उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी व भूमि सुधार विषय पर वेबिनार आयोजित – Polkhol

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी व भूमि सुधार विषय पर वेबिनार आयोजित

राजनीति शास्त्र विभाग, राजकीय महाविद्यालय भत्रोजखान अल्मोड़ा ने उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी एवम् भूमि सुधार विषय पर ऑनलाइन वेबिनार् आयोजित किया।

इस दौरान मुख्य अतिथि जगनमोहन जिज्ञासु बोले उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों को सबसे अधिक चकबंदी एव भूमि सुधार की ज़रूरत राजनीति शास्त्र राजकीय महाविदयालय भत्रोजखान अल्मोड़ा के तत्वाधान में उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी एवम् भूमि सुधार पर एक दिवसीय राषट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया।जो कि राजनीति शास्त्र विभाग ,रामहावी भात्रोजखान द्वारा शुरू की गई ‘उत्तराखण्ड कि माटी बोले’ नामक संवाद श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित कि गई है ।

वेबीनार को सफल बनाने में प्राचार्य एवं संरक्षिका प्रो सीमा श्रीवास्तव एव समन्वयक राजनीति शास्त्र विभाग डॉ केतकी तारा कुमैया की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वेबिनर के मुख्य अतिथि एव मुख्य वक्ता जगनमोहन जिज्ञासु रहे जो CEO चैनल वॉयस ऑफ़ माउंटेंस है और IFFCO में प्रशासनिक अधिकारी है। यह चैनल उत्तराखण्ड केंद्रित खबरों का प्रचार प्रसार करता है और सुदूरवर्ती एवम् दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों कि समस्याओं जैसे पलायन, स्वरोजगार ,भूमि सुधार इत्यादि विषयो को प्रचारित करता है ।साथ ही ये पर्यटन पर आधारित जन शक्ति संगठन के भी सलाहकार है एवम् गुजडो गढ़ कि पर्यटन स्थल बनाने में संघर्षरत है तथा 2014 मे जंतर मंतर मे उत्तराखण्ड भूमि सुधार आंदोलन में मुखर रहे ।

उनके मत मे उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों कि चकबंदी अभी मैदानी एवम् तराई क्षेत्रो से पीछे है । यदि ये निष्ठा से कि जाए तो यहां अपार संभावनाएं है ।उन्होंने शीघ्र ही एक पृथक चकबंदी विभाग कि मांग को एवम् चकबंदी अधिकारियों की नियुक्ति पर भी ज़ोर दिया। इसके साथ उन्होंने राजस्व विभाग के पास जो संसाधनों की कमी है एवम् विभागीय उदासीनता की ओर , एवम् स्वैच्छिक चकबंदी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।उनके मतानुसार भूमि सुधार एवं बंदोबस्ती तभी संभव हो पाएगी जब मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और जन सहभागिता होगी ।

इसी के साथ इस ई- संगोष्ठी में अतिथि वक्ता श्री हिमांशु थपलियाल , जिला संयोजक चमोली, साहित्य परिषद उत्तराखण्ड ने भी चकबंदी के सकारात्मक पक्ष पर जोर दिया कि कैसे ये एक स्वावलंबी एवम् स्वाभिमानी उत्तराखण्ड का निर्माण कर सकती है और हालिया भूमि सुधार कानून मे जो संशोधन हुए है उनका पुनरीक्षण पर भी बल दिया।

वहीं अतिथि वक्ता सिद्धार्थ नेगी , निदेशक उत्तरांचल यूथ एंड रूरल डेवलपमेंट सेंटर , ने व्यक्तिगत चकबंदी के बदले सामूहिक चकबंदी संबंधी व्यावहारिक एवम् वैज्ञानिक जानकारी साझा की ।
प्रतिभागियों में डॉ अर्चना चौधरी ,डॉ संजय, डॉ रत्ना, डॉ प्रामाणिक , लक्ष्य पांडेय सहित कई शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों ने देश भर से विभिन्न क्षेत्रों शिरकत करी ।
वेबिनार का सफल संचालन समन्वयक एवम् प्रभारी राजनीति विज्ञान विभाग डॉ केतकी तारा कुमैया द्वारा किया गया।

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