झांसी: उत्तर प्रदेश में अपनी संभावनाएं तलाश रही कांग्रेस को बुंदेलखंड की अतिमहत्वपूर्ण झांसी सदर विधानसभा सीट पर सोमवार को उस समय जबरदस्त झटका लगा जब टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस शहर कमेटी अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने लगभग 200 समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ दी।
झांसी सदर विधानसभा सीट पर उम्मीदवारी को लेकर पसोपेश में फंसी कांग्रेस ने नामांकन तिथि के समाप्त होने के केवल दो दिन पहले ही रविवार को इस सीट पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा की। उम्मीदवार का नाम साफ होने के साथ ही राजनीतिक हलकों में कांग्रेस में झंझावात आने के कयास लगाये जाने लगे थे। विधानसभा में पार्टी की उम्मीदवारी मिलने को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे श्री वशिष्ठ ने टिकट की घोषणा होने के बाद आज पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस शहर कमेटी के अध्यक्ष ने बुंदेलखंड प्रभारी और महिला प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभापाल, प्रदेश महासचिव जितेंद्र भदौरिया समेत करीब दो सौ लोगों के साथ पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी।
पत्रकारों से बात करते हुए वशिष्ठ ने कांग्रेस पर लगातार उनके साथ अन्याय और उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पिछले 30 साल से पूरी शिद्दत से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं और बुंदेलखंड में पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। इतने लंबे समय से बिना किसी स्वार्थ के पार्टी के लिए काम करने के बाद उन्होंने विधानसभा के लिए टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने भी वह भी नहीं दिया। पार्टी के तमाम सेंट्रल और प्रकोष्ठ अध्यक्ष, पार्टी के वार्ड अध्यक्ष और शहर कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने भी आला नेताओं के सामने मेरे पक्ष में बात रखी लेकिन राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवार ने कार्यकर्ताओं से भी मिलने से इंकार कर दिया।
वशिष्ठ ने कहा “ पार्टी के इस भ्रष्ट तंत्र के कारण झांसी में ऐसे हालात पैदा हो गये। मैंने हर स्तर पर पूरी निष्ठा और कर्तव्यपरायणता के साथ पार्टी के हर काम को पूरी मेहनत एवं लगन से किया, जिसके बदले में मुझे अन्याय और उपेक्षा का सामना करना पड़ा लेकिन अब बहुत हो गया जब पार्टी को मेरी निष्ठा लगन और मेहनत का कोई मूल्य नहीं है तो इस उपेक्षा का अंत करते हुए मैं इस पार्टी को छोड़ने का निर्णय लेता हूं। मेरे साथ जुडे कार्यकर्ताओं के प्रति और झांसी की जनता के प्रति भी मेरी जवाबदेही है। अगर मैं अपने साथ हुुए अन्याय को सहता रहा तो यह लोग मुझे कभी माफ नहीं करेंगे।”
वशिष्ठ ने पार्टी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पार्टी पदाधिकारियों की ओर से लगातार टिकट मिलने का आश्वासन दिया जा रहा था लेकिन लिस्ट आने के बाद सच कुछ और ही निकला। टिकट न मिलने के लिए कौन जिम्मेदार है , इस सवाल पर श्री वशिष्ठ ने कहा कि स्थानीय नेतृत्व के साथ पार्टी पदाधिकारियों के सिर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि टिकट को लेकर सभी ने उन्हें अंधेरे में रखा।
निर्दलीय चुनाव लड़ने या किसी अन्य पार्टी में शामिल होने के सवाल पर वशिष्ठ ने कहा “ मैं किसी लालच में पार्टी से इस्तीफा नहीं दे रहा हूं । चाहे निगम का चुनाव हो या विधानसभा का, पार्टी की ओर से लगातार की जा रही मेरी उपेक्षा से खिन्न होकर मैं अपने साथियों के साथ इस्तीफा दे रहा हूं।” उन्होंने कहा कि आगे क्या करना है किस पार्टी में शामिल होना है इसके लिए हम सभी मिलकर विचार करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे।