वाह रे, वाह ऊर्जा विभाग! जिसकी कुंडली में घोटालों का अभी है संयोग!
यूपीसीएल एमडी श्रावन्ती से 107 मेगावाट महँगी बिजली का एक और पीपीए करने की फिराक में?
25 साल तक दंश झेलें उपभोक्ता और जेबें भरें ये!
अब कौन बनेगा एमडी पिटकुल : वेदाग कोई नया या फिर वही पुराना खिलाडी़ बनेगा प्रभारी?
ऊर्जा निगमों में निदेशकों का टोटा या बरवादी की साजिश से बचायेंगें क्या पुष्कर!
दबे पडे़ रहेंगे घोटाले या होगा एक्शन भी?
इंतजार में जनता…!
कुछ मामले ये भी हैं देखिए, जिन्हें किया जा चुका हैं उजागर ! अनेकों और भी हैं…
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की खास रिपोर्ट)
देहरादून। ऐसा लगता है कि ऊर्जा विभाग की कुंडली में घोटालों का संयोग कुछ अधिक ही बन रहा है तथा महादशा कुछ अधिक ही प्रबल हो रही है क्योंकि धामी नक्षत्र से जो सम्भावनाएँ प्रारम्भकाल में दिखाई पडी़ थीं वह चाँदी की चमक के आगे समर्पण करती जा रही है। परिणाम स्वरूप राहु के रूप में आगामी चुनाव और केतु रूपी अति खर्च व काली कमाई का चस्का जोर बाँधता नजर आ रहा है इसीलिए शनिदेवों की काली छाया और काली अलक्ष्मी हावी हो निष्ठा व ईमानदारी को निरन्तर धुँधली ही करती जा रही है।
यही हाल भ्रष्टाघार और घोटालों से लवरेज इन तीनों ही ऊर्जा निगमों में हैं साथ में उरेडा के सैंकडो़ करोड़ के ग्रिड कनेक्टिड रूफटाप सोलर पाँवर प्रोजेक्ट्स का महा घोटाला जैसे प्रकरण का भी है। कारनामें व कारनामों को अंजाम दिलाने वाले आज भी रिटायर होने के पश्चात दामन और मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं ताकि उनके कारनामें और मामले उजागर न हों सकें इसी कारण और मजबूरीवश सामंजस्य स्थापि करने और कराने में सक्रिय हैं। भ्रष्ट व घोटालेबाजों के ग्रहों की चाल तेजी पर है तभी सवा करोड़ जनता वाले इस प्रदेश के मुखिया पिछली सरकारों की तरह ऊर्जा प्रदेश के उपभोक्ताओं पर छाये हुये इन ग्रहों को शांत करने में न ही कोई दिचस्पी दिखा पा रहे हैं या फिर शायद उनके गले की कोई घंटी या फिर कोई अन्य मजबूरी होगी!
ऐसा ही भयावह ग्रहचाल वाला एक ऐसा मामला फिर एक साल बाद प्रकाश में आया जिसकी दस्तक की आवाजें बता रहीं हैं कि मामला अति संगीन है और यदि धामी सरकार ने तत्काल इस महाभ्रष्ट ग्रह को शांत कर दमन नहीं किया और रोक नहीं लगाई तो ऐसा प्रकोप इस ऊर्जा प्रदेश के उपभोक्ताओं पर अगले 25 वर्षों तक पडे़गा जो अत्यधिक महँगी विद्युत दरों के रूप मे घाटा दर्शाते हुये थोप दिया जायेगा। यही नहीं इस अनुचित व स्वार्थी पाँवर परचेज प्रकरण से जहाँ यूपीसीएल के कर्मचारियोंं को मिलने वाला बोनस भी घाटे के कारण मारा जायेगा वहीं दूसरी ओर मंत्री संत्री व नेताओं एवं चाटुकार लुटियन मीडिया सहित आला अफसरों व महाबली एमडी सहित आँख बन्द कर मंजूरी देने वाले नियामक आयोग के लिए भी फलदार वृक्ष साबित होगा।
अब आपको उस होने वाली भयंकर काली बरसात और आँधी तूफान के पहले के उन घुमड़ते बादलों की ओर दिलाते हुये चलते हैं जिसकी विशात विछने लगी हैं क्योंकि जब करोंडों का दाँव लगाकर No risk – No GaIn का खेल कर हाल ही में जो कुर्सी महाबली द्वारा अनेकों वीर कुशल अभ्यर्थियों को जुगत से पिछड़वाकर हासिल की गयी है साथ ही और शेष की कमेटमेंट की गयी है उसको भी तो यहीं से पूरा करना ही होगा और खुद की बडी़ जेब का भी ध्यान तो रखना ही होगा। आखिर उसकी वसूली भी तो यहीं से होगी!
ज्ञात हो कि इसी वर्ष की शुरुआत में TSR-1 के कार्यकाल में एक दोगुनी तीनगुनी मँहगी दर पर बिजली खरीदे जाने के पीपीए का भण्डाफोड़ भी हमारे द्वारा ही किया गया था जिस कारण तत्कालीन सरकार व ऊर्जा विभाग को उस एल एण्ड टी की साँठगाँठ से मुँह मोड़ना पडा़ और जिस कारण वह जनहित का समाचार उपभोक्ताओं को अप्रत्याशित जहर से बचाने में मील का पत्थर साबि हुआ था। किन्तु इन मगरमच्छों की न बुझने वाली प्यास कुछ न कुछ उधेड़बुन में लगी ही रहती है यही कारण है कि वह काली कमाई का कीडा़ इन और साँप नाथ गये, नाग नाथ आये महाबली एमडी के शहंशाही दिमाग में घूमने लगा।
बजाए इसके कि पंजाब की वर्तमान कांग्रेसी चन्नी सरकार द्वारा GVK का खून चूसू मँहगी दर के पीपीए को कैंसिल करने वाले जनहित के एतिहासिक व
प्रशंसनीय कदम से प्रेरणा लेते हुये उत्तराखंड सरकार को यूपीसीएल के श्रावन्ती व गामा गैस बेस्ड जनरेटऱ के 225 एवं 112 मेगावाट से अधिक के 7 रू से अधिक दर पर बिजली खरीद किये जाने के पीपीए तत्काल निरस्त करने चाहिए जिनके कारण यूपीसीएल को बिना बिजली खरीदे ही PPA की शर्तों के अनुसार विगत कई सालों से लगभग 25-25 करोड़ रुपये महीना असहनीय रकम दंड (कैपिटेशन चार्जेज) के रूप में चुकानी पड़ रही है।
यूपीसीएल एमडी श्रावन्ती से 107 मेगावाट औरबिना जरूरत के महँगी बिजली का स्वार्थी 25 साला पीपीए करने की फिराक में?
ज्ञात हो कि यूपीसीएल द्वारा उक्त पीपीए 2013-14 में तत्कालीन महागुरू एमडी यादव के द्वारा किया गया था जो 25 वर्षीय गैसबेस्ड एनर्जी के पीपीए के रूप में जोंक की तरह आज भी यूपीसीएल के गले पडे़ हुये है और खामियाजे के रूप में निरंतर उपभोक्ता, स्टाफ व जनधन भुगत रहा है। यदि इसे निरस्त न किया गया तो आगे भी 2039 तक उपभोक्ताओं को भुगतना ही पडे़गा ! जबकि खुले बाजार में यही बिजली 2 से सवा दो रुपये में क्रय हेतु उपलब्ध है और आगे भविष्य में सोलर एनर्जी सहित जलविद्युत भी कम मूल्य पर बहुतायत में उपलब्ध होने वाली है, फिर ये कैसी दूरंदेशी और सूझबूझ?
सूत्रों कि अगर माने तो मत्री महोदय के अभयदान का वरदान प्राप्त महाबली एमडी यूपीसीएल ने आते ही अपनी तथाकथित करोंडो़ं की रकम की ब्याज व लाभ सहित वसूली के लिए उसी आफत के परकाले श्राबन्ती से 107 मेगावाॅट मँँहगी बिजली खरीदने के 25 वर्षीय PPA करने के कुचक्र की विशात बिछानी शुरू कर दी है और शासन से मंजूरी लेने का प्रयास भी जारी है।
यदि प्रदेश के विकास में बार बार स्वयं को बचनबद्ध बताने वाले सीएम धामी ने नहीं रोका और जनधन व जनहित में पुराना PPA पंजाब सरकार की तरह कडा़ निर्णय लेते हुये निरस्त नहीं कराया तो वह दिन दूर नहीं जब बिना जरूरत किया जाने वाला ये श्राबन्ती का PPA 10 से 12 करोड़ रूपये प्रतिमाह के कैपिटेशन चार्जेज के रूप में और भुगतना पडे़गा जो उपभोक्ता पीढी़ दर पीढी़ झेलेंगे और य महाशय PPA साईन करने से पूर्व ही मोटी करोंडों की अवैध कमाई कर रिकरिंग कमाई का खाता खोलते हुये सत्ता व नेताओं को चुनावी खर्च की खासी व्यवस्था भी कराने की फिराक में ताकि पुष्कर सरकार के सिर बदनामी का ठीकरा फूटे!
कमोवेश यही हाल नियामक आयोग का भी देखने को अबतक मिला है जो इन निगमों के काले कारनामों व दुष्कृत्यों पर रोक लगाने में नाकाम ही रहा है और आँख बंन्द करके इनके प्रस्तावों को मंजूरी दे दे, गंगा में गोते लगाता ही रहता है। देखना होगा कि इस मामले पर क्या रुख अपनाता है?
कौन बनेगा एमडी पिटकुल : वेदाग कोई नया या फिर वही पुराना खिलाडी़ बनेगा प्रभारी?
क्या खेलेखाये दागदार और चार्जशीटिड को ही मिलेगी निदेशकों के पद पर नियुक्तियाँ : नहीं तो फिर रिजल्ट में देरी क्यों?
इसे छोड़ उसे अपनाओ की कहानी भी इन्हीं ऊर्जा निगमों में कमाई और भेंट पूजा को देखते हुये चली आ रही है तभी तो इन निगमों की स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है पूर्व सचि़व ऊर्जा व TSR-1 के कार्यकाल में पिटकुल में नियुक्त एमडी सिंघल द्वारा अनुचित रूप से मनमर्जी से यूजेवीएनएल में स्वीच ओवर कर गये क्योंकि वहाँ शान्ति पूर्वक भारी भरकम कमाई भी और शोरशराबा भी नहीं…! यह ऊर्जा शासन की आदूरदर्शिता का ही परिणाम है कि सेवा नियमावली की शर्तों को तोड़ने वाले निदेशकों और प्रबंध निदेशकों पर रोक लगाने में नाकाम रहा। इस अदल बदल और प्रभारी निदेशक व एमडी के कारण ही इन ऊर्जा निगमों का निरंतर बंटाधार हो रहा है और आला आईएएस अफसर व सरकार मूकदर्शक बनी रोटियाँ सेकती जा रही है।
ज्ञात हो कि विगत 5 अक्टूबर को हुये साक्षात्कार में योग्य एमडी व निदेशकों का चयन किया जा सकता था परंतु बिडम्बना यही तो है बाड़ ही खेत को खा रही है!
मजेदार बात तो यह भी है कि लगभग दो माह होने वाले हैं परंतु धामी के तथाकथित चुस्त दुरुस्त शासन द्वारा साक्षात्कार के परिणाम (केवल एक को छोड़ कर) शेष पदों पर परिणाम नहीं घोषित किये गये हैं जिनसे सौदेबाजी की चर्चा और बदनामी दोनों ही गति पकड़ रही हैं।
बताया तो यह भी जा रहा है कि कुछ पिटकुल व यूपीसीएल के चार्ज शीटिड भी निदेशकों की कुर्सी ऐनकेन प्रकरेण हथियाने की फिराक में हैं और कुछ की तो एडवास की रकम की वापसी भी जोरशोर से चर्चा में है। खैर कयास या अटकले सही हों या गलत धामी सरकार को चाहिए कि अपना दामन साफ रखने हेतु तत्काल उचित फैसला ले और साक्षात्कार कमेटी के द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित करे या फिर रद्द कर पुनः नियुक्ति प्रक्रिया तेजी से करके नियुक्तियाँ करे।
मजे की बात तो यह है कि गत दिवस पिटकुल के प्रभारी एमडी आईएएस दीपक रावत का सरकार ने तबादला तो आयुक्त कुमायूँ के पद पर बडी़ आसानी से कर दिया और पिटकुल को फिर विना एमडी और विना निदेशक परिचालन की नियुक्ति के, रामभरोसे ही छोड़ दिया जैसे यूपीसीएल में निदेशक परिचालन व निदेशक एचआर व यूजेवीएनएल मे निदेशक एचआर के खाली ही छोड़ एक नई अराजकता को जन्म दे दिया। ताकि अति महत्वाकांक्षी और धनलोलुप मगरमच्छ सक्रिय हो जायें और सौदेबाजी अथवा जुगाड़ तुगाड़ करके एमडी पिटकुल की कुर्सी पर प्रभारी बन पुराने सभी गुनाहों और प्रकरणों पर पर्दा डालने में सफलता हासिल कर सकें।
इस कडी़ में महाबली काकस के मुखिया भी डबल चार्ज के रूप में प्रयासरत बताये जा रहे हैं।
देखना यहाँ गौर तलब होगा कि देवभूमि व ऊर्जा प्रदेश के मुखिया इन सभी मामलों पर कुछ गौर फरमाते हैं या नहीं?
दबे पडे़ रहेंगे घोटाले या होगा एक्शन भी?
वैसे यदि धामी सरकार चाहे तो इन भ्रष्टाचारियों पर निष्पक्ष व प्रभावी कडा़ रुख अपनाते हुये इन्हें इनके सही ठिकाने पहुँचा सकती है और कब्रगाह में दफन एव ठण्डे बस्ते में पडे़ मामलों पर कोई कारगर कदम उठा वास्तिवक रूप से प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त कराकर विकास के रास्ते पर लाये!
देखिये कुछ प्रकरण जो उजागर तो हुये पर एक्शन जीरो जबकि इनकी कई कई बार जाँचे तो हुईं पर एक्शन ठण्डे बस्ते में…!