बिना योग्य एमडी और डीपी के कैसे ठीक चलेगा पिटकुल : धामी साहब?

वाह रे, वाह! ऊहा पोह में ऊर्जा विभाग!

…तभी तो 40 में से 4 डाईरेक्टर भी नहीं छाँट पाया उदासीन व तमाशवीन धामी शासन!

एक लुटियन्स मीडिया के बल पर तो दूसरा धन के बल पर एमडी पिटकुल की कुर्सी की फिराक में

2022 में पूरे करने 750 करोड़ के काम

पाईप लाईन में लगभग 15 सौ करोड़ की परियोजनाएँ कैसे होंगी 2024-25 तक पूरी!

अभी जटिल प्रक्रियाओं से भी गुजरना है साढे़ 6 सौ करोड़ की एडीबी वित्त पोषित परियोजनाओं को!

भ्रष्टाचार व लापरवाही के चलते ही उत्पन्न हुआ ऊर्जा विभाग में निदेशकों व एमडी की भरपाई का संकट

एमडी तो क्या बाबू के योग्य भी नहीं हैं जनाव

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। उत्तराखण्ड ऊर्जा विभाग के पिटकुल में किसे एमडी बनना है और किसे नहीं ये बात तो समय ही बता सकता है परन्तु आज कल प्रदेश में तथाकथित ठेकेदार बने कुछ लुटियंस मीडिया अवश्य किसी एक को एमडी बनाने में खासी मश्क्कत करता अवश्य दिखाई पड़ रहा है। यही नहीं जनहित में आईना दिखाने वाला ये मीडिया अपने दायित्वों से भटक कर स्वार्थी एक ऐसे चर्चित चेहरे के पक्ष में मैनेज होकर कशीदे पढ़ते नजर आ रहे हैं जो “हंस चुनेगा दाना दुनका, कौआ मोती खायेगा” की कहावत को चरितार्थ करने जैसा लग रहा है। यही नहीं राजनैतिक दलों के चुनावी हथकण्डों की तरह दोनों ही पक्ष धामी शासन की निष्क्रियता, उदासीनता और अजब गजब की विवेकहीन सोच व कार्य करने की क्षमता का लाभ उठाते हुये दूसरा एक अति महत्वाकांक्षी मगरमच्छ भी डबल चार्ज के रूप में उक्त कुर्सी हथियाने की फिराक में ताकि अपने व अपने काकॅस के गुनाहों पर पर्दा डालने के साथ साथ पाईपलाईन में एशियन डेबलपमेंट बैंक के छः सात सौ करोड़ की परियोजनाओं और 2021-22 व 2022-23 के बजट में लगभग एक हजार करोड़ रुपये कीमत के दिसम्बर 2023 तक पूरे होने वाली परियोजनायें जो अभी अधूरी हैं में छक कर बारे न्यारे कर सकें! ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जिसके अनुसार प्रदेश की सवा करोड़ जनता में समृद्धि आये और उत्तराखंड का विकास हो सके की बात करने वाले और स्वयं को प्रदेश के विकास में पल पल कार्य करने में लगे बताने वाले सीएम शायद यह भूल रहें हैं कि यह महत्वपूर्ण ऊर्जा विभाग भी इसी ऊर्जा प्रदेश का है यदि इसको नजर अंदाज किया जाता रहा तो उसके परिणाम अनेकों वर्षों तक इसी देवभूमि के उपभोक्ता व जनता भुगतेंगे!

ज्ञात हो कि ऊर्जा विभाग के यूपीसीएल के लिए एक दूसरे का पूरक व सहायक पिटकुल विगत लगभग डेढ़ माह से सौतेले की तरह बिना निदेशक परियोजना के साथ साथ अनमने मन से कार्य कर रहे आईएएस एमडी के सहारे ही जैसे तैसे ढुलमुल रूप से चल रहा था जिससे इसकी स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है। आयाराम गयाराम की तरह इनमें आईएएस एमडी आये और चले भी गये परंतु धामी शासन का ऊर्जा विभाग अभी भी कुम्भकर्णी नींद में ही सो ही रहा है तथा वमुश्किल तमाम ऊर्जा निगमों में निदेशकों व प्रबंध निदेशकों की नियुक्ति की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया में शामिल दो एमडी व चार निदेशक विगत 5 अक्टूबर के साक्षात्कार में चालीस अभ्यर्थियों में से नहीं चुन पाया। मजे की बात तो यह भी है कि साक्षात्कार एक्सपर्ट कमेटी का परिणाम अभी तक पूर्ण रूप से घोषित न करके एक ऐसे नायाब चेहरे को एमडी यूपीसीएल के पद पर नियुक्ति कर चुका है जो नियमानुसार उक्त पद हेतु औपचारिकतायें पूर्ण करने में अभी तक अयोग्य ही साबित हुआ है अर्थात जो सभी औपचारिकतायें साक्षात्कार से पहले काॅल लेटर हेतु चयन प्रक्रिया में पूरी होनी चाहिए वे अभी तक अधूरी! उक्त महाशय की न ही एसीआर पूरी और न ही विजीलेंस इन्क्वायरी, रहा प्रश्न दामन के दागदार होने न होने की उसका तो अभी पटाक्षेप होना बाकी ही है। यही नहीं इन महाशय की नियुक्ति के साथ साथ ऐसे ऐसे महाशयों का भी साक्षात्कार कराया जा चुका है जो पिटकुल में गम्भीर मामलों में चार्जशीटिड हैं। कुछ दागी और भ्रष्ट चीफ इंजीनियर व निदेशक भी साक्षात्कार में काॅल लेटर जारी न किये जाने से तिलमिलाये घूम रहे हैं इन्हीं में से एक निदेशक जो पहले दूसरी कम्पनी अर्थात यूपीसीएल में निदेशक मा.सं. रहे अपने उक्त कार्यकाल को मनमाने ढंग से जोड़कर खुद को वरिष्ठता के क्रम मं गिनवा लाभ उठाना चाह रहे हैं ताकि ऊर्जा शासन द्विग भ्रमित होकर उन्हें एमडी पिटकुल की कुर्सी सौंप सके जबकि यही महाशय नियुक्ति प्रक्रिया के विरुद्ध उच्च न्यायलय की शरण में पहुँचे हुये है यह रिट पिटीशन योग्यता के आधार को लेकर की गयी है जो इन्दु कुमार पाण्डे कमीशन के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया के विरुद्ध बताई जा रही है। उक्त रिट WPSB 454/2121 अभी भी विचाराधीन है वहीं दूसरी ओर स्वयं ही वरिष्ठ व योग्य कहलवा रहे हैं?

यही नहीं आज अगर उक्त महाशय की शैक्षिक योग्यता अर्थात एलएलबी की डिग्री के प्रकरण पर ईमानदारी से गम्भीरतापूर्वक गौर फरमाया जाये तो उक्त महाशय ने बिना शैक्षिक अवकाश व अनुमति के रेगुलर पढा़ई वाला कोर्स कैसे पूरा किया गय? बताया तो यह भी जा रहा है कि उक्त प्रकरण अभी भी लम्वित व ठण्डे बस्ते है। सूत्र तो यहाँ तक बताते हैं कि उक्त निदेशक मा.स. महोदय पिटकुल के एक पुराने गम्भीर 132 केवी WAY प्रकरण में निवर्तमान आईएएस एमडी द्वारा माँगी गयी जानकारी में जानबूझ कर गलत तथ्यों से परिपूर्ण और भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराये जाने का शोकाॅज नोटिस भी झेल चुके हैं जिस पर जाते जाते एमडी से विराम भी लगवाया जा चुका है। ऐसे में ये जो महाशय को मैनेज मीडिया के बल पर अपने आपको वरिष्ठ कहलवा रहें हैं एमडी तो क्या बाबू के योग्य भी प्रतीत नहीं हो रहे हैं। यह भी मजेदार तथ्य चर्घा में हं कि उक् महान विभूति आठ-दस विधायकों और कुछ मंत्री संत्री से अपनी सिफारिश में पत्र भी लिखवा कर अनुशासन हीनता जैसे दुष्कृत्यों को भी अंजाम दे चुके हैं।
खैर ये मामला तो धामी शासन के विवेक और ऊर्जा मंत्री की बुद्धि पर निर्भर करेगा और समय बतायेगा! वैसे यहाँ बताना उचित होगा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी अनेंकों इस प्रकार के चार्ज दिये जाने के मामलों में स्पष्ट कर चुका है कि चार्ज या जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी जाये जो योग्य व सक्षम हो, वरिष्ठता इसका आधार नहीं होना चाहिए!

उल्लेखनीय यह तो होगा ही कि अब तक विमुख व नजर अंदाज रहे पिटकुल को एमडी या प्रभारी एमडी के रूप में कौन मिलता है तथा महत्वपूर्ण निदेशक परियोजना के खाली पद पर किसकी तैनाती होती है जो इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को विना किसी कलंक के सफलता के साथ पूरी करा सके तथा अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र एडीबी और बर्ल्ड बैंक में अपनी छवि निहार सके जो कोवरा प्रकरण में अपना बहुमूल्य समय व योग्य मैनपाॅवर व्यर्थ करने का दंश झेल चुकी है।
इन परियोजनाओं में दिसम्बर 2023 तक पूरी की जाने वाली 220 केवी सब स्टेशन बृह्म्मवारी 110 करोड़, जनवरी 2023 तक पूरी की जाने वाली 115 करोड़ की 400 केवी तपोवन – पीपल कोटि ट्रांसमीशन लाईन, लगभग 750 करोड़ कीमत के तीन पैकेज वाली 400 केवी लाईन पीपल कोटी से श्रीनगर व सब स्टेशन जिसे दिसम्बर 2022 तक पूरा हो जाना चाहिए इसी प्रकार सिंगरौली भटवारी से वृह्म्मवारी तक की 220 केवी 40 करोड़ की ट्रांसमीशन लाईन को मार्च 2023 तक पूरा होना है तथा सिमली 132 केवी सबस्टेशन पर WAY का 20 करोड़ से निर्माण दिसम्बर 2024 तक पूरा करना है जबकि वास्तविकता यह है कि पिटकुल से हाल में रवाना हो चुके निदेशक परियोजना महाशय की कार्य प्रणाली से ये सभी परियोजनाएँ अभी अधूरी भी नहीं हों पायीं हैं ऐसे में अपरिपक्व, वदनाम और स्वार्थी छवि के लोंगो की तैनाती से इनका भविष्य क्या होगा?
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि उन एडीबी वित्त पोषित लगभग 650 करोड़ की परियोजनाओं का क्या होगा जिनकी प्रक्रिया अभी शुरू होनी है उनमें 5 GIS सब स्टेशन एवं AIS सब स्टेशन एवं ट्रांसमिशन लाईनों व अण्डर ग्राउण्ड केबिलिंग के लगभग दस महत्वपूर्ण परियोजनाएँ साकार होनी हैं!
धामी सरकार और ऊर्जा विभाग को तत्काल ऊर्जा निगमों यूपीसीएल, पिटकुल व यूजेवीएनएल में खाली पडे़ सभी निदेशकों के पदों पर तथा एमडी पिटकुल की स्थाई नियुक्ति करे ताकि विकास को गति मिल सके और जबावदेही सुनिश्चि हो सके।

ज्ञात हो कि इसी माह यूपीसीएल में निदेशक मा.स.का पद पुनः प्रभारी निदेशक सेवानिवृत्त हो जाने के कारण रिक्त होने वाला है तथा पिटकुल में डीपी के हाल ही में रिक्त हुये पद के अतिरिक्त निदेशक ओ एण्ड एम का पद भी अप्रैल 2022 में रिक्त होने वाला है और निदेशक वित्त का स्तीफा अभी विचाराधीन ही है!

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