उत्तराखंड में भू-कानून को पुनर्भाषित एवं पुनर्व्याख्यायित करने कि तत्काल आवश्यकता एक आत्ममंथन विषय पर वेबिनार आयोजित – Polkhol

उत्तराखंड में भू-कानून को पुनर्भाषित एवं पुनर्व्याख्यायित करने कि तत्काल आवश्यकता एक आत्ममंथन विषय पर वेबिनार आयोजित

 

नैनीताल। राजनीति शास्त्र विभाग राजकीय महाविद्यालय भतरोजखान अल्मोड़ा ने ‘उत्तराखण्ड में भू कानूनों को पुनर्भाषित एवं पुनर्व्याख्यायित करने कि तत्काल आवश्यकता एक आत्ममंथन” विषय पर ‘ ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबीनर का आयोजन किया –

जिसमें मुख्य अतिथि हिमांशु थपलियाल संस्थापक ए बेटर टॉमोरो वेलफेयर सोसायटी चमोली ने कहा उत्तराखण्ड का अपना निजीकृत,व्यक्तिगत कानून हो अन्यथा वर्तमान भू कानून के संशोधन के अंतर्गत उत्तराखण्ड की संस्कृति ही नहीं बल्कि डेमोग्राफी /जनसांख्यिकी को बदल सकती है

प्रो सीमा श्रीवास्तव की अध्यक्षता में समन्वयक,प्रभारी राजनीति विज्ञान विभाग डॉ केतकी तारा कुमैय्या के नेतृत्व में उत्तराखण्ड में भू कानूनों को पुनर्भाषित पुनर्व्याख्यायित करने कि तत्काल आवश्यकता का एक आत्ममंथन पर ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबीनर का आयोजन उत्तराखण्ड कि ‘माटी बोले संवाद श्रृंखला ‘ के अंतर्गत किया गया जिसमे मुख्य अतिथि हिमांशु थपलियाल संस्थापक ए बेटर टॉमोरो वेलफेयर सोसायटी चमोली ने शिरकत की।

हिमांशु थपलियाल सस्थापक ए बेटर टॉमोरो वेलफेयर सोसायटी है जिला संयोजक चमोली अखिल भारतीय साहित्य परिषद,पूर्व में एबीवीपी की प्रदेश कार्यकारिणी विभाग प्रमुख चमोली के महत्वपूर्ण पद पर रह चुके है । एक ओजस्वी वक्ता के साथ ही ये उत्तराखंड के हित हेतु अपने सक्रियता के लिए जाने जाते है और उत्तराखण्ड युवा हित हेतु अपने छात्र जीवन से संलग्न रहे है|

अपने वक्तव्य में इन्होंने भू कानूनों की पृषठभूमि के साथ ही हिमाचल प्रदेश के भू-कानूनों की विस्तृत चर्चा की और उसी तर्ज पर उत्तराखण्ड मे भी एक स्वतंत्र मजबूत भू कानून की मांग रखी साथ ही वर्तमान में भू कानूनों के संशोधन 143 (क) एवम् 154(2) की समीक्षा करते हुए उनके पुनरावलोकन की मांग की जो कि भविष्य में भू माफिया को बढ़ावा देगा और सस्ती दरों में कृषकों को अपनी ज़मीन बेचने के लिए बाध्य कर देगा साथ ही यह जिस प्रकार भूमि की खरीदारी पूर्व मे जो 12.5 एकड़ थी वो अब गैर उत्तराखंडी के लिए असीमित कर दी गई है जिससे यह संभावना है कि यह वीरान हो चुके गांव के गांव खरीदे जा सकेंगे जो कि अंत में उत्तराखण्ड को अधर में रख देगा इसलिए यह कानून इसके तहत किए गए संशोधन उत्तराखण्ड की संस्कृति के लिए ही नहीं बल्कि डेमोग्राफी /जनसांख्यिकी को बदल कर रख देगा ।

प्रतिभागियों में प्राचार्य कोटाबाग प्रो नवीन भगत,डॉ एस सी पचौरी,डॉ रूमान सिंह ,डॉ एससी टम्टा ,डॉ नीलम गुप्ता डॉ.बीडी जोशी,डॉ संजीव कुमार,तथा तकनीकी सहयोग के लिए लक्ष्य पांडेय सहित कई शोधार्थियों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया। इसमें उत्तराखण्ड समेत पांडिचेरी,असम,हरियाणा ओडिशा,वेस्ट बंगाल,मणिपुर,कर्नाटक,महाराष्ट्र,राजस्थान , महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश सहित 127 से ऊपर प्रतिभागियों ने शिरकत की ।

वेबिनार के अंत मे समन्वयक प्रभारी राजनीति विज्ञान विभाग डॉ केतकी तारा कुमैया ने प्राचार्य सीमा श्रीवास्तव, मुख्य अतिथि हिमांशु थपलियाल,प्रभारी प्राचार्य डॉ एस के सिंह ,प्राध्यापको सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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