कल रविवार को होगा शपथ ग्रहण समारोह!
शासन में बैठे सचिवों में भी दिखाई देगा परिवर्तन
देहरादून। आज 11वें मुख्यमन्त्री पद पर तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमन्त्री के रूप में प्रदेश की कमान पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी गयी है।
46 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं। आज भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम पर मुहर लगा दी गई।
पिथौरागढ़ की तहसील डीडीहाट के ग्राम टुंडी में 16 सितम्बर 1975 को जन्में धामी के पिता सेना में रहे तथा माता ग्रहणी और स्वयं धामी बकालत व मानव संसाधन में शैक्षिक योग्यता रखने वाले युवा है। चेहरे से मासूम स्वाभाव से मधुर तथा अन्दर से सख्त धामी काम में अधिक बातों में कम दिखाई पड़ते हैं।
सूत्रों के अनुसार कल रविवार को धामी शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इससे पहले बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर सुबह देहरादून पहुंचे। पार्टी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम भी उनके साथ पहुंचे। नरेंद्र तोमर ने बैठक से पहले तीरथ सिंह रावत से भी मुलाकात की। इधर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर भाजपा विधायकों में हलचल तीव्र हो गयी। मंथन स्थल पर विधायकों व मंत्रियों के पहुंचने का सिलसिला दोपहर दो बजे से ही शुरू हो गया था। इस बैठक में शामिल होने के लिए मंत्री रेखा आर्य, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अरविंद पांडेय, बिशन सिंह चुफाल समेत कई पार्टी नेता पहुंचे हुये थे। इस बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के देहरादून स्थित आवास के बाहर भी समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा था। बता दें कि राज्य के नए मुख्यमंत्री के संभावित दावेदारों में इनका नाम भी शामिल था। इसके अलावा मुख्यमंत्री की रेस में सतपाल महाराज का नाम भी उछल रहा था, लेकिन शायद पार्टी में फिर उनके नाम पर ठोस राय नहीं बन सकी और युवा तेज तर्रार छवि वाले जुझारू भाजपा कार्यकर्ता रहे पुष्कर सिंह धामी खटीमा से विधायक हैं।
सूत्रों की अगर माने तो धामी कैबिनेट में कुछ बदलाव भी नजर आयेगा मुन्ना सिंह और रितू खण्डूरी को शामिल करते हुये किसी के पर भी कतरे जा सकते हैं, यही हाल शासन स्तर में चौधराहट कर रहे कई सचिवों के भी पर तेज धार से कतरे जा सकते हैं ताकि जनता में आगामी चुनाव के मद्दे नजर छवि उभारी जा सके और भ्रष्टाचार पर लगाम व स्वच्छ शासन को पंख लग सके। महिला व युवा कार्ड के खेले जाने से स्थिति कुछ भिन्न ही नजर आ रही है। बाकी तो समय ही बतायेगा कि छः माह के कार्यकाल में कितनी छवि सुधरती है?