आज चौथे दिन भी नहीं ग्रहण किया एमडी के रूप में दीपक रावत ने कार्यभार : कयासों और अटकलों का दौर जारी
देहरादून। विगत 19 जुलाई को पुष्कर धामी सरकार में हुये बम्पर ट्रांसफरों में 24 आईएस इधर से उधर किये गये थे और उनमें कुछ आईएएस तो ऐसे भी थे जिनके हिलाये जाने की कल्पना भी दोंनों टीएसआर के राज्य में नहीं की जा सकती थी। इसी कडी़ में राजधानी दून के नये डीएम डा़ आर राजेश कुमार ने अग्रणी रहकर विगत दिनों डीएम दून का कार्यभार सम्भाल लिया। वहीं नयी सचिव ऊर्जा आईएएस सौजन्या जावलकर ने भी आज सुबह ही एकतरफा कार्यभार ग्रहण कर लिया। सचिव ऊर्जा के परिवर्तन से अब शायद भ्रष्टाचारों और घोटालों से भी प्रदेश को राहत मिल सकेगी। उधर आईएएस डा नीरज खैरवाल ने परिवहन विभाग का शाम चार बजे करीव पदभार ग्रहण कर लिया। खैरवाल अभी तक ऊर्जा विभाग के यूपीसीएल और पिटकुल के एमडी व अपर सचिव ऊर्जा और निदेशक उरेडा का कार्य सम्हाल रहे थे।
सूत्रों की अगर माने तो निवर्तमान सचिव ऊर्जा आईएएस राधिका झा अवकाश पर चल रहीं हैं। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आने के पश्चात हाल ही में किये गये बम्पर ट्रांसफरों में 2017 से ऊर्जा विभाग का दायित्व राधिका झा के पास ही चला आ रहा था और इस दौरान घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों में तीनों ही निगम एक से बढ़कर एक साबित हुये तथा किसी भी प्रकरण का पटाक्षेप न करके मामलों को जानबूझ कर ऐनकेन प्रकरेण ठण्डे बस्ते में डाले रखा गया परिणाम स्वरूप जनधन की वर्वादी और महत्वपूर्ण परियोजनाएँ धरातल पर नहीं उतर सकीं।
हाँलाकि आज चौथे दिन भी पिटकुल और यूपीसीएल व उरेडा का कार्यभार नवनियुक्त एमडी आईएएस दीपक रावत द्वारा नहीं ग्रहण किया गया जिसको लेकर भी तरह तरह के कयास व अटकलों का दौर जारी है। इन अटकलों और कयासों में ट्रांसफर बदलवाये जाने का कयास भी प्रमुख माना जा रहा है। जबकि जनता व उपभोक्ताओं का मानना है कि यदि दीपक रावत जैसा तेज तर्रार आईएएस आता है तो शायद इन ऊर्जा निगमों व उरेडा में कुछ आमूलचूल परिवर्तन अवश्य नजर आयेगा ! यँहा यह भी कम उल्लेखनीय यह भी नहीं है कि ऊर्जा मंत्री रावत और आईएएस रावत को लेकर जो अटकल जोर पकड़ रही है उससे लगता है कि मंत्री जी और साहब दोनों ही एक दूसरे से दूर ही रहना चाहते हैं वाकी तो समय ही बतायेगा कि युवा सीएम पुष्कर क्या समीकरण बिठाते हैं क्योंकि दोनों ही खम खाने वाले नहीं हैं और आमने सामने टकराव की आशंका भी तो बतायी जा रही है?
देखना यहाँ गौर तलव होगा कि क्या सीएम धामी के स्थानांतरण कहाँ तक अमलीजामा पहन सकता है या फिर ये आदेश भी ब्यूरोक्रेसी के दबाव में फिर बदला जा सकता है?