रूपनगर: राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के लुधियाना क्लस्टर हेड दविंदर कुमार ने आज कहा कि लघु और सीमांत किसानों के उत्पादों के सामूहिकीकरण से उत्पादन व उत्पादन के बाद के चरणों में भी चुनौतियों को कम करने में मदद मिलती है।
श्री कुमार ने कहा कि उत्पादों के सामूहिकीकरण से उचित दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाले आदानों, संस्थागत ऋण की उपलब्धता और नवीनतम प्रौद्योगिकी, मूल्य वर्धन, प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंच में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को कम करने में मदद मिलती है।
वह यहां नाबार्ड और भारतीय औद्योगिकी संस्थान, रोपड़ (आईआईटी) की तरफ से पटियाला, लुधियाना, हरियाणा और रूपनगर जिले के किसान उत्पादक संगठनों के किसानों के लिए जागरूकता और क्षमता निर्माण हेतु एक दिवसीय कार्यशाला सह संवेदीकरण कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इस अवसर पर आईआईटी, रोपड़ के निदेशक प्रो राजीव आहूजा ने कहा कि बाजार में बने रहने और समाज की मदद करने के लिए ‘नवाचार और सहयोग’ आज एकमात्र मंत्र है। उन्होंने किसानों को फैकल्टी के साथ अपनी समस्याओं को साझा करते हुए आई आईटी रोपड़ बिरादरी से अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील करते हुए कहा कि इससे वे बेहतर व प्रभावी खेती के लिए तकनीकी समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि और जल प्रौद्योगिकी केंद्र, अवध के परियोजना निदेशक डॉ. पुष्पेंद्र पी सिंह ने किसानों को अपने उत्पादों की ग्रेडिंग और पैकेजिंग के मामले में अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि इससे उन्हें उत्पाद के लिए बेहतर रिटर्न मिल सकेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने उन किसानों के लिए आगामी नवाचारों के बारे में भी जानकारी दी जो अवध के तहत इनक्यूबेटेड हैं और 2022 की शुरुआत तक शुरू किए जाएंगे।