अयोग्य लोगों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि पाना संभव नहीं रहेगा। इसके लिए केंद्र के किसान सम्मान निधि पोर्टल व राज्यों की भूलेख वाली वेबसाइट एक-दूसरे से लिंक की जाएगी। यही नहीं, भविष्य में सम्मान निधि पाने के लिए आवेदन करते समय परिवार के सदस्यों का भी आधार नंबर देना होगा। वर्तमान में सम्मान निधि लेने वाले किसानों को भी पारिवारिक सदस्यों का आधार नंबर पोर्टल में दर्ज कराना होगा।
पीएम किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। अंदेशा है कि कई अपात्र भी योजना का लाभ ले रहे हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए योजना को अधिक पारदर्शी बनाने की योजना बनाई है। इसको लेकर केंद्र व राज्यों के बीच शीर्ष स्तर पर बैठक हो चुकी है। जल्द ही इस दिशा में काम शुरू होने जा रहा है।
पकड़ में आएंगे फर्जी आवेदन
मुख्य कृषि अधिकारी वीके यादव ने बताया कि कई परिवारों से पति-पत्नी दोनों लाभ ले रहे हैं। भूलेख दस्तावेज सम्मान निधि पोर्टल से जुडऩे से वास्तविक किसान का पता चल जाएगा। परिवार के सभी सदस्यों का आधार नंबर डालने से दोहरा लाभ लेने वाले पकड़ में आ जाएंगे। ऐसे आवेदन निरस्त होने के साथ उसने वसूली होगी।
राज्य में सम्मान निधि पाने वाले किसान
जनवरी 2019 4,15,351
जनवरी 2020 7,84,324
जनवरी 2021 8,71,585
जनवरी 2022 9,16,413
तीन साल में दोगुना हुए लाभार्थी
पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत एक दिसंबर 2018 को हुई। जनवरी 2020 में पहली किश्त जारी हुई। तब उत्तराखंड में 4.15 लाख किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये पहुंचे। जनवरी 2022 में निधि पाने वालों की संख्या 9.16 लाख के आंकड़े को पार कर गई।
राज्य में 11 हजार किसानों से हो रही वसूली
अपात्र होते हुए सम्मान निधि लेने के मामले पहले भी आए हैं। दिसंबर 2020 में उत्तराखंड में 11296 आवेदकों से रिकवरी शुरू की गई। इसमें 9053 आयकरदाता व 2243 लोग दस हजार रुपये मासिक पेंशन लेते पाए गए। अब तक प्रदेश में आधे से अधिक किसानों से वसूली हो चुकी है। प्रक्रिया अब भी जारी है।
मुख्य कृषि अधिकारी वीके यादव ने बताया कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए इसे भूलेख पोर्टल से जोड़ा जाना है। परिवार के सभी सदस्यों का आधार भी अनिवार्य हो जाएगा। इसस अपात्र आवेदक पकड़ में जाएंगे।