मुक्तेश्वर। आज के दौर में जहां युवा नौकरी के पीछे भाग रहें है वहीं रामगढ़ व धारी क्षेत्र में पुन: उभरता सेब कारोबार बागवानों के लिये नई आशा की किरण लेकर आया है।
जिले के रामगढ़ ,सतबुंगा , सरगाखेत, धानाचूली , मनाघेर, पहाड़पानी आदि क्षेत्रो में पिछले तीन वर्षों तीन दर्जन से भी अधिक सेब के बाग बागवानों ने लगाये हैं। सेब की पारम्परिक खेती को छोड़कर बागवान नई उन्नत तकनीक एवं कुशल प्रबंधन द्वारा सेब की खेती कर रहे हैं।इनमें लगभग सौ फीसदी बागवान सफल हुये हैं ।
सघन बागवानी तकनीक से जलवायु परिवर्तन के बाद भी सेब की आर्गेनिक खेती अपनाकर बागवानी विशेषज्ञ डा. नारायण सिंह निवासी क्षेत्र धारी मनाघेर धानाचूली में बागवानों के मिसाल बन गये। क्षेत्र में दर्जनों नये युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं ।

डा. नारायण सिंह ने कुमांऊ विश्व विद्यालय एवं पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोडा़ से विषय ” हिमालय क्षेत्र की कृषि एवं इसके आयाम” पर शोध किया। डा.नारायण सिंह सेब की उन्नत खेती पर पुस्तक लिख चुके है जिसमें उन्होंने सेब उत्तराखण्ड के हिमालय समीप पहाडो़ में बदलती जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थियों के बाद सेब के बागवानी कार्य की बारिकियां के बारे में बताया है।वहीं सेब बगीजा में मौसम, रोग एवं अन्य प्रकोपों से बचाव के बारे में बताया गया है ।
डा. नारायण सिंह ने बताया शौकिया तौर निजि भूमि पर दो वर्ष पूर्व जैविक खेती से सेब की बंपर क्राॅप एक एकड़ में हुयी । डा. नारायण सिंह ने बताया उन्नत प्रजाति सेब गाला सिनिको और किंग राॅट के सेब का पेड़ निम्न हाइट का होता है। यह सेब 150 से 200 रुपये किलो तक बिकता है।
बगीचों को जंगली जानवरों एवं पक्षियों से बचाने के लिये बगीचे के चारों तरफ 12 फिट की फैंसिग व नैटिंग की जाती है।जिसमें समय – समय पर स्थानीय युवाओं एवं बागवानों को प्रशिक्षण देते हैं ।