दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को एक बार फिर राहत दे दी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों पर अंतिम आदेश आने तक कोई कार्रवाई नहीं करें। पीठ ने कहा कि पूर्व पुलिस आयुक्त के मामलों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से छानबीन कराने की मांग वाली उनकी याचिका पर फैसला आने तक सरकार कोई कार्रवाई नहीं करे।
सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट तौर पर महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि आरोपी पूर्व पुलिस अधिकारी से संबंधित मामलों में जांच और आरोपपत्र दाखिल करने समेत सभी कार्यवाही पर अगली सुनवाई नौ मार्च तक अंतरिम रोक जारी रहेगी। पीठ ने सिंह पर दर्ज मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित करने के सवाल पर अंतिम निपटान के लिए नौ मार्च की तारीख मुकर्रर की है।
न्यायमूर्ति कौल ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बीच चल रहे इस विवाद पर कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जिसमें पुलिस और निर्वाचित प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास को झकझोर देने की प्रवृत्ति है। कानून की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। ”
महाराष्ट्र की राजधानी के पूर्व पुलिस प्रमुख सिंह ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनके खिलाफ राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख द्वारा 100 करोड़ रुपये मासिक जबरन वसूली के सनसनीखेज आरोप लगाने के बाद उन पर एक के बाद एक मनमाने और गलत तरीके से कई मुकदमे दर्ज किए गए। याचिकाकर्ता का दावा है कि इन मुकदमों में कोई सच्चाई नहीं है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 1988 बैच के इस भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी सिंह को इससे पहले 22 नवंबर 2021 को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
सिंह ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 16 सितंबर 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने सिंह को अपने खिलाफ दर्ज मामलों की सीबीआई जांच के लिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण से गुहार लगाने का निर्देश दिया था।