वाह रे, वाह! ऊर्जा विभाग वाह!!
विभागीय मुखिया को चढावा देने की अवैध कमाई में लगे ऊर्जा विभाग के अभियंता
कमीशन खोरी के खेल में नहीं हुये अभी तक टेण्डर
कान्टेक्ट समाप्त हुये भी बीत चुके चालीस दिन, हिस्सा दो और एक्सटेंड कराओ
फोन काॅल न उठाने वाले जेई से लेकर एक्सियन, घर बैठ ले रहे वेतन!
बिना कान्ट्रेक्ट कैसे कर रहे काम और कैसे हो रहा मेंटीनेंस : जिम्मेदार कौन?
चार-चार माह से बिना वेतन के 24 घंटे काम कर रहा है स्टाफ!
एसई श्रीनगर व चीफ इंजीनियर गढ़वाल जानकर बन रहे अनजान
एमडी व निदेशक परिचालन मस्त : निगम व उपभोक्ता पस्त
अब गिरेगी गाज इन छोटों पर या फिर इन वेसुध, निरंकुश व लापरवाह साहबों पर?
(विशेष ब्यूरो की पड़ताल)
श्रीनगर (गढ़वाल) / देहरादून। उत्तराखंड वास्तव में देव भूमि है इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं परंतु यहाँ भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज असुरों की संख्या भी तेजी से प्रदेश सरकार और जिम्मेदार जन प्रतिनिधियों के निकम्मेपन और लूट खसोट की नीति व अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता के कारण, दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब अलग राज्य बनवाने वाले शहीदों और आंदोलनकारियों के सपने धराशाही करके , यहाँ असुरों का राज पूरी तरह से स्थापित हो जायेगा। पहले तो विदेशियों ने बार बार इस देश को लूटा और अब यहीं के ही लोग इसे लूटने पर जुटे हुए हैं। जो भी सरकार आई बंद कमरे में हाथ मिला पहाड़ की भोली भाली जनता को बहलाने के लिए अपनी करनी को न देख, दूसरी सरकार और विपक्ष को कोसने में लग गयी।
ज्ञात हो कि बात बात पर जनहित का बहाना कर घडियाली आँसू बहाने के महारथी ऊर्जा मंत्री के पदचिन्हों पर चल रहे यूपीसीएल के अधिकांश अभियंता व अधिकारी इतने बेख़ौफ़ हो उदासीन व लापरवाह हो गये हैं कि फील्ड व सबस्टेशनों पर न जाकर घर बैठ वेतन लेकर, साथ साथ कमीशन खोरी व अवैध वसूली पर जुटे हुये हैं। सुध बुध खो बैठे इन अधिकारियों की घोर लापरवाही का एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जिससे स्वतः ही पता चलता है कि ऊर्जा निगम किस प्रकार चल रहे हैं!
लीजिए इन्हीं की जुबानी इन बेचारों की कहानी….
सूत्रों और ब्यूरो की पड़ताल के अनुसार यूपीसीएल के गढ़वाल मंडल के श्रीनगर विद्युत डिवीजन के देवप्रयाग क्षेत्र अन्तर्गत जामणीखाल सब स्टेशन विगत लगभग चालीस दिनों से बाबा केदारनाथ और भगवान बद्रीनाथ के भरोसे ही बिना कान्ट्रेक्ट और जिम्मेदार अधिकारी के चल रहा है। न ही इस सब स्टेशन में तकनीकी काम करने वाले लाईनमैनों और रखरखाव मेंटेन करनी वाले ठेकेदार का कान्ट्रेक्ट धर्तमान में रिन्यू अथवा एक्सटेंड किया गया है और न ही नियमानुसार कान्ट्रेक्ट समाप्ति से तीन माह पहले नये टेण्डर की कोई प्रक्रिया वार्गेनिंग के इस खेल में अभी तक की गयी है। टेण्डर समय पर न किये जाने के पीछे आनॅलाईन टेण्डर प्रक्रिया में धूलं झोंकते हुये मनचाहे ठेकेदारों से ही बिट पड़वाने की अवैध परम्परा और बँदरबाट तथा कमीशन बाजी का मोटा खेल ही इन अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण बना हुआ है। जबकि इस अक्षम्यीय लापरवाही और निकम्मेपन का खामियाजा भूखे रहकर वह छोटा कर्मचारी भुगत रहा है जो पहले ठेकेदार के आधीन था और अब उसका मालिक कौन ये तो उन बेचारों को भी नहीं पता। उन्हें तो सिर्फ इतना पता है कि चार माह से उन्हें तनख्वाह नहीं मिली, जिस पर उनका परिवार आश्रित है और टकटकी लगाये लालसाओं और सपनों पर ही पलता जा रहा है। और यदि कहीं अगर कोई घटना या दुर्घटना हो जाये तो उस बेगैरत त्रासदी की भी गाज उन्हीं के परिवार और उस बेचारे छोटे कर्मचारी पर ही गिरेगी। जेई साहब और बडे़ साहब का क्या वे तो साहब हैं! चीफ साहब और एसई साहब के तो कहने ही क्या, उनके तो दर्शन ही कभी हीं हुए। कुछ भी बताने से सहमें सहमें इन कर्मचारियों का कहना है कि इस कडा़के की सर्दी में जहाँ सरकार अलाव और कम्बल आदि की सहूलियतें दिए जाने का दम भरती है वहीं उन्हें अपनी भूख की तपन में चौबीसो घंटे साहबों के धमकी भरे फोनों पर काम करना पड़ रहा है।
जहाँ एक ओर इन बडे़ अधिकारियों की लापरवाही और अनुशासहीनता व उदासीनता का खामियाजा ये वफादार लाईनमैन व स्टाफ झेल रहे हैं वहीं क्षेत्र के उपभोक्ता भी चरमराती व्यवस्था से त्रस्त हैं।
अकारण ही उत्पीड़न व शोषण के शिकार इन कर्मचारियों की सुध लेने वाला न ही कोई अधिकृत ठेकेदार है और न ही यूपीसीएल का कोई अधिकारी, जबकि विगत कई वर्षों से ये निरन्तर इसी सब स्टेशन पर दयानतदारी से बखूवी फर्ज निभाते चले आ रहे हैं।
इस अवैध कमाई के खेल में जेई से लेकर एमडी, निदेशक परिचालन और विभागीय मंत्री भी दोनों हाथों से जहाँ धन बटोरने पर लगे हुए हैं, वहीं आलम यह है कि कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने और बताने को तैयार नहीं सभी वरिष्ठ अधिकारी व अभियंता जान बूझकर जिस तरह से अनभिज्ञता जाहिर करते है उसी से स्वतः स्पष्ट है कि वे सब काम घर बैठे ही कर रहे हैं। और करोडों की लागत के विद्युतीय उपकरण व सब स्टेशन ऐसे ही चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि गत दिवस जब भूख व झूठे आश्वासनों से त्रस्त ये लाईनमैन व स्टाफ वहीं सब स्टेशन पर हड़ताल पर बैठ गये और वहाँ पहुँचे पत्रकार ने चीफ इंजीनियर गढ़वाल से वीडियो काल पर बात कराई तो व मुश्किल तमाम टाल मटोली करते हुए और वही नेताओं की तरह शातिराना बातें करके फोन काट दिया। तत्पश्चात किसी ऋषिकेश के एक ठेकेदार का फोन आया कि हड़ताल से उठ जाओ और जल्दी ही उनका बकाया वेतन वह आकर देगा। बेचारे इन भोले भाले कर्मचारियों को क्या पता कि ये एक नाटकीय चाल है जब टेण्डर ही नहीं हुआ और न ही पुराने ठेकेदार का कान्ट्रेक्ट एक्सटेंड अथवा रिन्यू हुआ तो उन्हें वेतन कौन देगा।
ये तो एक उदाहरण है न जाने कितने सब स्टेशन इसी प्रकार इन निकम्मे भ्रष्ट अधिकारियों के कारण चल रहे होगें। भगवान ना करें! अगर कहीं कोई घटना घट जाये तो जिम्मेदारी तय होगी या जाँच और टाँय टाँय फिस्स…!
मजेदार बात तो यह है कि उक्त पूरे मामले के सम्बंध में आज जब चीफ इंजीनियर गढ़वाल रजनीश अग्रवाल और अधीक्षण अभियंता श्रीनगर एम आर आर्य से बात की गई, तो वे बगले झाँकते और अनजान बनते हुए नियमानुसार सब ठीक चल रहा है, कहते हुए ही नजर आये तथा अपना पल्ला झाड़ते हुए जाँच कराने की बात करने लगे।
वैसे यह बात तो सच है कि जैसा मुखिया या राजा होगा वैसे ही उसके सिपहसालार और कर्मचारी!
जब दोनों हाथों से केवल इनका ध्यान कमाई पर लगा होगा तो चालाक चापलूस और अवसरवादी भी मचायेंगे लूट, ऐसे में न कोई डर और न कोई अंकुश! तू भी खा मुझे भी खिला का सिद्धान्त ही सफल होगा?
देखना यहाँ गौर तलव होगा कि विवादों से तथाकथित रूप से घिरे व चर्चा में रहे महाबली एमडी और उनके खासमखास निदेशक परिचालन ऐसी लापरवाहियों पर क्या कार्यवाही कर पाने में सफल होते हैं और इस गम्भीर निष्क्रियता व लापरवाही के दोषी जेई, ईई सहित उन जिम्मेदार बडे़ अधिकारियों पर गाज गिराते हैं जो घर बैठे तन्ख्वाह डकार रहे हैं या फिर उन्हीं छोटे निर्दोष कर्मचारियों को अत्याचार के खिलाफ दर्द बयाँ करने की सजा का आदेश फरमाते हैं? या फिर ऊर्जा मंत्री की आड़ में बडे़ बडे़ गुल खिलाने में मस्त रहते हैं…!