जय हो! जंगल नहीं ऐसे मंगल राज की!
यह पद का दुरुपयोग या सीएम इतने खाली कि अब सिफारिशें ट्रक छोड़ने की!?
…फिर भी एआरटीओ ने वसूला 45 हजार जुर्माना, क्यों
ये कानून की जय या सीएम के आदेश का पलीता
जब सीएम धामी कार्यालय का यह हाल है तो…
देहरादून। उत्तराखंड में जो न हो जाय वह उतना ही कम है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जिससे लगने लगा है अब यहाँ जंगल राज नहीं बल्कि मंगल राज हो गया है, तभी तो प्रदेश का मुखिया इतना काम विहीन अर्थात फ्री हो गया कि अब क्रिमनलों और कानून तोड़ने वालों की सिफारिशें भी कर “खाली से बेगार भली” की कहावत को चरितार्थ करते दिखाई दे रहे हैं। यह गजब की चिठ्ठी डिजीटल मीडिया और सोशल मीडिया पर खासी चर्चा में गूँज रही है। मजे की बात तो यह है कि इस पत्र पर सीएम धामी द्वारा कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आयी है।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पीआरओ (जन संपर्क अधिकारी) नंदन सिंह बिष्ट के द्वारा बागेश्वर के पुलिस अधीक्षक को अपने लेटर हेड पर एक पत्र लिखा गया है जिसमें मुख्यमंत्री के मौखिक आदेशों का जिक्र करते हुये पुलिस द्वारा किये गए एक वाहन का चालान निरस्त करने को कहा गया है। गंभीर बात तो यह है कि ये तीनों वाहन बड़े ट्रक हैं और तीनों को खड़िया की खनन सामग्री से ओवरलोडेड होने के चलते मोटर वाहन अधिनियम के तहत पकड़ा गया। सीएम ऑफिस से इनका चालान निरस्त करवाने के लिए भेजा गया यह पत्र विपक्षी कांग्रेस को एक नया मुद्दा दे सकती है, क्योंकि प्रदेश में अवैध खनन को लेकर कांग्रेस व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले से ही मुख्यमंत्री पर हमलावर हैं।
विदित ही है कि किसी वाहन का चालान करना एक ऑपरेशनल क़ानूनी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में किसी राजनेता, मुख्यमंत्री, मंत्री या किसी बड़े अफसर का लिखित में किसी के पक्ष में कार्यवाही किये जाने को कहना गैरकानूनी होने के साथ ही अपने पद और अधिकारों का अनुचितरूप से दुरुपयोग करना माना जाता है. और नैतिक तौर भी इसे सही नहीं माना जाता।
ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पीआरओ (जन संपर्क अधिकारी) नंदन सिंह बिष्ट के द्वारा बागेश्वर के पुलिस अधीक्षक को अपने लेटर हेड पर एक पत्र सं. 172/ मु म. का. दिनांकित 8 दिसम्बर 2021 में लिखा जाना है, कि मुख्यमंत्री जी के मौखिक निर्देशानुसार मुझे यह कहने का आदेश हुआ है कि 29.11.2021 को बागेश्वर यातायात पुलिस द्वारा वाहन संख्या यूके 02-सीए 0238, यूके 02-सीए 1238 और यूके 04-सीए 5907 का किया गया चालान निरस्त करने का कष्ट करें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पीआरओ का यह लैटर सामान्य नहीं है, और इसमें मुख्यमंत्री क्या चाहते हैं और क्या निर्देश दिए हैं यह भी सामान्य नहीं है, यह लैटर इस बात का गवाह है कि प्रशासनिक और क़ानूनी कार्रवाई में किस तरह से हस्तक्षेप किया जा सकता है, यदि इस लैटर में जांच कर उचित कदम उठाने के निर्देश दिए जाते तो भी ठीक था, लेकिन इसमें तो सीधे यह बताया गया है कि मुख्यमंत्री जी के आदेश हैं इसलिए इन वाहनों के चालान को निरस्त कर कर दें।
खड़िया के खनन से ओवरलोडेड थे तीनों वाहन जिन वाहनों का चालान निरस्त करवाने की सिफारिश मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनके पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट ने बागेश्वर के पुलिस अधीक्षक से की है वो तीनों वाहन खड़िया से भरे थे और ओवरलोडेड थे. सभी जानते हैं कि बागेश्वर अल्मोड़ा में खड़िया का व्यापक पैमाने पर खनन होता है. पुलिस अधीक्षक अमित श्रीवास्तव ने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्र में जिन तीन वाहनों का उल्लेख है उन्हें पुलिस ने खड़िया से ओवरलोडेड होने के कारण पकड़ा था, तीनों को एआरटीओ को भेज दिया है अब यह मामला एआरटीओ ऑफिस या न्यायलय से ही निस्तारित होगा !
उल्लेखनीय यह है कि इसे सीएम के आदेशों और उस चिठ्ठी का पलीता है जो पीआरओ द्वारा भेजी गयी या फिर उस एआरटीओ की हिम्मत को दाद देने का है जिसने तीनों ट्रकों से क्रमशः 15 हजार, 13 हजार और 17 हजार (कुल 45 हजार) जुर्माना वसूल करके छोड़ दिया गया।
ब्रेकिंग छपते – छपते :
कल से सोशल मीडिया में सीएम पुष्कर धामी के जनसंपर्क अधिकारी का लेटर वायरल हो रहा है. वायरल पत्र में जनसंपर्क अधिकारी के एसएसपी बागेश्वर से तीन वाहनों का चालान निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं. सलाहकार चले थे चालान निरस्त करने मुख्यमंत्री धामी ने उनको खुद ही निरस्त करने के व जांच दे दिए हैं वहीं, मामला सामने आने के बाद सीएम ने अधिकारी को बर्खास्त करते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं.