नैनीताल: रीड लिटरेरी सोसायटी द्वारा नैनीझील में किया गया गोष्ठि का आयोजन, नौकायान के दौरान कवियों ने करी रचनाएं प्रस्तुत – Polkhol

नैनीताल: रीड लिटरेरी सोसायटी द्वारा नैनीझील में किया गया गोष्ठि का आयोजन, नौकायान के दौरान कवियों ने करी रचनाएं प्रस्तुत

 

नैनीताल। शुक्रवार को रीड लिटरेरी सोसायटी की ओर से नैनीताल झील पर आयोजित कार्यक्रम कविता की कश्ती में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की गईं।

लाकडाउन के लंबे अंतराल के बाद लखनऊ से आए कवि पंकज प्रसून के संचालन और दिल्ली के वरिष्ठ व्यंग्यकार सुभाष चंद्र की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में प्रेम, सौहार्द और समरसता की कविताएं पढ़ी गईं। पंकज प्रसून ने कोरोना में प्रेम की स्थितियों पर व्यंग्य करते हुए पढा- “तुझे आती है खांसी ये बता देती तो अच्छा था मेरा तू आइसोलेशन करा देती तो अच्छा था तेरे चेहरे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन इसे कटवा के जो तू मास्क बनवाती तो अच्छा था”। सुभाष चंदर ने पढा- “यकीन मानना नहीं होता है जिन्दगी में प्रेम तो भूल जाते हैं आपके अंदर बैठे सफेद खरगोश कुलांचें भरना। भूल जाती हैं तितलियां भी मौसम के कानों में सरगोशियां करना”। हल्द्वानी के गौरव ने पढ़ा” सुबह सोए, दोपहर सोए, रात को फिर सोना है। लाख जतन के बाद भी भाग नहीं रहा कोरोना है”। किरन पन्त ने पढ़ा “जो बातों और मुलाकातो ख्वाबों और ख्यालों में हो जिसका रुप बेमिसाल वो अपना प्यारा नैनीताल सौम्या दुआ ने पढ़ा हौले हौले दिल में उतर जाओ ना आफताब हो चिलमन से निकल आओ ना”
राजेश कुमार ने पढ़ा- जाने कब का सिलसिला कटते रहे दरख्त अब बिजली के तार पर चिड़िया काटे वक्त आंखों को तेरे रूप का आदी बना लिया सीधे-साधे दिल को फसादी बना लिया हम तो सनम तुमसे प्यार करते ही रहे तुम ने स्वयं ही खुद को विवादी बना दिया”

इस कार्यक्रम में कोविड के दौरान दिवंगत कवियों डॉ कुंवर बेचैन, कमलेश द्विवेदी, वाहिद अली वाहिद, सीमाक्षी विशाल को श्रद्धाजलि दी गई।

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