उत्तराखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने प्रेम विवाह के बावजूद पत्नी की हत्या कर शव के 72 टुकड़े करने के बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के मामले में दोषी पाए जा चुके उसके पति राजेश गुलाटी के इलाज हेतु दायर किए गए अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पर राहत नहीं दी है। अलबत्ता मामले कीे सुनवाई करते हुए सरकार से दस दिन के भीतर आपत्ति पेश करने को कहा है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तिथि नियत कर दी है। मंगलवार को आरोपित की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने 17 अक्टूबर 2010 को अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्मम तरीके से हत्या कर दी। साथ ही अपराध को छिपाने के मकसद से उसने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रिज में डाल दिये थे। जबकि अनुपमा के साथ 1999 में उसने प्रेम विवाह किया था। 12 दिसम्बर 2010 को अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया तो हत्या का खुलासा हुआ। देहरादून कोर्ट ने इस घटना को जघन्य अपराध की श्रेणी में मानते हुए राजेश गुलाटी को पहली सितम्बर 2017 को आजीवन कारावास एवं 15 लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई थी। राजेश गुलाटी ने निचली अदालत के इस आदेश को वर्ष 2017 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। मंगलवार को उसकी तरफ से इलाज हेतु अंतरिम जमानत प्रार्थनापत्र पेश किया गया। फिलहाल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है।