दिल्ली: नौसेना विशाखापतनम में आगामी 25 फरवरी से एक सप्ताह के अब तक के सबसे बड़े ‘मिलन’ अभ्यास का आयोजन कर रही है जिसमें 45 देशों की नौसेनाओं को आमंत्रित किया गया है।
नौसेना के अनुसार 25 फरवरी से चार मार्च तक चलने वाले अभ्यास के लिए 45 देशों की नौसेनाओं को आमंत्रित किया गया है। अभी तक तकरीबन 35 देशों ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। अभ्यास में शामिल होने वाली करीब 15 नौसेनाएं अपने युद्धपोतों के साथ इसमें हिस्सा लेंगी। इस दौरान दस से भी अधिक देशों की नौसेनाओं के प्रमुख भी आ रहे हैं।
इस अभ्यास में पनडुब्बी भी शामिल होंगी और यह पहला मौका है जब पनडुब्बी रोधी अभ्यास किया जा रहा है। अभ्यास का आयोजन दो चरणों में किया जा रहा है और बंदरगाह चरण 25 से 28 फरवरी तक जबकि समुद्री चरण एक से चार फरवरी तक आयोजित किया जायेगा। अब तक इस अभ्यास का आयोजन अंडमान निकोबार द्वीप समूह में होता रहा था और पहली बार इसे विशाखापतनम में आयोजित किया जा रहा है। इसका कारण इस बार बड़ी संख्या में विदेशी नौसेनाओं के इसमें शामिल होने को बताया जा रहा है जिसके लिए अंडमान निकोबार में कम जगह है।
अभ्यास 26 फरवरी को उद्घाटन समारोह के साथ शुरू होगा। इस दौरान विभिन्न विषयों पर सेमीनारों तथा कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। पहली बार नौसेना के प्रक्षिण देने वाले पोत भी इसमें शामिल होंगे और नौसेना के युवा अधिकारियों को इन पर विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है तथा इसे युवा अधिकारियों का मिलन नाम दिया गया है। अभ्यास के दौरान सभी देशों की नौसेना एक दूसरे के साथ रणकौशल से संबंधित अनुभव तथा अन्य कौशलों को साझा करेंगे।
‘मिलन’ की शुरूआत 1995 में सरकार की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ के तहत अंडमान निकोबार द्वीप में की गयी थी। पहले मिलन अभ्यास में केवल चार देशों इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और थाइलैंड की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया था। धीरे धीरे इन की संख्या बढती रही है और इस बार 45 देशों को इसके लिए आमंत्रित किया गया है।