चुनावी समर में मनचाहे प्रत्याशियों को लाभ पहुँचाने और प्रभावित करने की साजिश! को दिया अंजाम
कड़क व ईमानदार आईएएस पूर्व एमडी खैरवाल के नीतिगत प्रभावी फेसले को खाने कमाने के उद्देश्य से एक साल बाद स्वयं के लिए पलटा
सब कुछ हड़पने की नियत से किया 18 जनवरी को ऐसा आदेश
बदनियत से कर डाले गये मिडसेशन में सैंकडों ट्रांसफर भी : गहन जाँच में होगा क्या खुलासा व कार्यवाही!
क्या ऐसे वेखौफ एमडी के भ्रष्टाचारी दुष्कृत्य पर उसे किया जायेगा निलम्वित और भेजा जायेगा जेल?
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। चुनाव आचार संहिता की यदि जम कर धछ्जियाँ उड़ती देखनी हैं तो उसके लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है। केवल राजधानी दून में दबंगई से वरखास्त ऊर्जा मंत्री की धमक से डबल एमडी बने बैठे एक ऐसे दुस्साहसी तथाकथित घोटालेबाज के कारनामों से ही प्रत्यक्ष देखने को मिल जायेगा, जिनके लिए जाँच और सबूत की भी कोई आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उसके स्वयं के आदेश और दुष्कृत्य ही पर्याप्त हैं। यही नहीं उसके द्वारा प्रदेश में चल रहे विधान सभा चुनाव में दोनौं ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा से हुई साँठगाँठ व सौदेबाजी व एक सोची समझी साजिश के तहत दोनों हाथों में लड्डू की गरज मनचाहे प्रत्याशियों को मुठ्ठी में रखने के स्वार्थी ललक से माले मुफ्त दिले वेरहम की कहावत को चरितार्थ करते हुये जो जो आदेश धडा़धड़ वेखौफ होकर किए जा रहे साफतौर पर स्पष्ट है कि इन एमडी महाशय को न ही चुनाव आयोग का डर है और न ही शासन में बठे मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव ऊर्जा का ही डर है जो कि निगम की चेयरमैन भी हैं, का है।
ज्ञात हो कि यह पहला मामला केवल आचार संहिता के उललंघन का ही नहीं वल्कि शासन की भी अवज्ञा और अनदेखी का है क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार का समावेश है।
ज्ञात हो कि दिनांक 8 जनवरी को चुनाव आचार संहिता प्रभावी होने के 10 दिन बाद यूपीसीएल के एमडी द्वारा जो आदेश निदेशक (परिचालन) के पत्रांक संख्या C-12 दिनांकित 18 – 01- 2022 जारी किया गया है वह केवल आचार संहिता के उल्लंघन का ही नहीं है बल्कि उस नीतिगत प्रशंसनीय, सराहनीय व पूरी टीमवर्क की भावना एवं पारदर्शिता और जिम्मेदारी बनी रहे के उद्देश्य से किया गया था, को घोटालेवाज इस महा हस्ती द्वारा नियम विरुद्ध पलट दिया गया। उक्त आदेश में जिस तरह से उद्योगों की स्थापना व क्षमता बृद्धि में पाॅवर लोड स्वीकृत कने की शक्तियोंं का जिस तरह से विभाजन और बँटबारा किया गया है उसमें भी महाशय की सब कुछ सीधे मैं ही खा जाऊँ या बाकी सब अभियंता अयोग्य और ये ही समझदार हैं की झलक दिखाई पड़ रही है। यही नहीं मुख्य अभियंता की लोड सेक्शन की पाॅवर को भी सीमित करते हुये स्वयं के हाथों में ले लिया गया ताकि उद्यमी मजबूरन दर दर भटकने के उपरांत मोटी रकम भेंट पूजा में सुविधा शुल्क अब सीधे एमडी को चढा़ये।
ज्ञात हो कि उक्त आदेश प्रदेश के विकास में सहायक प्रधानमंत्री की मेक इन इण्डिया योजना के तहत उद्यमियों के लिए आसान बनाए गयी प्रणाली के लिए उस कड़क व ईमानदार छवि वाले पूर्व आईएएस एमडी नीरज खैरवाल के निर्देशों पर गत वर्ष 18 जनवरी 2021 को पत्रांक संख्या – निदेशक परिचालन / उपकालि/ C-12 अतुल कुमार अग्रवाल के हस्ताक्षरों के द्वारा जारी किया गया था तथा आईएएस दीपक रावत द्वारा भी उसे संजोए रखा गया था। यह आदेश से छोटे उद्यमियों को मुख्यालय के चक्कर न काट, सुविधाजनक बना हुआ था।
परंतु महाशय को ऐसा हजम कहाँ होने वाला था इसी लिए उक्त आदेश का महज अपने स्वार्थों और मोटी रकम की अवैध कमाई के उद्देश्य से अतिक्रमण करते हुये पलट दिया गया। उक्त आदेश के / कार्यालय ज्ञाप में अब अधिशासी अभियंता मात्र 75 केवीए का लोड स्वीकृत कर सकेंगे जो अभीतक 1000 केवीए लोड बढा़ व स्वीकृत कर सकते थे। इसी प्रकार अधीक्षण अभियंता 200 केवीए से घटाकर 500 केवीए और मुख्य अभियंता की 200 केवीए से अधिक स्वीकृती की शक्ति को घटाकर 1250 केवीए तक ही सीमित कर दिया गया।

मजे की बात तो यह भी है कि आईएएस के आदेश को पलटे जाने की खबर चेयरमैन एवं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को कानोंकान भी नहीं दी गयी और न ही पालिसी मैटर को बदले जाने के आदेश जारी किये जाने से पूर्व कोई अनुमति चुनाव आयोग अथवा शासन से ली गयी? क्या एक नहीं दो दो आईएएस की योग्यता पर इस तरह से स्वार्थवश प्रश्न (?) चिन्ह लगाया जाना उचित था? देखिए उक्त हड़पू आदेश ….
सूत्रों की अगर यहाँ माने तो माननीय भ्रष्ट एमडी महाशय द्वारा अब अधिकांश काले आदेश अवैध व अनुचित ब्हट्स अप (Whatsup) वीडियो व आडियो काॅल द्वारा किये जाते हैं ताकि उनका मनमाना आतंक बरकरार रहे तथा कागजी कार्यवाही में भी स्वयं सुरक्षित रहें और आधीनस्थ करे तो मरे और न करे तो भी मरे! जबकि उक्त अवैध प्रक्रिया को सर्वोच्च न्यायलय भी अमान्य व वैन घोषित कर चुका है तथा इससे पारदर्शिता भी बाधित होती है। परंतु साहब की मजबूरी है खाऊ पिऊ और डकारू आदेश लिखित में कैसे जारी करें?
उल्लेखनीय है कि बिजली चोरी का धंधा भी इन्हीं साहिबे यूपीसीएल और पिटकुल के संरक्षण में इस चुनावी समर के समय खूब फलफूल रहा है जिसकी शिकायत भी मुख्य चुनाव आयुक्त उत्तराखंड से 27 जनवरी को एक जिम्मेदार नागरिक राजीव राजदान द्वारा की जा चुकी है।
उक्त शिकायत व गम्भीर अपराध पर चुनाव आयोग द्वारा 29 जनवरी को संज्ञान भी लिया चुका है। यहाँ देखना गौर तलव होगा कि चुनाव आयोग कितनी गम्भीरता से आचार संहिता के उल्लंघन को लेता है और किस तरह की कार्यवाही करता है? हाँलाकि चुनाव आयोग ने यह गेंद ऊर्जा सचिव के पाले में डाल दी है…?
वैसे उक्त एमडी महाशय ने प्रदेश में चुनाव आदर्श आचार संहिता को धत्ता बताते हुये जिस तरह से बल्क में सौ से अधिक ट्रांसफर और पोस्टिंग मनचाही जगहों पर मनचाहे प्रत्याशियों को चुनावी लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से सोची समझी साजिश के तहत कुछ घंटो पहले कर डाले गये, वह भी सरासर उल्लंघन और धूल झोंकने की श्रेणी में आता है। मजे की बात तो यह है इस चालाक और घोटालेबाज एमडी द्वारा आने वाली सरकार में दोनों हाथों में लड्डू बने रहे और विधायक मुठ्ठी में भी बने रहें तथा उनकी पौ बारह भी होती रही, के उद्देश्य से ये आपत्तीजनक व नियम विरुद्ध मध्य सत्र विना किसी उचित कारण के किये गये, जो निरस्त होने के साथ साथ एमडी के विरुद्ध कडी़ कार्यवाही एवं वरखास्तगी योग्य है! यहाँ यह भी जाँच के लिए तथ्य महत्वपूर्ण है कि क्या इतने बल्क में आदेश इतने कम समय में छापे जा सकते हैं वहाँ जहाँ कि 26 करोड़ की पाॅवर ट्रेडिंग की रकम वसूली में महीनों बीत गये और वसूली नहीं हो पायी और आज तक प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध सचिव ऊर्जा राधिका झा के आदेश के बावजूद एफआईआर तक नहीं हो पाई।
क्या इस तरह से लगातार चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने और चुनाव को प्रभावित करने वाले दुस्साहसी एमडी पर कोई कडी़ कार्यवाही चुनाव आयोग और राज्यपाल महोदय के स्तर पर की जायेगी?