ऊर्जा मंत्री को ठेंगा दिखा, सीएम धामी से क्यों बँटवाये गये संदिग्ध अवर अभियंताओं के नियुक्ति पत्र – Polkhol

ऊर्जा मंत्री को ठेंगा दिखा, सीएम धामी से क्यों बँटवाये गये संदिग्ध अवर अभियंताओं के नियुक्ति पत्र

मुठ्ठी मे : हजारों करोड़ के ट्रांजेक्शन वाले यूपीसीएल और पिटकुल अब एकल स्वामित्व की ओर…!
गजब : पिटकुल के डीपी भी और अब यूपीसीएल के निदेशक एचआर भी?
त्रुप का पत्ता : क्या है इस दो दिन वाले आदेश और उसकी शक्ति समाहित के प्रमुख सचिव ऊर्जा के आदेश के पीछे का मंतब्य !
अनदेखी : यूपीसीएल के प्रशासनिक हेड एवं ऊर्जा मंत्री कैबिनेट स्तर की अनदेखी ?
शाबाश : 40 करोड़ की चिंता न करके, सजा की बजाए दोषियों को किया रीइंस्टेट?
बेधड़क :  एमडी ने ऊर्जा मंत्री को अंधेरे में रख, बनवाया पिटकुल के साथी गुनहगार को डीपी यूपीसीएल
चुप्पी : पूर्व आईएएस एमडी की निंदा प्रविष्टी और घोटालों में संलिप्तता का पत्र भी खटाई में?
दबंग की दबंगई : सारे नियमों और कानूनों को बलाए ताक रख, हुई इस नियुक्ति से एमडी बने दबंग, और अब तो सीएम भी हैं संग तो कौन रोकेगा दबंगयी!
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। अपने अजब गजब के कारनामों के लिए प्रख्यात उत्तराखण्ड पॉवर कॉरपोरेशन लि. (यूपीसीएल) में विगत दिनों हुई अवर अभियंताओं की संदिग्ध भर्ती पर एमडी यूपीसीएल ने बडी़ चालाकी से विभागीय मंत्री डा. हरक सिंह रावत को ठेंगा दिखाते हुये मौके का लाभ उठा,  चढ़ते सूरज को सलाम करते हुये सीएम को ढाल बनाकर एक नहीं तीन – तीन गुनाहों पर पर्दा डालने का जो गुल खिलाया गया है उसका खामियाज कौन भुगतेगा, कौन नहीं यह तो समय ही बतायेगा?

फिलहाल समाचार तो यह है कि अपने ही विभागीय मुखिया और ऊर्जा मंत्री से एकाएक मुँह मोड़ लेने और ठेंगा दिखाने का साहस, जिसके बलबूते पर कभी न होने वाली नियुक्ति वह भी एक नहीं बल्कि दो-दो निगमों के एमडी की कुर्सी पर विराजमान होने वाले एमडी ने जो गुल बडी़ चालाकी से खिला दिया उससे यह तो साबित हो ही गया यदि अंधेर नगरी और चौपट राजा वाली कहावत अगर साकार है तो यहीं उत्तराखंड में!

चापलूसी और चाटुकारिता दिखाते हुये जिस तरह से कल मुख्यमंत्री आवास में अवर अभियंता के पद पर चयनित हुये कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान कराये गये हैं उस पूरी नियुक्ति प्रक्रिया में एक सप्ताह पूर्व ही रिटायर हुये प्रभारी निदेशक (मानव संसाधन) व मुख्य अभियंता सवालिया निशान लग चुके हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के द्वारा नियुक्ति पत्र बाँटा जाना कहाँ तक उचित है? क्या सीएम के सिपहसालारों और तैनात आलाअफसरों को संदेह के घेरे में आ चुकी इन भर्तियों पर गौर नहीं फरमाया जाना चाहिए? वैसे भी इस प्रकार की निय्कितियों पर यह पहली बार ही हुआ जब किसी मुख्यमंत्री स्तर पर नियुक्ति पत्र बाँटे गये हों। मजे की बात तो यह भी है कि पारदर्शिता को अनदेखा कर स्वार्थवश इनके द्वारा यूपीसीएल की बेवसाईट पर साक्षात्कार का रिजल्ट भी नहीं अपलोड किया गया ताकि उसमें भी गुल खिलाये जा सकें?

ज्ञात हो कि पहले चरण में 78 अवर अभियंताओं को नियुक्ति पत्रगत दिवस जारी किए गए हैं। जिनमें से 12 अवर अभियंताओं को मुखायमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। जबकि 16 अवर अभियंताओं के अभी दस्तावेजों का अभी वेरिफिकेशन भी पूरा नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त शासन द्वारा अनफ्रीज किए गए 60 अवर अभियंता के पदों पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा नियुक्ति की कार्यवाही का किया जाना बताया जा रहा है।

मुख्यमंत्री की सभी चयनित अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देते हुये कहा जाना कि सभी पूर्ण मनोयोग से अपने कार्यों का निर्वहन करें, हास्यास्पद सा बन गया है! क्योंकि इन नियुक्तियों के पीछे की कहानी और जमकर की गयी अवैध कमाई व मोटी रकम का खेल भी कहीं छिपा नहीं है। इस कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री डा. हरक सिंह रावत को छोड़कर  प्रबंध निदेशक यूपीसीएल एवं पिटकुल अनिल कुमार, परियोजना निदेशक यूपीसीएल अजय कुमार अग्रवाल, निदेशक परिचालन एम. एल प्रसाद, महाप्रबंधक मानव संसाधन के. बी चौबे, उप महाप्रबंधक मानव संसाधन अमित कुमार, वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी जितेन्द्र कुमार एवं यूपीसीएल के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

अंधेर नगरी और चौपट राजा, आखिर क्यों…?

गौर तलव तथ्य हैं कि पहले तो ऊर्जा निगमों में काफी समय से रिक्त पडे़ निदेशकों के पद पर साक्षात्कारों का होना और उसके परिणाम आज भी तीन माह होने से पूरी तरह अघोषित?

उल्लेखनीय तो यहाँ यह भी है कि आखिर वह कौन सी बजह है जो जिनकी कृपा और गुणाभाग से बने दबंग एमडी अब ऊर्जामंत्री को ही क्यों इग्नोर करने लगे हैं? क्या उनके साथ को (कमेटमेंट) निभा पाना मुश्किल हो गया या फिर आया राम गयाराम का डर और करीब आने की लालसा अथवा फिर कोई और गुल खिलाने की साजिश?

– तो फिर सर्वे सर्वा बना यही एक एमडी जिसके पास निदेशक मा.सं. यूपीसीएल और निदेशक परियोजना पिटकुल का जिम्मा क्यों? नियुक्ति या प्रभार अन्य को क्यों नहीं?₹

– पूर्व आईएएस एमडी दीपक रावत के उन दोनों गोपनीय पत्रों की शासन और सचिव ऊर्जा द्वारा अनदेखी किया जाना जिसमें आईएमपी मेक सभी पावॅर ट्रांसफार्मरों में डीपी पिटकुल संलिप्तता का उल्लेख और दूसरे पत्र में  मुख्य अभियंता अजय अग्रवाल के विरुद्ध निंदा प्रविष्टी की गयी है, को दूसरे आईएएस द्वारा कूडे़ के ढेर में डाल दिया जाना भी एक आईएएस की क्षमता व विवेक पर सवालिया निशान नहीं लगा रहा है?

– पिटकुल में निदेशक परियोजना का पद इतने लम्बे समय से रिक्त क्यों?

– यूपीसीएल में पिटकुल के विवादित व चार्जशीटिड मुख्य अभियंता की डीपी के पद पर नियुक्ति में साथी हाथ बढा़ने की कहावत चरितार्थ क्यों?

– एमडी पिटकुल का प्रभार इन्हीं विवादित और भ्रष्टाचार के अनेकों मामलों में संलिप्त को ही क्यों?

– पूर्व आईएस एमडी के सचिव ऊर्जा को लिखे गये गोपनीय पत्र की अनदेखी क्यों?

– कैबिनेट मंत्री के द्वारा संविधान की शपथ के उल्लंघन और नियम विरुद्ध कृत्य एवं तथाकथित अनुचित दबाव में ताल ठोक कर साक्षात्कार के परिणामों के विरुद्ध कराई गयी खामियों भरी एमडी की नियुक्ति और क्लीनचिट के पीछे की कहानी पर सीएम की चुप्पी के कारण?

– यूपीसीएल में हुई इन जेई की नियुक्तियों में प्रशासनिक हेड व ऊर्जा मंत्री कैबिनेट स्तर की अनदेखी और एकाएक सीएम की आड़ व चापलूसी का मौका व लाभ?

– अब प्रोन्नत होने वाले 33 प्रतिशत अभ्यर्थियों की (short list) बनी निराशा का कारण व खेल?

– पाॅवर परचेज प्रकरण पर पूर्व सीएम व सचिव ऊर्जा के आदेशों के उलट एमडी बनते ही सजा के बदले रीइंस्टेट की कार्यवाही क्यों?

– क्या क्रियेट पाॅवर कम्पनी पर बकाये 31- 40 करोड़  की रकम, जनधन पर कुठाराघात नहीं?

– क्या ऐसे तुगलकी फरमानों और निदेशकों के खाली पडे़ जिम्मेदार पदों का दुरुपयोग व मनमानी सम्भव नहीं?

– क्या चुपचाप मंत्री की हनक और षडयंत्र भरी कूटनीती के तहत चालाकी से कराये गये सचिव के दो दिन की किसी निदेशक की अनुपस्थिती में  स्वतः ही‘बाली’ की ताकत समाहित हो जाने वाली शक्तियों का हजारों करोड़ की परियोजनाओं वाले इन निगमों में दुरपयोग नहीं होगा?

– क्या अब घोटालेबाज ईशान और आईएमपी आदि के भुगतान रिलीज होने से बचेंगे?

– क्या ये हजारों करोड़ की यूपीसीएल और पिटकुल में पाईप लाईन की परियोजनाओं पर गिद्दृदृष्टि और ग्रहण नहीं?

यदि ऐसा नहीं तो फिर स्वयं को जनहितेषी और प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी शासन की दुहाई देने वाले सीएम असहाय, निष्क्रिय या फिर चुप क्यों? देखना यहाँ गौर तलव होगा कि सीएम धामी कुछ सकारात्मक रुख इस ओर अपनाते हैं या फिर दबे सहमें ब्यूरोक्रेट्स  आदर्श आचार संहिता लागू होते ही अपनी यूनीफार्म आते ही कुछ कर दिखा पाने में सफल होंते हैः या नहीं?

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