भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में सिंचाई क्षमता के विस्तार के लिए कार्यों को तेजी से सम्पन्न किया जाए। वर्तमान सिंचाई क्षेत्र 36 लाख हेक्टेयर के विस्तार के लिए तेजी से कार्य हों। लक्ष्य है कि प्रदेश में यह सिंचाई क्षेत्र 53 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाए।
चौहान ने आज यहां मंत्रालय में जल संसाधन विभाग की योजनाओं की समीक्षा के दौरान यह बात कही। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, जल संसाधन राज्य मंत्री राम किशोर कांवरे, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। चौहान ने चंबल नहर प्रणाली में उत्कृष्ट रूप से कार्य पूर्ण होने और समय पर किए गए सुधार कार्य के लिए जल संसाधन विभाग को बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए प्रति वर्ष या प्रति छमाही के स्थान पर प्रतिमाह सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा विभाग स्तर पर की जाए। चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश में निर्मित सिंचाई क्षमता का किसानों के हित में पूरा उपयोग सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। परियोजनाओं के साथ अन्य साधनों को मिलाकर 43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में निर्मित सिंचाई क्षमता के साथ ही प्रदेश में निजी क्षेत्र मिलाकर करीब एक करोड़ आठ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। विभागीय दीर्घकालीन लक्ष्य के अनुसार दिसम्बर 2023 तक 40 हजार हेक्टेयर, दिसम्बर 2025 तक 46 हजार हेक्टेयर और दिसम्बर 2027 तक 53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का विस्तार करना है। और अगले तीन वर्ष का उल्लेख करें तो 31 मार्च 2021 तक 1 एक लाख 15 हजार हेक्टेयर, 31 मार्च 2022 तक 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर और 31 दिसम्बर 2023 तक 3 लाख 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमताएँ विकसित करने का लक्ष्य है। प्रदेश में पाँच लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई क्षमता के सृजन के लिए अगले एक वर्ष में नवीन परियोजनाओं के कार्य आवंटन की योजना है।
इन पर 8 हजार करोड़ रूपए की राशि व्यय होगी। प्रदेश में इस वर्ष 30 लाख 96 हजार हेक्टेयर में रबी सिंचाई का लक्ष्य था, जिसे पूरा किया गया। कुल 70 लघु परियोजनाओं के मुकाबले 74 परियोजनाएँ पूरी की गईं। प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना में अगले एक वर्ष में समस्त निर्मित, निर्माणाधीन और प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी जीआईएस प्लेटफार्म पर संकलित होगी। वर्ष 2024 तक नर्मदा जल के पूर्ण उपयोग केलिए राज्य में प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश में विभिन्न अनाजों के उत्पादन में हुई वृद्धि में सिंचाई सुविधाओं का विकास प्रमुख आधार रहा है। प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है। अधिक से अधिक सिंचाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता भी है। किसानों को सिंचाई सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए यह आवश्यक है कि क्रियान्वित की जा रही सिंचाई परियोजनाओं के कार्य समय-सीमा में पूर्ण हों। अधिकारी फील्ड का भ्रमण करें। प्रत्येक माह का लक्ष्य और कार्य निर्धारित कर परिणाम दें।
चौहान ने कहा कि सिंचाई प्रबंधन में किसानों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए। यदि किसानों की जल प्रबंधन में जन-भागीदारी बढ़ेगी तो योजनाओं के संधारण से संबंधित आवश्यक कार्य भी समय पर सम्पन्न होंगे। वर्तमान कोरोना संक्रमण के बाद अनुकूल स्थितियां होने पर जल उपभोक्ता समितियों से जुड़े सदस्यों का विशाल राज्य स्तरीय सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा।
चौहान ने निर्देश दिए कि प्रत्येक परियोजना से निर्मित सिंचाई क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जाए। परियोजना में विलम्ब का कारण बताएँ, यदि कारण जायज नहीं है तो संबंधित पर कार्यवाही होगी। जल संसाधन विभाग के अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र में निरंतर दौरा करें। मुख्यमंत्री कार्यालय को अधिकारियों के क्षेत्र भ्रमण की रिपोर्ट भेजी जाए। जल उपभोक्ताओं से विभाग के अधिकारियों का सतत् संवाद रहे।