निर्वाचन आयोग को धत्ता बता बैक डेट में कर डाली करोडों की कमाई और आदेशों व टेण्डरों की भरमार : क्या चुनाव आयुक्त लेंगे एक्शन

…और आखिर ऐन बक्त पर भाजपा ने हरक को वर्खास्त कर, सिखाया ब्लैकमेलिंग और सौदेबाजी का सबक!

रोतडे़ नौटंकी बाज :  भ्रष्ट रावण की वर्खास्तगी से एमडी के माथे पर सिलवटें गहराई!

आखिर वध कब़ : अब असल भ्रष्टाचारी अहिरावण और मेघनाद से ऊर्जा निगम को मिल सकती है मुक्ति?

बेडा़ गर्क : तब तक तो ये कर देंगे ये यूपीसीएल और पिटकुल में बारे न्यारे! 

उल्लघंन : ऊर्जा मंत्री के लिए जम कर जुटाई इन माध्यमों से रकम चुनावी खर्चों के लिए!

झोंकी धूल :  रावत को चुनावी लाभ पहुँचाने के लिए, बल्क में कर डाले एमडी ने दोनो निगमों में मिड टर्म ट्रांसफर और पोस्टिंग!

जागो चुनाव आयुक्त जागो : जारी है आचार संहिता में ही करोंडों की परियोजनाओं के निषिद्ध टेण्डर निविदा का काम!

क्या आयोग करायेगा कारगुजारियों की आई टी एक्सपर्ट से जाँच?

जनहित : क्या निरस्त होगा मंत्री के दबाव में जारी किया गया गलाघोंटू श्राबन्ती – गामा वाला शासनादेश?

अवैध : क्या निरस्त होंगे ट्रांसफर और टेण्डर?

फ्रिज होंगी क्या : एमडी को दी गयी, अवैध व अव्यवाहरिक पावर देने के आदेश?

घोटाले और न हों : इसलिए तीन तीन चार्ज वाले एमडी को हटा, आईएएस अपर सचिव या किसी अन्य को दी जायेगी जिम्मेदारी?

शासन की कब्र गाह से कब निकलेंगे ये आला अफसरों के आदेश?

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। आखिरकार भाजपा की कोर कमेटी ने सीम धामी की संस्तुती पर मंत्रीमंडल सहित छः साल के लिए पैदल कर रोज रोज की धमकी, नखरे और बात-बात पर रोने की नौटंकी करने वाले जगजाहिर भ्रष्ट कैबिनेट मंत्री (ऊर्जा, वन एवं आयुष) को चुनाव अधिसूचना लगने से ठीक पहले जोर का झटका देकर उनकी टिकटों की सौदेबाजी पर विराम लगा ही दिया। भाजपा की एकाएक इस निर्णय से वेचारे कहीं के न रहे, भले ही वे पुनः घर वापसी का स्टैंडर्ड नाटक कर कांग्रेस का दामन थाम लें। लगता तो नहीं है कि हरीश रावत को बीच भँवर में गच्चा देने वाले मुख्य खलनायक को कांग्रेस भूली होगी।

जहाँ उत्‍तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीत‍िक उठापठक तेज हो गयी हैं तथा राजनैतिक गहमा गहमी चरम पर पहुँच चुकी है। वहीं ऐसे में यह जोर का झटका काफी कुछ गुल खिलायेगा

इस ताजे मामले से जो उत्तराखंड के वन व ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से जुड़ा हुआ है से, कई वेसुरे तीरों को भी साधा गया है।

दलबदलू और अवसरवादी हरक सिंह रावत को पार्टी विरोधी बयानों के लिए मंत्रिमंडल सहित पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है। बीजेपी विधायक हरक सिंह रावत को 6 साल के कार्यकाल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोर ग्रुप की मीटिंग में ये फैसला लिया। हरक सिंह रावत ने पार्टी से कभी दो और कभी चार टिकट मांगे थे, पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद पार्टी विरोधी बयानों को लेकर हरक सिंह रावत चर्चा में आ गए थे और कोर कमेटी की मीटिंग से नदारत हो गये थे। दाल न गलती देख रावत दिल्ली दरबार चले गये थे।

पार्टी विरोधी बयानों व हरकतों के चलते हरक सिंह रावत पर ये एक्शन हुआ है। भाजपा उत्तराखंड कोर ग्रुप की बैठक में सभी 70 सीटों पर चर्चा हुई थी।

ज्ञात हो कि मंत्री रावत लगातार कभी चार कभी दो टिकट दिये जाने का दबाव बना रहे थे, और अपने रोनतडे़ स्वभाव व धमकी भरें तेवरों से परिपूर्ण रहने वाले एवं मतदाताओं को अपनी निजी जागीर समझने वाले इन महाशय ने सीएम धामी की नाक में दम कर रखा था।

शायद ये महाशय वह वगावत का दिन भूल कर अब कुछ दिनों से राजनैतिक शतरंज के खिलाडी़ एवं कांग्रेस के दमदार सिपाही हरीश रावत को कभी अपना बडा़ भाई और कभी कुछ कह कर बहलाने और फुसलाने में भी लगे हुये नजर आ रहे थे। ये तो वहाँ भी सौदेबाजी में लगे हुये थे। दोनों दलों में जगह बनाए रखने की जुगत में जमकर सौदेबाजी में लगे हुये रहना ही इन्हें भस्मासुर बना बैठा और अपने ही जाल में फँस कर रह गये बेचारे!

यही नहीं इन महारथी ने विभागों को हथियाने में भी हुड़की – घुड़की का इस्तेमाल कर भारी भरकम काली कमाई और लूट खसोट वाले विभाग भी धामी से कब्जा लिए थे।

चर्चाओं पर यदि गौर करें तो तथाकथित रूप से महाभ्रष्ट और ऊल जलूल कामों व ब्यानबाजी के माहिर ये महाशय शासन में बैठे आला अफसरों और विभागीय उच्च अधिकारियों को भी अपनी उंगली पर कठपुत्ली की भाँति नचाने में माहिर हैं शायद इसी लिए इनके आधीनस्थ विभागों में विकास कम और राजनीती ज्यादा व्याप्त थी।

ये माननीय ट्रांसफर पोस्टिंग और पदोन्नति तथा मनमर्जी के खिलाफ काम करने वाले अधिकारियों को छोटी छोटी बात पर रंगरूट बनाने में भी निपुण रहे हैं। तथा सुप्रीमों की तरह भेंट पूजा और फिर मानौऊवल तथा भारी भरकम कमाई और सौदेबाजी के चलते बडी़ साफगोई से पलट जाने की चर्चायें भी कुछ कम नहीं हैं।

महोदय के द्वारा हमेशा सीएम के पास रहने वाला ऊर्जा विभाग शायद इसी लिए धामी से हथियाया गया ताकि मोटी – मोटी लाखों में नहीं वल्कि करोंडों के वारे न्यारे वाले और गाढी़ कमाई के खेल वाले इनके आधीनस्थ दोनों निगम में “करेला और ऊपर से नीम चढा़” की कहावत को चरितार्थ करते हुये एक ऐसे मगरमच्छ को गले लगा लिया गया जो खुद भी जमकर खायेगा भी और खिलायेगा भी जमकर। तभी तो यूपीसीएल और पिटकुल में सारे नियमों और कानूनों को बलाए ताक रखते हुये एक ऐसे व्मक्ति की एमडी और उसके ही चेले, जो भी पिटकुल के ही अनेकों भ्रष्टाचारों में संलिप्त था, की निदेशक (परियोजना) के पद पर जोर जबरदस्ती नियुक्ति करा कर, बैठा दिया जबकि ये दोनों कभी किसी भी रूप से डिजर्व ही नहीं करते।

महत्वपूर्ण चर्चा तो इस प्रकरण पर यह भी है कि उक्त महान विभूति साक्षात्कार के परिणामों में भी काफी पीछे ही बताये जा रहे हैं, इसी बजह से दबाव के चलते 5 अक्टूबर से अभी तक परिणाम घोषित नहीं किया गया है। बताया तो भी यह भी जा रहा है कि यदि ये परिणाम ईमानदारी से विना किसी खेल के जाहिर हो गये तो सारी कलई धामी कैबिनेट की खुल जायेगी?

खैर जो भी हो चाँदी के बडे़ बोरे के बजन से चकाचौंध खाऊपिऊ मंत्री को इससे अच्छा मौका भी फिर कहाँ मिलता। साथ ही चुनावी माहोल में जो खुद खाये और खिलाये भी, वह भी छोटा मोटा नहीं दो-दो दहाई वाली के करोंडों की गिनती में, न डकार ले और न लेने दे, के फार्मूले के साथ।

इंकार तो इस चर्चा को भी नहीं किया जा सकता कि छः सात करोड़ से हुई यह विवादित एमडी की नियुक्ति के पीछे की फिल्म तो श्रावंती और गामा से होने वाली मोटी कमाई और 25 साला मँहगी दरों पर पाॅवर परचेज वाला पीपीए है। इस पीपीए से “भाड़ में जाए जनता, अपना काम बनता” का फार्मूला अपनाने वाले ऊर्जा मंत्री और एमडी ने आखिर जिद्दो जिहाद करके शासनादेश 6 जनवरी को आचार संहिता से पहले जारी करा ही लिया गया और मोटा माल डकार भी लिया गया।

ज्ञात हो कि हमारे द्वारा इस कमरतोड़ और उपभोक्ताओं का गलाघोंटू 9 रु 50 पैसे की दर पर बिजली खरीदे जाने वाले पीपीए की साजिश और दस्तक का मामला पहले ही उजागर किया जा चुका है किन्तु तब न सीएम जागे और न ही प्रमुख सचिव ऊर्जा, सबके सब इस ड्रामेबाज के सामने बेवश रहे…! और अब जबकि शासनादेश सचिव ऊर्जा आईएएस राधा रतूडी़ द्वारा 6 जनवरी ने जारी कर दिया है तथा पीपीए साईन करने व नियामक आयोग से इस ओर कार्यवाही कराकर आगे बढा़ने को भी लिख दिया गया है, कैसे रुकेगा? क्या ये किसी भी प्रकार से उचित न होने वाला पीपीए रुकेगा या फिर थोप दिया जायेगा बेचारी जनता और इस देव भूमि के उपभोक्ता पर?
देखिए शासनादेश …

मजे की बात तो यह है कि यूपीसीएल और पिटकुल में एडीबी के लगभग साढे़ तीन हजार करोड़ की परियोजनाओं के फटाफट टेण्डर करके उसमें गाढी़ कमाई और बँदर बाँट करने की लालसा रखने वाले ऊर्जा मंत्री और उन्हीं के प्रभाव व संरक्षण में पलने वाले, दादागीरी कर रहे एमडी का अब क्या होगा? जो चाँदी के जूते के बल पर निदेशकों से धमका धमकी के बल पर साईन कराने की फिराक में हैं।

ज्ञात हो कि ये महारथी नियुक्ति साक्षात्कार में तीसरे और चौथे नम्बर एडवर्स इण्ट्री के बावजूद भी दो- दो निगमों में बैठे हैंसाथ ही निदेशक एच आर का लड्डू भी इन्हीं के हाथ में है और दो दिन अनुपस्थित पर स्वतः शक्तिमान बनाने वाला अभूत पूर्व त्रुप का पत्ता भी इन्हीं साहब के पास है। ऐसे में जो चाहे गुल खिला कार्यवाही को अंजाम दे सकते हैं साहब!

उल्लेखनीय तो यहाँ यह भी है कि उत्तराखंड के उपभोक्ताओं पर खुले बाजार से कई गुनी मँहगी कीमत पर हरीश रावत सरकार के समय का 25 वर्षीय पीपीए वैसे ही भारी बोझ का खामियाजा भुगतवा रहा है और बिना बिजली के सप्लाई के ही करोडों की कैपीटेशन चार्जेज यूपीसीएल से वसूलवा रहे श्रावंती व गामा ऐश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इसी तरह की मँहगी बिजली के पीपीए दूसरे राज्यों पंजाब, दिल्ली और गुजरात आदि

द्वारा हाल ही में निरस्त भी किये जा चुके है परंतु यहाँ के ये मदमस्त स्वार्थी निगम अधिकारी नियामक आयोग की आड़ लेकर मौज उडा़ते हुये पीपीए निरस्त करने की बजाए अब पुनः 250 मेगावाॅट बिजली क्रय किये जाने का इन्हीं श्रावंती, गामा और वीटा गैसबेस्ड कम्पनियों से करने जा रहे हैं। जबकि मैसर्स आर बी इन्फ्रा नामक फर्म मात्र चार रुपये पचास पैसे में पाँच साल तक बिजली यूपीसीएल को बेचने पत्र सीएम को दे चुकी है…

बताया तो यह भी जा रहा है कि इन्हीं अँगूर के गुच्छों को एमडी के माध्यम से साजिश के तहत खाने की फिराक में ऊर्जा मंत्री अब जाऊँ, तब जाऊँ के चक्कर में लगे रहते थे और वेवसी के शिकार या फिर कुछ से कुछ भला समझा होगा चुपचाप वेचारे सीएम धृतराष्ट्र बने देखते रहे? रावत तो अब न घर के रहे न घाट के या फिर यूँ कहा जाये कि तथाकथित ब्लैकमेलर नेता “बडे़ वेआवरू होकर निकाले गये कूचे से….!” अब न कांग्रेस के लायक रहे और न ही भाजपा के! अब चार सीटें तो क्या शायद चार वोटों के लिए भी मोहताज न रह जाँए कहीं क्योंकि मतदाता भी रोने धोने का नाटक भली भाँति समझ ही चुके हैं।

शासन में ही दबे उन आदेशों पर भी क्या गौर फरमाया जायेगा जो मंत्री के दबाव मे दबा दिए गये थे या फिर पुनः आशंका के चक्कर में दफन ही पडे़ रहेंगे ये आलाअफसरों के आदेश….

ऐसे आदेशों का क्या औचित्य जिनका अनुपालन ही न हो। इन आदेशों पूर्व सचिव ऊर्जा का ए सीआर सम्बंधी वह आदेश और आईएएस एमडी दीपक रावत का वह सीक्रेट पत्र ।

क्या निरस्त होंगा श्रावंनती और गामा के पक्ष में जारी कराया गया 6 जनवरो का,  रद्द होने वाला दबाव में जारी किया गया गलाघोंटूँ शासनादेश?

देखना गौर तलव होगा कि ऊर्जा विभाग का रावण का तो काम खत्म हो गया परंतु अभी विद्यमान अहिरावण और मेघनाद का काम तमाम कब होगा और यूपीसीएल व पिटकुल का उद्धार होगा?

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