नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में शारदीय नवरात्र के अवसर पर 65 वें दुर्गा महोत्सव की धूम मची हुई थी। जिसका समापन शुक्रवार को दशमी के दिन हो गया है। दशमी के अवसर पर सुबह विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा अर्चना की गई। वहीं बंगाली व कुमाउनी महिलाओ ने बंगाली परम्परा के अनुसार माँ दुर्गा की परिक्रमा कर पूजा अर्चना की और सिंदूर चढ़ाया। जिसके बाद सभी महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर का टीका लगाकर सिंदूर का खेल खेला।औऱ ढोल नगाड़ों में महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इस दौरान मन्दिर जय माँ दुर्गा व मां अगले बरस तू जल्दी आना के जयकरों के साथ ही घण्टियों से गूंज उठा। जिसके बाद मां दुर्गा के डोले की मन्दिर में परिक्रमा कर नैनीझील में माँ दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया गया। इस दौरान मां को विदाई देने के लिए नयना देवी मंदिर में भक्तों जनसैलाब उमड़ गया। भक्तों ने आखरी दिन मां दुर्गा को भावभीनी विदाई दी।
बता दें कि इस वर्ष भी कोविड के चलते बीते वर्ष की भांति माँ दुर्गा के डोले का नगर भृमण नही किया गया और मन्दिर परिसर में ही मूर्तियों की परिक्रमा कर नैनी झील मूर्ति विसर्जित कर दी गई।
मां का सिंदूर बहुत महत्त्वपूर्ण होता है मां को विदाई देने से पूर्व मां के दर्शन करते है मां को सिंदूर व मिठाई चढ़ाते है और मां को चढ़ाए हुए सिंदूर को सुहागन महिलाएं लगाती है ताकि आजीवन महिलाए सदा सुहागन बनी रहें और मां का आशीर्वाद सुहागन महिलाओं पर बना रहें।
– भक्त मिताली
सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए सिंदूर का खेल खेलती हैं। चार दिन मां सेवा की लेकिन आज माँ वापस जा रहीं हैं उन्हें खुशी से विदाई दी लेकिन मन में बहुत दुख क्योंकि इस दिन के लिए हमें अब एक साल का इंतजार करना पड़ेगा।
– भक्त सीमा दास
इस दौरान अध्यक्ष चन्दन कुमार दास, उपाध्यक्ष त्रिभुवन फर्त्याल, महासचिव नरदेव शर्मा, कोषाध्यक्ष राजेश कुमार, तृप्ति गुहा, दिनेश भट्ट, उमेश मिश्रा, शिवराज नेगी आदि मौजूद रहें।