यह भी है कि इस महामारी को गति देने और संक्रमण फैलाने में निदेशक एचआर भी अग्रणी व सार्थक भूमिका में रहे और 28 अप्रैल से 6 मई तक संक्रमण के फैलने का चुपचाप बैठे तमाशा देखते रहे। आफिस परिसर को भी तब सैनेटाईज कराया जब यह समझ में आया कि सैनेटाईजेशन के नाम पर एक बिल और बनवा कमाई हो सकती है वरना…!
निदेशक परियोजना अनिल कुमार द्वारा कई दिन बाद कराये गये कोरोना टेस्ट की दास्ताँ जो सब कुछ खुद ही स्पष्ट कर रही है, देखिए …
ज्ञात हो कि बेचारे एमडी और सचिव साहिबा को कहाँ पता था कि जिनको वे ड्यूल चार्ज और स्थलीय निरीक्षण के आदेश कर रहीं हैं वह उन्हीं के साथ छल कर रहा है। वरना क्या कोरोना संक्रमित एक निदेशक से दूसरे इन संक्रमित महाशय को चार्ज दिलाया जाता! महिमा है अपरम्पार साहब और बडे़ साहबों की! देखिए आदेश ….
सबसे मजेदार बात तो यहाँ एक और देखने को मिली जिसके अनुसार पिटकुल के अन्य निदेशक अर्थात डाईरेक्टर फाईनेंस सुरेन्द्र बब्बर, डाईरेक्टर परिचालन संजय मित्तल को मई माह का वेतन न देकर केवल निदेशक परियोजना को ही वेतन दे दिया गया जो अनुचित थे? इस महान अभिन्न प्रेम के पीछे भी प्रख्यात कॉकस से जुडे़ एक एचआर के अधिकारी और वित्त के कर्णधार की प्रशंसनीय भूमिका ही बताई जा रही है।
ऊर्जा विभाग के निगमों में भ्रष्टाचार और घोटालों में डूबे ये खतरों के खिलाडी़ चापलूसी के चक्कर में अपने ही बुने जाल में अब फँसेंगे या नही, ये तो समय ही बतायेगा कि शासन और प्रशासन इस प्रकरण पर क्या कार्यवाही करता है और संज्ञान लेता है?
देखना यहाँ यह भी गौर तलव होगा कि टीएसआर-2 के राज्य में औरों को सजामा और इन्हें मजामा रखा जाने की छूट दी जाती है या नहीं? वैसे माननीय डीएम साहब इस भारी लापरवाही और निकम्मेपन के दर्शाये गये प्रमाण ही पर्याप्त है!