स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में आध्यात्मिक चेतना के योगदान की हुयी अवहेलना: मोदी – Polkhol

स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में आध्यात्मिक चेतना के योगदान की हुयी अवहेलना: मोदी

वाराणसी:  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि देश की राजनीति और स्वाधीनता आंदोलन भारत की विशिष्ट आध्यात्मिक चेतना से प्रेरित रहे हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इतिहास में इस पक्ष की अवहेलना की गयी।

मोदी ने यहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर में सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वार्षिकोत्सव समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि स्वाधीनता संग्राम के समय सद्गुरु ने देश को स्वदेशी का मंत्र दिया था। उन्होंने कहा कि देश की संत परंपरा के लोग स्वाधीनता संग्राम के समय अपने आश्रम तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन लोगों ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निर्वाह किया। दुर्भाग्यवश देश के इतिहास में इस पक्ष को नजरंदाज किया गया।

विपरीत परिस्थितियाें में संत परंपरा के मार्गदर्शन के महत्व का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “हमारा देश इतना अद्भुत है कि यहां जब भी समय विपरीत होता है, कोई ना कोई संत विभूति समय की धारा को मोड़ने के लिए अवतरित हो जाती है।”
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।

मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तेज गति से हो रहे विकास कार्यों का भी जिक्र करते हुये कहा कि आज बनारस का विकास पूरे देश के विकास का रोडमैप बना रहा है। उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परिसर और बनारस रेलवे स्टेशन को नया स्वरूप देने के काम का उदाहरण देते हुये कहा कि इन परियोजनाओं में पुरातनता और नवीनता का अद्भुद मिश्रण किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार देर रात मोदी और योगी ने बनारस रेलवे स्टेशन सहित शहर में विभिन्न विकास कार्यों का निरीक्षण किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, “बनारस जैसे शहरों ने मुश्किल से मुश्किल समय में भी भारत की पहचान, कला और उद्यमिता के बीजों को सहेजकर रखा है। जहां बीज होता है, वृक्ष वहीं से विस्तार लेना शुरू करता है। और इसीलिए, आज जब हम बनारस के विकास की बात करते हैं, तो इससे पूरे भारत के विकास का रोडमैप भी बनता है।

मोदी ने अपने संबोधन में प्राकृतिक खेती के महत्व का उल्लेख करते हुये विहंगम योग संस्थान से किसानों को इस दिशा में जागरुक करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत में पशुधन और गोबर खेती का आधार रहा है और आज भी जैविक खेती का आधार है।

इस अवसर पर उन्होंने बेटियों को पढ़ाने, उन्हें काैशल विकास के लिये प्रशिक्षित करने, जलसंरक्षण के उपाय करने और जीरो बजट खेती को बढ़ावा देने का संकल्प भी दिलाया। उन्होंने कहा, “मैं आज आप सभी से कुछ संकल्प लेने का आग्रह करना चाहता हूं। ये संकल्प ऐसे होने चाहिए जिसमें सद्गुरु के संकल्पों की सिद्धि हो और जिसमें देश के मनोरथ भी शामिल हों। ये ऐसे संकल्प हो सकते हैं जिन्हें अगले दो साल में गति दी जाए, मिलकर पूरा किया जाए।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *