वाह रे, वाह ऊर्जा विभाग वाह! सुलगाई चिनगारी या आत्मघाती खेल
तीन उगँलियां खुद की तरफ वाले एमडी बने एक्सप्रेस चैनल के पक्षधर
…जो कभी न हुआ वह अब मिलेगा देखने को!
जाते जाते गुल खिलाने और अमलीजामा पहनाने में मशगूल हैं प्रभारी निदेशक (एच आर)!
(सुनील गुप्ता, ब्यूरो चीफ)
देहरादून। उल्टे पुल्टे कामों में प्रख्यात उत्तराखंड का ऊर्जा विभाग में आज तब बजाए खुशी और वाहवाही के एक नई चिनगारी सुलगने लगी जब तथाकथित पलटू ऊर्जा मंत्री और अडियल स्वभाव वाले संरक्षण प्राप्त एमडी जो खुद को न देख फील्ड में रहने वाले अभियंताओं की प्रोन्नति में बाधक एवं अनेकों राज्यों व विभागों में समाप्त हो चुकी एक्सप्रेस चैनल व्यवस्था को सही ठहरा कर उसके पक्षधर बन “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” की कहावत को चरितार्थ करने में लगे दिखाई पडे़। जबकि सोलह दूनी आठ का पहाडा़ पढा़ने के माहिर निदेशक एच आर जाते जाते लूट खसोट के इस खेल में सरताज बर्ने नजर आये जिसे आत्मघाती खेल बताया जा रहा है।
अभिंयताओं की ओर उंगली उठाने वाले एमडी शायद यह भूल कर बैठे हैं कि उनकी ओर एक नहीं तीन – तीन उंगलियाँ भी उन्हीं की हैं भले ही संरक्षण ऊर्जा मंत्री का ही क्यों न हो!
बताया तो यह भी जा रहा है कि मुख्यालय में आठ – आठ और दस – दस सालों से जमे अधिशासी अभियंताओं को स्वार्थवश साँठगाँठ के चलते अनुचित लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से ही इस विवादित व्यवस्था को जाते जाते इसी माह सेवा निवृत्त होने वाले प्रभारी निदेशक (मानव संसाधन) ने भी बहती गंगा में हाथ धोते हुये वास्तविक हकदार अभियंताओं पर कुठाराघात करने में तनिक भी देर नहीं लगाई और साजिश को फटाफट अमली जामा पहना दिया। वैसे भी वर्तमान प्रभारी निदेशक एच आर को प्रोन्नति व ट्रांसफर- पोस्टिंग के महारथी बताये ही जाते हैं।
यही नहीं चर्चा तो यहाँ यह भी है कि ऊर्जा मंत्री की कृपा दृष्टि के चलते जिस दबंगयी व व्यवस्था और फार्मूला के चलते सारे नियम व कानूनों को बलाए ताक रखते हुये एमडी के पद पर नियुक्ति हुई थी उसी फार्मूले की पुरावृत्ती उल्टे पुल्टे कामों के माहिर रहने वाले मंत्री की शह के चलते ही ये खेल खेला गया और अडियल रुख अपनाते हुये एमडी ने भारी विरोध के वाबजूद एक्सप्रेस चैनल व्यवस्था में उक्त डीपीसी कराई।
आरोप तो भी यह भी है कि ऐसी कौन सी बजह थी जो विगत दस वर्षों से निरन्तर विरोध झेल रही एक्सप्रेस चैनल व्यवस्था के पक्षधर एकाएक मंत्री और वर्तमान एमडी कैसे बन बैठे? जबकि विगत 18 सितम्बर 2021 को ही ऊर्जा मंत्री के द्वारा उक्त व्यवस्था को तत्काल समाप्त किये जाने के निर्देशों तत्कालीन सचिव ऊर्जा को दिये गये थे कि होने वाली बोर्ड मीटिंग में उक्त व्वस्था को समाप्त कराया जाये फिर भी…!
सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि आठ – आठ सालों से एक ही जगह व मुख्यालय में जमे हुये कुछ अभियंताओं को इसका अनुचित लाभ देने और भारी भरकम वसूली ही इसका कारण बनी और चुनावी माहोल में दबंग मंत्री की आड़ में सफाई से गुल खिला दिया गया तथा बहुप्रतीक्षित डीपीसी में चहेतों का प्रमोशन देकर दूसरे हकदार अभियंताओं की एसीआर व केपीआई पर उगली उठाने वाले एमडी के इस कृत्य से निगम के अधिकांश अभियंताओं में रोष व्याप्त है। उनके इस रोष की चिनगारी सामूहिक स्तीफे के विकल्प की ओर कदमों को गति देने की सम्भावना को भी जन्म दे रही है क्योंकि अभियंताओं द्वारा अपने दिनांक 27 दिसम्बर के विरोध पत्र में भी स्पष्ट करते हुये विरोध जताया जा चुका था।
ज्ञात हो कि उत्तरांचल पाॅवर इंजीनियर एसोसियेशन द्वारा विरोध व्यक्त करते हुये बताया गया था कि उक्त व्यवस्था लागू रहने से कनिष्ट अभियंता वरिष्ठ अभियंताओं से पहले पदोन्नति पा लेंगे जो कि व्यवहारिक नहीं होगी तथा इससे मनोबल एवं कार्त्र दक्षताक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पडे़गा, ऐसी स्थिति में प्रभावित अभियंताओं के पास सामूहिक त्याग पत्र देने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प शेष नहीं होगा।
ज्ञात हो कि इस डीपीसी में एमडी के अडियल रुख और अव्यवहारिक निर्णय पर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। यही नहीं उस बजह को भी लोग जानना चाह रहे कि वह ऐसी कौन सी बजह थी कि ऊर्जा मंत्री अपने आश्वाशन व निर्देशों से एकाएक कैसे पलट गये?
इन्हीं प्रतिक्रियाओं में यह भी कहा जा रहा है कि हमारे अधिकारों का हनन करने वाले तथा पिछले दस वर्षों की एसीआर और अच्छा काम देखने वाले एमडी को पहले स्वयं अपने गिरहवान में भी झाँक लेना चाहिए तथा अपनी एसीआर व कामों को देखते हुये मनन कर लेना चाहिए ?
ज्ञात हो कि यूपीसीएल में आज लगभग एक दर्जन प्रमोशन किये गये हैं। आज हुई डीपीसी के तहत प्रोन्नतियों में अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता स्तर-2 से स्तर-1 पर तथा एक प्रमोशन महाप्रबंधक (मा.स.) के पद पर किया गया है।
ज्ञा हो कि आज जिनकी पदोन्नतियाँ हुई हैं उनमें अधिशासी अभियंता बी एस पंवार, ए के धीमान, रघुराज सिंह, विकास गुप्ता एवं प्रदीप कुमार आदि हैं जिन्हें अधीक्षण अभियंता के पदों पर प्रोन्नति दी गयी है तथा मुख्य अभियंता स्तर-2 रजनीश अग्रवाल को स्तर-1 और के बी चौबे उप महाप्रबंधक (मा.स.) से महा प्रबंधक (मा.स.) के पद पर प्रमोशन दिया गया है।
वहीं जिनके अधिकारों का हनन इस एक्सप्रेस चैनल व्यवस्था से हुआ और प्रभावित हुये वे मान रहे कि प्रबंधन उन्हें सीटें खाली होने और उनकी प्रोन्नति का लालीपाॅप पकडा़ने का भी प्रयास कर रहा है किन्तु इस झाँसे में वे आने वाले नहीं हैं।
देखना यहाँ गौर तलव होगा कि मुख्य मंत्री धामी के गले की फाँस बने ऊर्जा मंत्री के इस कदम पर कोई प्रभावी कार्यवाही होती हैं या नहीं? या फिर यूँ ही इन कैबिनेट मंत्री व उनके संरक्षणाधीन एमडी के दुष्कृत्यों से मुँह मोड़ लिया जाता रहेगा?