नई दिल्ली, पिछले साल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है। उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभालने से पहले वह भाजपा कार्यालय पहुंचे और कहा कि वह अपनी पूरी क्षमता से जिम्मेदारी निभाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं सभी की उम्मीदों पर खरा उतरने की उम्मीद करता हूं। मैं कड़ी मेहनत करूंगा, जैसे मैंने पिछले 15-20 सालों में लोगों के लिए काम किया है।’ सिंधिया ने हरदीप सिंह पुरी की जगह ली है, जिन्हें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का प्रभार दिया गया है। उनके पास आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय भी होगा।
पांच बार के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए I सरकार में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री थे और यूपीए II सरकार में उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। सिंधिया उन दो पूर्व कांग्रेस नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में जगह मिली है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे दूसरे कांग्रेस नेता हैं, जो मंत्रिपरिषद में शामिल हुए हैं।
राज्यसभा सांसद ने पिछले साल मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सिंधिया के प्रति वफादार 22 विधायकों ने कमलनाथ सरकार से इस्तीफा दे दिया था। 50 वर्षीय सिंधिया, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। वह 2009 और 2012 के बीच यूपीए-II सरकार में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री थे। सिंधिया 2012 और 2014 के बीच केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।
ग्वालियर शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिंधिया पहली बार 2002 में गुना से लोकसभा के लिए चुने गए थे, जब उनके पिता माधवराव सिंधिया की एक हवाई जहाज दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। माधवराव सिंधिया 1971 में 26 साल की उम्र में लोकसभा के लिए चुने गए और ग्वालियर और गुना निर्वाचन क्षेत्रों से लगातार नौ बार चुनाव जीते।
2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना संसदीय सीट से करारी हार का सामना करना पड़ा था। वह मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा नेता ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बीए किया है।