चारधाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

नई दिल्ली:   उच्चतम न्यायालय ने पर्यावरण रक्षा के उपायाें पर अमल करने की शर्ताें के साथ चीन की सीमा तक जाने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण तीन सड़कों की चौड़ाई साढ़े पांच से 10 मीटर बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी 12000 करोड़ रुपए की करीब 900 किलोमीटर लंबी चारधाम राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को मंगलवार को हरी झंडी दे दी।

न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने केन्द्र सरकार की उस दलील का संज्ञान लिया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामरिक दृष्टि से दोहरी सड़कों की चौड़ाई साढ़े पांच से बढ़ाकर 10 मीटर किया जाना अनिवार्य बताया था। पीठ ने चौड़ाई बढ़ाने का विरोध कर रही स्वयंसेवी संस्था की दलीलों को भी खारिज नहीं किया और इस संदर्भ में पर्यावरण के उच्च मानक का पालन नहीं होने की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्टों का संज्ञान लिया।

शीर्ष अदालत ने रक्षा मंत्रालय की उस दलील पर सहमति जतायी जिसमें परियोजना के तहत आने वाली तीन सड़कों को सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया गया है। अदालत ने माना कि ये सड़कें अन्य पर्वतीय सड़कों से अलग महत्व की हैं। अदालत ने भारत-चीन सीमा पर हाल के बदले हुए हालात को देखते हुए परियोजना के तहत ऋषिकेश से गंगोत्री (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 94 एवं 108), ऋषिकेश से माणा (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-58) और टनकपुर से पिथौरागढ़ (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125) सड़कों की 10 मीटर तक चौड़ाई बढ़ाने की रक्षा मंत्रालय गुहार स्वीकार कर ली।

पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इन महत्वपूर्ण रणनीतिक सड़कों की चौड़ीकरण की मंजूरी के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा से जुड़े सभी उपचारात्मक उपायों को लागू करने लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति का गठन किया है। यह समिति उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों के अमल सुनिश्चित करेगी।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) ‘सिटीजंस फॉर ग्रीन दून’ की उठायी गयी पर्यावरण संबंधी चिंताओं को भी स्वीकार किया और इससे संबंधित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के उस निष्कर्ष को भी तवज्जो दी, जिसमें निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरण की रक्षा लिए बेहतरीन उपायों को नजरअंदाज करने बात कही गई थी।

उच्चतम अदालत ने सितंबर 2020 में केंद्र सरकार को उसकी 2018 की अधिसूचना के अनुपालन के मद्देनजर सड़क की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर रखने का आदेश दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा पर गत एक वर्ष में बदले हुए हालात के मद्देनजर सैन्य सुरक्षा घेरा मजबूत करने आवश्यकता का हवाला देते हुए सड़क की चौड़ाई 10 मीटर करने की अनुमति देने की गुहार लगायी थी।

सिटीजंस फॉर ग्रीन दून केंद्र सरकार की इस मांग का यह कहते हुए विरोध कर रही थी कि सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने से पर्यावरण को अपूरणीय क्षति होगी। पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाएंगी। हिमालय क्षेत्र में सड़कों की चौड़ाई बढ़ने से दुर्लभ जलीय जीवों एवं जानवरों के अस्तित्व का खतरा बढ़ जाएगा। निर्माण कार्य से ग्लेशियर के पिघलने की आशंका है। इस वजह से गंगा और उसकी विभिन्न सहयोगी नदियों के जल स्तर में वृद्धि से देशभर में जान माल का भारी नुकसान होने की प्रबल संभावना है।

पिछली के सुनवायी के दौरान खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा था कि पिछले एक साल में भारत-चीन सीमा पर जमीनी स्थिति में एक बड़ा बदलाव आया है। इस वजह से सैनिकों और सैन्य साजो-सामान के लिए निर्धारित स्थान पर आवागमन के वास्ते प्रस्तावित सड़कों की चौड़ाई बढ़ाना अनिवार्य हो गया है।

सुनवाई के दौरान श्री वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार की राय से पीठ को अवगत कराते हुए कहा था कि 1962 जैसे चीन से युद्ध के हालात मुकाबला करने के लिए तीनों राजमार्गों का चौड़ीकरण अब अनिवार्य हो गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से अनुमति दी जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर 2016 को इस परियोजना के कार्य का शुभारंभ किया था। यह परियोजना दिसंबर 2021 तक पूरा करने की योजना थी। ‘ऑल वेदर रोड’ के नाम से मशहूर 889 किलोमीटर चार धाम राजमार्ग सड़क परियोजना के पूरी होने से उत्तराखंड में चार हिंदू तीर्थस्थल- बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का सफर हर मौसम में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए भी सुहाना हो जाएगा। परियोजना के शुभारंभ के अवसर पर कहा गया था कि इससे लाखों श्रद्धालुओं को हर मौसम चारधाम की यात्रा करने में सहूलियत होगी।

इस परियोजना की घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 23 दिसंबर 2016 को की थी

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