वक्त के ठोकरे खा कर भी हार नही मानी स्वयं के साथ अन्य महिलाओं को भी बनाया आत्मनिर्भर

 

नैनीताल। मनुष्य के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वो किसी भी विकट परिस्थिति में हार नहीं मानता बल्कि उन परिस्थितियों का सामना कर लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं नैनीताल की विजयलक्ष्मी थापा जिन्होंने उनके जीवन में आई विषम से विषम परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी बल्कि उनका सामना करके अपने परिवार का भरण पोषण ही नही करा बल्की अपने बच्चों को एक मुकाम तक भी पहुचाया और आज वो मां अपने बच्चो के साथ साथ नैनीताल की महिलाओ के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी है।

बता दें कि नैनीताल की विजयलक्ष्मी थापा जिन्होंने ने 1998 मे अपने शौक के लिए बेरोजगार महिलाओं व लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से नैनी बाल विकास समिति खोली जिसमें उनके द्वारा कडाई, सिलाई, पेंटिंग, हैन्डी क्राफट, और पारम्परिक ऐपण कला का प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन बदलते वक्त के साथ उनका यह शौक उनकी जिंदगी की जरूरत बन गया। क्योंकि शादी के कुछ समय बाद जब उनके पति नौकरी करने बाहर गए लेकिन किसी कारणवश वापस नही लौटे जिसके बाद दो छोटी बच्चियों की भी जिम्मेदारी विजयलक्ष्मी के कंधों पर आ गई और विजयलक्ष्मी अकेली हो गई। लेकिन विषम परिस्थितियों में भी विजयलक्ष्मी ने हार नही मानी और उन्होंने महिलाओ और जरूरतमंदो को निःशुल्क हस्तशिल्प, कढ़ाई व पेंटिंग आदि का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होने लगा और आज भी उनका यह प्रशिक्षण जारी है। जिसमे वतर्मान में उनके साथ करीब 50 महिलाओं का संगठन कार्य कर रहा है। इसके साथ ही अब तक वही 10 हजार से अधिक महिलाओं को सिलाई, कड़ाई पेंटिंग व हस्तशिल्प आदि का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुकी है। यह अकेली मां का ही हौसला था जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी हार नही मानी और अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाकर अपने पैरों पर खड़ा किया। विजयलक्ष्मी वर्तमान में नैनीताल वासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

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